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RASTRAPATI JI ,KYA AAP CHOR KO PROFESSOR NIYUKT KAR DEAN BANANE,BACHANE VALE,LEKHIKAYON KO CHHINAL KAHANE VALE,GHOTALA AAROPI V.N.RAI KO HINDI VISHWVIDYALAY KO AUR BARBAD KARANE KE LIYE DUBARA KULAPATI BANAYENGE ?

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SATTACHAKRA.BLOGSPOT.IN
DATE20-10-2013,7.30P.M.
पुलिस विभूति नारायण राय ने अंतरराष्ट्रीय हिन्दी वि.वि. वर्धा का कुलपति बनने के बाद  किस तरह अपने   चहेते चोर को प्रोफेसर नियुक्त करके डीन बनाया और उसको बचाते रहे इसका प्रमाण देखिए-
इसके लिए  नीचे दिये गये लिंक पर क्लिक करें।



V.C.-V.N.RAI KIS TARAH CHORGURU ANIL K. RAI KO BACHA RAHE HAIn, DEKHEN C.D.



V.N.RAI (I.P.S.)KULAPATI KE CHAHETE CHOR ANIL KUMAR RAI KA KARNAMA, KAISE BACHA RAHA HAI CHOR KO PULISHVALA (V.N.RAI)

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SATTACHAKRA.BLOGSPOT.IN

DATE 21-10-2013
YOUTUBE  par jakar CHORGURU type karen ,CNEB me CHORGURU  ME DIKHAYE GAYE  lagbhag sabhi CHORGURUYON AUR UNAKE SANRAKSHAK KULAPATIYON KE VEDIO MILENGE



CHORGURU ANIL KUMAR RAI AUR UNAKO PROFESSOR NIYUKT KAR BACHANEVALE V.N.RAI(I.P.S.) KE BARE ME 'CHORGURU' EPISODE 1 ,DATE 01-11-2009 KO DIKHAYA GAYA THA

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sattachakra.blogspot.in
Date 22-10-2013 Time 06.20A.M.

महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिन्दी विश्व विद्यालय,वर्धा,महाराष्ट्र  के अंतररराष्ट्रीय चोरगुरू डा. अनिल कुमार राय उर्फ अनिल के.राय अंकित ने वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय में लेक्चरर रहने के दौरान चोरगुरू कुलपति पातंजलि के संरक्षण व सक्रिय सहयोग से  देशी -विदेशी विद्वानों,वैज्ञानिकों,विषय विशेष के विशेषज्ञों की पुस्तकों,शोध पत्रों से कट-पेस्ट करके, हूबहू नकल करके किस तरह अपने नाम से ढ़ेर सारी अंग्रेजी और हिन्दी में पुस्तकें छपवाकर ,उनके लेखक बन गया। उसके आधार पर यूजीसी के नार्म के अनुसार अंक पाकर,जुगाड़ लगाकर  पहले कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता विश्वविद्यालय रायपुर,छत्तीसगढ़ में  रीडर बना और उसके बाद महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिन्दी विश्व विद्यालय,वर्धा,महाराष्ट्र के  कुलपति  विभूति नारायण राय(आई.पी.एस) ने ने अपने इस चहेते चोर को प्रोफेसर नियुक्त कर, डीन बना  बचाने लगे , इसे CNEB न्यूज चैनल पर  कार्यक्रम "चोरगुरू"के पहले इपीसोड में दिनांक 1 नवम्बर 2009 को दिखाया गया था। वीडियो देखें-

http://www.youtube.com/watch?v=2nIubH9S8CI

मालूम हो कि पुलिसवाले विभूति नारायण राय , अपने चहेते चोरगुरू अनिल कुमार राय को प्रोफेसर नियुक्त करने से लेकर उसे बचाते रहने का हर हिकमत लगाते रहे हैं। यह करते और चोर को प्रोटेक्ट करते हुए 5 साल का अपना कुलपति का कार्यकाल पूरा कर लिया। कार्यकाल के अंतिम समय में दिखावा के लिए एक जांच कमेटी गठित किया ताकि चोर को बचाने के अपने धतकर्मों का बचाव करते हुए एक टर्म और कुलपति पद के लिए जुगाड़ लगा सकें। इस जातिवाद,भ्रष्टाचार,घोटाला,चोरगुरू संरक्षण आरोपी विभूति नारायण राय(V.N.RAI)का कुलपति का 5 साल का टर्म 28 अक्टूबर 2013 को पूरा हो रहा है। लेकिन एक टर्म और पाने के लिए तरह-तरह का जुगाड़ लगाने,लगवाने में जमीन आसमान एक कर दिया है।

CORRUPTGURU PROTECTOR & ALLEGED CORRUPT EX V.C. VIBHUTI .....

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03.04.2014
क्या चोर गुरू संरक्षक व भ्रष्टाचार ,घोटाला आरोपी रहे विभूति नारायण राय का भी यह हश्र होगा जो एक घोटालेबाज अफसर विभूति का हुआ है?
विभूति नारायण राय ने जोड़-जुगाड़ से कुलपति बनने के बाद अपने प्यारे चोरगुरू अनिल कुमार राय अंकित को प्रोफेसर नियुक्त करके हेड आदि बना दिया।पुलिस अफसर रहे राय पर कई तरह के घोटाले व भ्रष्टाचार का आरोप कैग ने अपनी रिपोर्ट में लगाया है। जिस पर प्रमाण सहित कम्प्लेन हुआ है तो जो जांच कमेटी बनी थी उसके अफसर से लीपा-पोती वाली रिपोर्ट लगवाने की चर्चा है। लेकिन घोटाले का प्रमाण अपनी जगह कायम है। ऐसे में जिसने लीपा-पोती की रिपोर्ट लगाई है उसके और चोरगुरू संरक्षक,घोटाला आरोपी कुलपति रहे विभूति नारायण राय के विरूद्ध नये सिरे से जांच की मांग शुरू हो गई है।संभावना जताई जा रही है कि ठीक से लगे रहने पर चोरगुरूओं व उनके संरक्षक रहे घोटालेबाज कुलपति विभूतियों का भी वही हश्र हो सकता है जो निम्न विभूति का हुआ है -

नईदिल्ली,3फरवरी2014, (जनसत्ता)। स्वास्थ्य व परिवार कल्याण मंत्रालय के पूर्व सहायकमहानिदेशक को दिल्ली की एक अदालत ने 13 लाख रुपए से ज्यादा की बिना हिसाबकिताब की संपत्ति रखने के 17 साल पुराने एक मामले में तीन साल कैद और 75 लाख रुपए जुर्माने की सजा सुनाई।
अदालत ने मंत्रालय के सरकारी मेडिकल स्टोर विभाग में सहायक महानिदेशक केतौर पर काम करने वाले विश्व विभूति को इस पद पर रहने के दौरान अपने औरअपने परिवार के नाम पर 72 लाख रुपए से ज्यादा  की राशि जमा करने का दोषीपाया, जबकि निर्दिष्ट अवधि में उसकी ज्ञात आय 58,17,990 रुपए थी। आरोपी कोजेल की सजा सुनाते हुए सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश दिनेश कुमार शर्मा ने कहाकि किसी भी तरह का कितना भी भ्रष्टाचार करने वाले को कड़ी सजा दी जानीचाहिए ताकि यह संदेश जाए कि भ्रष्टाचार कभी भी फायदे का सौदा नहीं है।  अदालत ने कहा कि अगर भ्रष्ट लोगों को आसानी से जाने दिया जाएगा तो ईमानदारलोक सेवक हतोत्साहित होंगे और उनका मनोबल गिरेगा। आजकल भ्रष्टाचार से समाजमें असंतुलन ही पैदा नहीं होता बल्कि इससे एक राष्ट्र के विकास में भी बाधाआती है।अदालत ने कहा कि आरोपी ने प्रथम श्रेणी अधिकारी के तौर पर सरकारीसेवा में प्रवेश किया। वह मेडिकल स्टोर विभागमें थे और सरकारी नौकरी में रहते उन्होंने जो संपत्ति एकत्र की वह उनकी आयके ज्ञात श्रोत से अधिक थी।न्यायाधीश ने कहा- यह मामला इसलिए औरसंवेदनशील हो जाता है क्योंकि दोषी (विभूति) को सरकारी अस्पतालों के लिएदवाएं खरीदने के काम पर लगाया गया था और ऐसे पद पर रहते हुए भ्रष्ट कार्यकरके संपत्ति जमा करना बहुत गंभीर अपराध है।अदालत ने हालांकि विभूति की याचिका को स्वीकार करते हुए उसकी सजा पर 12 दिसंबर तक अमल रोक दिया। इस दौरान उसने पांच लाख रुपए का एक जमानती बांड औरइतनी ही राशि की दो प्रतिभूति राशि जमा कराई। उसके देश छोड़कर बाहर जाने परभी रोक लगा दी गई। सीबीआइ ने 15 मई 1996 को विभूति के खिलाफ मामला दर्जकिया था, जिसमें कहा गया था कि जून 1985 से मार्च 1995 के दौरान हैदराबादऔर दिल्ली में एडीजी, जीएमएसडी के पद पर रहते हुए उन्होंने अपने और अपनेपरिवार के नाम पर भारी संपत्ति एकत्र की। विभूति को जुलाई 1996 में निलंबितकर दिया गया। उस समय वह कोलकाता में एडीजी था। छानबीन के बाद जुलाई 1998 में उसके खिलाफ अदालत में आरोप पत्र दाखिल किया गया। विभूति को भ्रष्टाचारनिरोधक कानून के तहत दोषी पाया गया। अदालत ने सीबीआइ की भी खिंचाई करते हुएजांच एजंसी के जांच के तरीके पर सवाल उठाया।

ANTARRASHTRIY CHORGURU KO PADMA SHRI DILAYENGE CHAVHAN,SHINDE,DENGE PRANAB ?

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DATE 19-11-2013,08.08 P.M.
क्या भारत के सबसे बड़े पुरस्कारों में से चौथे नम्बर का सिविलियन पुरस्कार "पद्मश्री"अब एक चोरगुरू को दिया जायेगा ? 

क्या अंतरराष्ट्रीय चोरगुरू को पद्मश्री दिलवायेंगे मुख्यमंत्री चाव्हाण,गृहमंत्री शिंदे, देंगे राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ?
-कृष्णमोहन सिंह
ANIL KUMAR RAI
 नईदिल्ली।क्या महाराष्ट्र सरकार अंतरराष्ट्रीय चोरगुरू प्रो.(डा.) अनिल कुमार राय के नाम की संस्तुति  पद्मश्री पुरस्कार के लिए करेगी ?इसको पद्मश्री देने के लिए केन्द्रीय गृह मंत्रालय को सिफारिश करेगी?गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे  का केन्द्रीय गृह मंत्रालय इसे पद्मश्री देने की मंजूरी देगा ।  और राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी इस अंतरराष्ट्रीय चोरगुरू को पद्मश्री देंगे ? क्या भारत के सबसे बड़े पुरस्कारों में से चौथे नम्बर का सिविलियन पुरस्कार "पद्मश्री"चोरगुर को दिया जायेगा  ?    महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय,वर्धा(महाराष्ट्र) के अंतरराष्ट्रीय चोरगुरू प्रो.(डा.)अनिल कुमार राय का नाम महाराष्ट्र सरकार के पद्म पुरस्कार के लिए प्राप्त नामांकन सूची 2013 में 39 वें क्रमांक (नम्बर) पर है। देश –विदेश के विद्वानों,लेखकों की कापी राइट वाली पुस्तकों ,शोध-पत्रों,दूरस्थ शिक्षा के पाठ्य पुस्तकों से सामग्री अध्याय का अध्याय हूबहू उतारकर अपने नाम से  आधा दर्जन से अधिक अंग्रेजी व हिन्दी में पुस्तकें,शोधपत्र छाप लेने वाले और उसके आधारपर यूजीसी के नार्म के अनुसार अंक पाकर , छिनाली फेम वाले अपने पड़ोसी विरादर, भ्रष्टाचार/घोटाला आरोपी कुलपति विभूति नारायण राय की कृपा से वर्धा में प्रोफेसर व हेड बन कर पूरे शिक्षा तंत्र को ठेंगा दिखा रहा शैक्षणिक कदाचारी प्रो.(ड़ा.) अनिल कुमार राय अब पद्मश्री के लस्ट वालों की लाइन में लग गया है।इसके इस शैक्षणिक कदाचार,नकलचेपी,धोखाधड़ी,चारसौबीसी,शिक्षक आचार संहिता के उल्लंघन के बारे में टीवी सिरियलचोरगुरूपर 2009,2010 में कई एपीसोड दिखाया गया,अखबारों में लगातार छपा।उसके बारे में  सांसद हर्षवर्धन,सांसद राजेन्द्रसिंह राणा आदि 9 से अधिक सांसदों,समाजसेवी कैलाश गोदुका व वकील, पत्रकारों आदि ने राष्ट्रपति,प्रधानमंत्री,मानव संसाधन विकास मंत्री,यूजीसी और मगांअंहिविवि,वर्धा के कुलपति को 2009 से अब तक लगातार प्रमाण सहित पत्र लिखकर वर्खास्त करने की मांग की।लेकिन इस चोरगुरू को कुलपति विभूति नारायण राय बचाते रहे हैं। कहा जाता है कि इस अंतरराष्ट्रीय चोर ने पद्मश्री पाने के लिए केन्द्रीय गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे तक पहुंचने, जुगाड़ लगाने की कोशिश शुरू कर दिया है। क्योंकि राज्य सरकार से संस्तुति या सूची भेजे जाने के बाद केन्द्रीय गृह मंत्रालय उनमें से छंटनी करता है। जिनके विरूद्ध किसी तरह का भ्रष्टाचार ,घोटाला,कदाचार का प्रमाण सहित शिकायत या मामला होता है उसका नाम किनारे कर देता है। कहा जाता है कि चूंकि केन्द्रीय गृह मंत्री शिंदे महाराष्ट्र के हैं और यह अंतरराष्ट्रीय चोरगुरू अपने संरक्षक छिनाली फेम वाले विरादर कुलपति वी.एन.राय आईपीएस के संरक्षण व सक्रिय सहयोग
V.N.RAI
से वर्धा ,महाराष्ट्र में प्रोफेसर बन अपना तंत्र फैला लिया है,इसलिए वहां के  सत्ताधारी नेताओं ,कार्यकर्ताओं के मार्फत शिंदे आदि के यहां पहुंचने व लाभ पाने की कोशिश शुरू कर दिया है। इस बारे में पता चलने पर लोग कहने लगे हैं कि क्या गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे इस अंतरराष्ट्रीय चोरगुरू को पद्मश्री दिलवा देंगे।  लेकिन इस चोरगुरू और उसके संरक्षक कुलपति विभूति नारायण राय आईपीएस को जानने वालों का कहना है कि जब इस चोर को इसका विरादर एक पुलिस वाला कुलपति बनने के बाद प्रोफेसर,डीन बना सकता है , बेशर्मी से तरह-तरह का तर्क देते हुए इसको बर्खास्त नहीं कर इतने साल तक  बचा सकता है , तो चोरगुरू इसी तरह के कुछ अन्य पुलिसवाले या भ्रष्टाचारी संरक्षक से शिंदे के यहां भी जुगाड़ लगाकर पद्मश्री पा सकता है।क्योंकि ऐसे लोगों का रैकेट बहुत बड़ा और मजबूत होता है।
प्रमाण के तौर पर  प्रस्तुत है महाराष्ट्र सरकार की पद्मश्री नामांकन सूची 2013

Nominations received for Padma Awards 2013
Sl No.
Name
1 .
Dr. M.S. Ashraf
2 .
Dr. Yatish Agarwal
3 .
Prof. Kishor Munshi
4 .
Prof. (Dr.) Bhashyam Swamy
5 .
Shri Muppavarapu Venkata Simhachala Sastry
6 .
Dr. K.P. Srivastava
7 .
Dr. Nabin Kumar Pattnaik
8 .
Dr. Kamal Dutta
9 .
Shri Vinayak Vishnu Khedekar
10 .
Dr. Jitendra Pal Singh Sawhney
11 .
Ms. Jaya Prada Nahata
12 .
Prof. Afzal Ahmad
13 .
Shri Brahmpal Singh Nagar
14 .
Dr. Duvvuru Nageshwar Reddy
15 .
Dr. (Smt.) Neerja Madhav
16 .
Dr. Keshav Kumar Agarwal
17 .
Shri Anand Mohan Mathur
18 .
Dr. (Smt.) Anjali Devi Penupatruni
19 .
Dr. Sudarshan K. Aggarwal
20 .
Shri Purnachandra Rao Saggurti
21 .
Shri Narendra Paruchuri
22 .
Shri Rajendra K. Saboo
23 .
Shri Kishore Jain
24 .
Shri Sougaijam Thanil Singh
25 .
Ustad Kamal Sabri
26 .
Pandit Arvind Parikh
27 .
Dr. Sunil Pradhan
28 .
Shri Harsh Kumar Bindu
29 .
Dr. H.K. Nagaraj
30 .
Dr. Manohar Krishnaji Dole
31 .
Shri Abhay Rustum Sopori
32 .
Shri Swapan Chandra Mahato
33 .
Dr. Manju Dang
34 .
Shri Nemichand Toshniwal
35 .
Prof. (Dr.) Amal Kumar Chakravarty
36 .
Shri Malladi Krishna Rao
37 .
Prof. Jyoti Prakash Wali
38 .
Dr. L. Subramaniam
39 .

Prof. (Dr.) Anil Kumar Rai
40 .
Shri Thomas Jacob
41 .
Shri Gajanand Gupta
42 .
Smt. Rohini Devi Harihareswar
43 .
Shri Vasiraju Prakasam
44 .
Dr. Utpal Kant Singh
45 .
Dr. Kamini A. Rao
46 .
Smt. Usha Barle
47 .
Shri Sankar Kumar Sanyal
48 .
Dr. Acharya Prabhakar Mishra 

........................................................
जांच का विषय यह  है कि इस चोरगुरू को पद्म श्री  देने के लिए पत्र किन-किन ने लिखा है ?  चोर गुरू ने  किस -किससे लिखवाया है ?


चोरगुरू प्रो.(डा.) अनिल कुमार राय से संबंधित अन्य खबर -

CORRUPTGURU,CHORGURU Anil Kumar Rai KO BACHA RAHE APSU REWA ke V.C.,REGISTRAR ?


Hindi me M.A. kiya chorgoru anil kumar rai ne nakal karake PHOTOGRAPHY ki kitab likhi


सांसद राजेन्द्र सिंह राणा ने मगांअंहिंवि वर्धा के कुलपति को अनिल कुमार राय के नकल करके पुस्तकें आदि लिखने की जांच की मांग कीथी,प्रमाण है 07-12-12 का पत्र


anil kumar rai ne research paper- "impact of mass ...


इसकी और भी खबरें इस ब्लाग में हैं ।

DESHI-VIDESHI SHIKSHA MAFIYAYON KO LABH PAHUNCHANE KE LIYE D.U. ME SHURU KIYA GAYA 4 VARSHIY GRADUATION COURSE

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देशी-विदेशी शिक्षा माफियाओं को लाभ पहुंचाने के लिए शुरू किया गया4 वर्षीय ग्रेजुएशन कोर्स
इसे बंद करके 2 वर्ष का किया जाना चाहिए ग्रेजुएशन
-कृष्णमोहन सिंह
नईदिल्ली। दिल्ली विश्वविद्यालय में 4 साल का ग्रेजुएशन कोर्स अमेरिका व  भारत की प्राइवेट शिक्षा लाबी को लाभ पहुंचाने के लिए यूपीए 2 में मनमोहन सिंह,मोंटेक सिंह,कपिल सिब्बल,पल्लम राजू ने लागू करवाया था ।  इसे दिल्ली विश्वविद्यालय में लागू कराने के कुछ साल बाद  पूरे भारत के विश्वविद्यालयों में लागू कराने की योजना थी। ताकि  छात्र जो स्नातक डिग्री 3 साल में लेते थे वह 4 साल  पढ़कर लें। यानी एक साल और समय लगावें। एकसाल और मोटी फीस दें। नौकरी पाने , नौकरी के लिए परीक्षा देने में में एक साल और गंवावें। यानी इस तरह यह 4 वर्षीय स्नातक योजना छात्रों की डिग्री लेने की लाइन और लम्बी करने ,उनको एक साल और उलझाए रखने,एक साल और  बर्बाद करने तथा शिक्षा को कमाई का बड़ा धंधा बना लिये देशी विदेशी शिक्षा माफियाओं को लाभ पहुंचाने के लिए शुरू किया गया। दिल्ली विश्वविद्यालय ने जब यह 4 वर्षीय स्नातक कोर्स शुरू किया था ,उस समय इसका बहुत विरोध हुआ था। लेकिन कुलपति दिनेश  ने यूपीए 2 के अपने आकाओं को खुश करने के लिए बहुत बढ़चढ़ कर इसे लागू किया ।
कई पूर्व अर्थशास्त्री व पूर्व कुलपति जो किसी खेमे से नहीं जुड़े हैं उनका साफ शब्दों में कहना है कि शिक्षा पैसा कमाने का एक बहुत बड़ा धंधा बन गया है । भारत में यह कई लाख करोड़ रूपये का कारोबार होने वाला है।  भारत में पहले से ही बेरोजगारी बहुत ज्यादा है , गरीबी है वहां स्नातक का कोर्स तो 3 साल से बढ़ाकर 4 साल करने के बजाय घटाकर 2 साल करना चाहिए।  अमेरिका के कई नामी विश्वविद्यालयों ने कई विषयों की पढ़ाई के लिए तो फीस और  कोर्स का वर्ष  ही घटा दिया है। जैसे ला का कोर्स 3 साल से घटाकर 2 साल का कर दिया। ऐसे में जब अमेरिका यह कर रहा है तो भारत में क्यों इससे उल्टा किया जा रहा है। क्यों नहीं यहां भी ग्रेजुएशन 3 साल की जगह 2 साल का किया जा रहा है। क्यों यहां 3 साल से बढ़ाकर 4 साल किया जा रहा है । इससे साबित होता है कि यह केवल देशी विदेशी शिक्षा माफियाओं की दुकान चलाने के लिए किया जा रहा है।
विश्व की सबसे अधिक युवा जनसंख्या भारत की है। यहां शिक्षा का बहुत बड़ा बाजार विकसित हो रहा है और अगले 50 साल तक तो रहेगा ही। ऐसे में विकसित देशों व अपने देश के शिक्षा के धंधें में लगे उद्योगपतियों,बिल्डरों,नेताओं,अफसरों की गिद्ध दृष्टि यहां  पर लगी हुई है।  जब विदेशी विश्वविद्यालयों को भारत में अपना कैम्पस खोलने या किसी विश्वविद्यालय के साथ मिलकर कैम्पस शुरू करने के मामले में यूजीसी ने नियम बनाया कि विश्व के टाप200 विश्वविद्यालय ही भारत में अपना कैम्पस खोल सकते हैं या भागीदारी में संस्था शुरू कर सकते हैं, तो इस पर अमेरिकी शिक्षा लाबी ने तबके शिक्षा मंत्री कपिल सिब्बल पर दबाव बनाकर यह नियम बदलवा दिया । क्योंकि इस नियम के कारण अमेरिका के बहुत से विश्वविद्यालय छंट जा रहे थे। जिसके बाद सिब्बल ने 200 की जगह 500 करा दिया। 
इससे अनुमान लगाया जा सकता है कि खेल मात्र 3 साल के ग्रेजुएशन कोर्स को 4 साल करने का नहीं है। इसके पीछे अमेरिकी व भारतीय शिक्षा लाबी के बड़े धंधे का खेल है।
और जो शिक्षक या शैक्षणिक संस्थाओं में लाबिंग करके मठाधीश बने बैठे लोग कह रहे हैं कि दिल्ली विश्वविद्यालय आटोनोमस बाडी है, वह जो चाहे निर्णय कर सकती है, यूजीसी या मानव संसाधन विकास मंत्रालय उसे डिक्टेट नहीं कर सकते हैं ,ऐसे महानुभाव केवल व केवल कुतर्क कर रहे हैं। ऐसे लोग आईआईटी खड़गपुर के एक मामले में सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय को देख लें। जिसमें साफ लिखा है कि फंडिग अथारिटी मानव संसाधन मंत्रालय है। वह हर काम की मानिटरिंग कर सकता है,आदेश दे सकता है। आटोनामी का मतलब मनमानी या दादागिरी कत्तई नहीं है।
इसी वजह से अब मांग होने लगी है कि कालेजों, विश्वविद्यालयों में अध्यापकों के सेवानिवृति की उम्र 58 वर्ष किया जाय। शिक्षकों का 10 बजे इंट्री और 5 बजे जाते समय रेटिना अटेंडेंस कम्पल्सरी किया जाये। जो अध्यापक नकल करके शोध पत्र लिखे हैं, पीएचडी थिसिस लिखे हैं , किताबें लिखें हैं ,उसके आधार पर नौकरी या प्रोमोशन पाये हैं उनको तुरंत बर्खास्त किया जाये। जिन कुलपतियों पर कैग ने भ्रष्टाचार का प्रमाण सहित आरोप लगाया है उनके विरूद्ध सीबीआई जांच कराकर घोटाले की रकम बसूला जाये,उन्हें जेल भेजा जाये। अध्यापकों को जब 58 वर्ष की उम्र में सेवानिवृत किया जायेगा तो जगह खाली होगी इससे उन तमाम प्रतिभाशाली छात्रों को जो पीएचडी करके बेरोजगार घूम रहे हैं ,  नौकरी मिलेगी। उन पर ऐसे युवकों को नियुक्ति मिलेगी। इस तरह बेरोजगारी भी दूर होगी। कुलपतियों को 60 साल की उम्र में सेवानिवृति देदी जाये। किसी भी डिग्री के लिए समय 4 साल ( टेकिनकल को छोड़कर,उनको भी कम करने का उपाय किया जाये)   कत्तई नहीं किया जाय। जो कोर्स चल रहा है उसे आधा प्रैक्टिकल कर दिया जाय , रोजगार से जोड़ दिया जा। दशकों से जो कुछ मुट्ठीभर मठाधीश बने तथाकथित शिक्षा शास्त्री तमाम कमेटियों पर कब्जा जमाये बैठे हैं उनको हटाकर आगे से किसी कमेटी में नहीं रखा जाये , क्योंकि यह एक बहुत बड़ा रैकेट बन गया है।  हर विश्वविद्यालय व कालेज  में सीटें दोगुनी किया जाये, इवनिंग क्लास चलाया जाये, ताकि अधिक से अधिक छात्र पढ़ सकें । 30 छात्र पर एक अध्यापक जैसे फार्मुले केवल धंधा के लिहाज से हैं।  कोचिंग संस्थानों में 500 तक के छात्रों का बैच चलता है । उनमें जो बच्चे पढ़ते हैं उनको जब समझ में विषय आ जाता है तो कालेजों व विश्वविद्यालयों में इतने बड़े क्लास में क्यों नहीं समझ में आयेगा।
.इन वजहों से ही लोग कहने लगे हैं कि  इस लम्बी क्यू वाली 4 साला ग्रेजुएशन कोर्स को तो तुरंत खत्म करके इसे वापस 3 नहीं बल्कि 2 साल का किया जाना चाहिए। और जो अध्यापक इसका विरोध कर रहे हैं उन पर कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए। उनसे कह देना  चाहिए कि अपने पैसे से कालेज खोलिए, वहां 4 साल के बजाय 5 साल का ग्रेजुएशन कोर्स चलाइये। 
.# यह खबर कई राज्यों में कई समाचार पत्रों में छपी है।   

MHRD KE AFASARON KI SHAH PAR AKARE HUYE HAIN D.U. KE V.C. DINESH

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दिल्ली वि.वि. का 4 वर्षीय स्नातक पाठ्यक्रम , पूरे देश में थी लागू करने की योजना

मंत्रालय के कुछ अफसरों की शह पर अकड़े व अड़े रहेहैं दिनेश सिंह
 - कृष्णमोहन सिंह
नई दिल्ली। दिल्ली विश्वविद्यालय के 4 वर्षीय स्नातक पाठ्यक्रम को खत्म करके फिर से 3 वर्षीय करने में  कुलपति  दिनेश सिंह यूं ही नहीं हिला - हवाली कर रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक मानव संसाधन विकास मंत्रालय के उच्चशिक्षा सचिव अशोक ठाकुर , उच्च शिक्षा संयुक्त सचिव आरपी सिसोदिया की शह के चलते दिनेश सिंह इतने दिन तक अड़े व अकड़े रहे हैं। इसमें पूर्व यूजीसी अध्यक्ष व आईसीएसएसआर के अध्यक्ष सुखदेव थोराट ,हैदराबाद विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति सैयद ई हसनैन जैसों की भी भूमिका रही। सूत्रों के मुताबिक ये अफसर व मास्टर यूपीए -2 सरकार के प्यारे रहे हैं। इनका आपसी लाभालाभ वाला एक अघोषित गुट बन गया है। जो एक  विचाराधारा विशेष को पोषित करने ,तरफदारी करने , बढ़ाने और उसके बदौलत खुद अपनी गोटी  सेट करता रहा है।

 
 कई पूर्व कुलपतियों व आचार्यों का कहना है कि प्रो. दिनेश सिंह ने दिल्ली वि.वि. का कुलपति पद पर रहते हुए कोई अपने मन से 4 वर्षीय स्नातक कोर्स तो लागू  किया नहीं, वह तो वही किये जो उनके आका कहे। हां उस समय उनके आका सोनिया गांधी ,मनमोहन सिंह , कपिल सिब्बल और उसके बाद पल्लम राजू थे ,अब उनके आका नरेन्द्र मोदी , स्मृति जुबिन ईरानी हो गये हैं। दिनेश सिंह इतने तो समझदार हैं ही । उनको अच्छी तरह मालूम है कि किसी भी केन्द्रीय वि.वि. का कुलपति बनने के लिए कितने पापड़ बेलने पड़ते हैं। जब पद पाने के लिए चरणवंदना किया जाता है ,सिफारिश लगवाया जाता है , तब तो आटोनामी नहीं याद रहती है। और जब निजाम बदल जाता है तब संविधान व आटोनामी की दुहाई देकर मनमानी करने की कोशिश होती है।
दिनेश सिंह जब उस समय अपने आकाओं के इशारे पर 4 साल का स्नात्तक कोर्स शुरू कराये थे तो अब उसे वापस 3 साल करने में क्या हो जा रहा था। उनसे नहीं हो पा रहा था तो पहले ही कुलपति पद छोड़ दिये होते। लेकिन ऐसा वह इसलिए नहीं किये क्योंकि उनको लगता था कि आटोनामी की आड़ में देशी विदेशी शिक्षा धंधेबाजों को लाभ पहुंचाने वाली 4 वर्षीय स्नातक योजना चला ले जायेंगे। जिसमें मंत्रालय के अफसरों, विभिन्न कमेटियों में कुंडली मारे बैठे रैकेटियर कुछ प्रोफेसरों,संगठनों का भी सक्रिय सहयोग मिल रहा था। कुछ संगठनों ने कहा था कि इस मुद्दे को सर्वोच्चन्यायालय में ले जाकर स्टे ले लिया जाये तो यह सरकार कुछ कर ही नहीं पायेगी । 4 साल का कोर्स जारी रहेगा। पल्लम राजू व शशि थरूर ने मंत्री रहते और उनके अफसरों ने इसी तरह का खेल नेट के पासिंग मार्क कम करने का दबाव बनाने के लिए किया था। एक तरफ कहा जा रहा था कि विश्वविद्यालयों व शिक्षा का स्तर सुधारने के लिए जरूरी है कि जो लोग पीएचड़ी करें ,शिक्षण में जायें वे प्रतिभाशाली हों। इसके लिए नेट के पासिंग का मार्क अधिक रखा गया था। जिसके कारण बीते वर्ष बहुत से परीक्षार्थी फेल हो गये। उनमें से कुछ ने कई हाईकोर्ट में केस जीत लिया । जिसपर तबके मंत्री थरूर व उच्चशिक्षा अफसरों ने नेट का पासिंग मार्क कम करके परिणाम घोषित करने का दबाव बनाया। लेकिन यूजीसी ने कहा कि हाइकोर्ट के फैसलों के विरूद्ध सर्वोच्च न्यायालय में जायेंगे। वहां यह मामला गया और यूजीसी ने केस जीत लिया। अब यूपीए सरकार के जाने के बाद से उन अफसरों की लाबी ने खबरें प्लांट कराना शुरू किया कि यूजीसी ने सर्वोच्च न्यायालय में केस लड़ने में इतने लाख रूपये बर्बाद कर दिया। कई लाख रूपये देकर मंहगे वकील किये थे। सवाल यह है कि जब मंहगा वकील नहीं करेंगे तो सर्वोच्च न्यायालय में केस जीतेंगे कैसे। और केस जीतने के लिए बड़ा वकील करना ही पड़ेगा। और  मंत्रालय व यूजीसी ने जो नियम बनाया है उसे लागू कराने,बचाने के लिए केस जीतना ही पड़ेगा। फंड इसके लिए भी तो होता है। अब दिल्ली विश्वविद्यालय के कुछ अध्यापक या उनके संगठन 4 वर्षीय स्नातक कोर्स मामले में सर्वोच्च न्यायालय गये थे स्टे के लिए। सर्वोच्च न्यायालय ने स्टे नहीं देकर कहा कि हाइकोर्ट में जाओ। तो हाइकोर्ट में केस .यदि दायर  हुआ तो सुनवाई होगी तो यूजीसी को पैरवी के लिए बड़े वकील करना ही पड़ेगा। उसमें रकम खर्च होगी ही। यदि अच्छा वकील नहीं किया जायेगा तो मंत्रालय व यूजीसी केस हार जायेगा । केस हार जायेगा तो भारत के कई लाख करोड़ रूपये के शिक्षा बाजार पर गिद्ध दृष्टि लगाये अमेरिकी व भारतीय शिक्षा धंधेबाजों व उनके एजेंटों की चांदी हो जायेगी। जिनने लाबिंग करके सोनिया,मनमोहन,मोंटेक व कपिल सिब्बल से पहले दिल्ली वि.वि. में यह 4 वर्षीय स्नातक पाठ्यक्रम शुरू कराया, जिसे बाद में पूरे भारत के विश्वविद्यालयों में लागू कराने की योजना थी।. ज्यादेतर छात्रों व लोगों का कहना है कि ऐसा न होने पाये इसके लिए भारत सरकार को हर हिकमत लगानी पड़ेगी। दिल्ली वि.वि. में शुरू किया गया 4 वर्षीय स्नातक कोर्स चाहे जैसे भी हो खत्म करना ही पड़ेगा और ऐसा कोर्स भारत के किसी अन्य वि.वि. में लागू नहीं हो इसका भी नियम बनाना पड़ेगा। इसके विरोध को हवा दे रहे मंत्रालय के अफसरों,पदाधिकारियों,कमेटियों के अध्यक्षों ,सदस्यों को भी बाहर का रास्ता दिखाया जाना चाहिए। 
* यह खबर कई समाचार पत्र में छपी है।

HINDI WRITERS AGAINST CSAT

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सी-सैट खत्म करने की मांग को लेकर हिन्दी साहित्यकार भी होने लगे एकजुट
- कृष्णमोहन सिंह
नई दिल्ली। लोकसेवा आयोग की परीक्षा से सिविल सर्विसेज एप्टीट्यूड टेस्ट (सी-सैट) हटाये जाने की मांग के मामले में बहुत दिनों तक मुंह बंद किये रहने के बाद अब हिन्दी के प्रख्यात साहित्यकारों में भी गुस्सा बढ़ने लगा है। साहित्यकारों में इस मुद्दे पर दलगत राजनीति के झगड़े में पड़े बिना, सी-सैट को  खत्म किये जाने की मांग को लेकर सहमति बनने लगी है। इसके लिए केन्द्र सरकार को पत्र  लिखने, सी-सैट को खत्म करने की अपील करने के लिए विचार-विमर्श शुरू हो गया है। और यदि  24 अगस्त को होने वाली सिविल प्रीलीम परीक्षा हो जाने पर उसे आधार बनाकर सी-सैट पैटर्न पर ही इस साल परीक्षा कराने की शातिर चाल चलने की कोशिश यूपीएससी कर रहा है तो 24 वाली परीक्षा रद्द करने या सी-सैट खत्म किये जाने तक आगे  टालने की मांग पर भी विचार हो रहा है। ताकि इस साल की परीक्षा सी-सैट लागू होने से पहले वाले पैटर्न पर हो सके। देश के मूर्धन्य हिन्दी साहित्कारों का मानना है कि यूपीएससी आटोनामी के नाम पर पर मनमानी कर रहा है। वह कैसे और किसकी शह पर बयान दे रहा है कि ना तो सी-सैट का पैटर्न बदलेगा नाही 24 अगस्त को होने वाली परीक्षा टलेगी। कई साहित्यकारों ने तो आपसी बातचीत में यूपीएससी के पदाधिकारियों व सदस्यों की नियुक्तियों पर भी उंगली उठाई और कहा कि इनमें ज्यादेतर  सेटिंग व जुगाड़ और राजनीतिक नियुक्ति वाले बैठे हैं। सोनिया मनमोहन सरकार के प्रधानमंत्री कार्यालय में काबिज मलयाली लाबी ने सोनिया मनमोहन जैसे अंग्रेजी प्रेमियों को खुश करने और दक्षिणभारत के छात्रों पर भारी पड़ने लगे  हिन्दी भाषी राज्यों के छात्रों को शातिर तरीके से सिविल सेवा परीक्षा में सफल नहीं होने देने के लिए सी-सैट पैटर्न लागू कराया। इसे लागू होने पर जब परिणाम आया तो हिन्दी भाषी राज्यों के छात्रों का काफी हद तक सफाये का प्रमाण , इसके विरोध का कारण बना । इससे यह साबित हो गया कि सोनिया मनमोहन और उनके अंग्रेजीदा अफसरों व यूपीएससी के बाबूओं द्वारा साजिशन लागू कराया  गया सी-सैटी हथियार हिन्दी भाषी छात्रों के विरूद्ध बहुत ही कारगर साबित हो रहा है। रही सही कसर सिविल परीक्षा में अंग्रेजी का बहुत ही गलत और उल्टा पुल्टा हिन्दी अनुवाद कराकर पूरा कर दिया जा रहा है। लेकिन यह कराने वाले यूपीएससी चैयरमैन व अन्य अफसरों सदस्यों को अब तक हटाया नहीं गया। जबकि इसके चलते सैकड़ों परीक्षार्थियों का जीवन बर्बाद हो गया।
अचरज यह है कि जिस कांग्रेसी सरकार के समय यह सी-सैट लागू हुआ आज सत्ता से बाहर होने पर वही कांग्रेस और उसका छात्र संगठन इस सी-सैट के विरोध में अपने नेताओं के घर के सामने नहीं ,भाजपा के सत्ताधारी नेताओं के घर के सामने धरना प्रदर्शन कर रहे हैं।
और जिस भाजपा की केन्द्र में सरकार है उसका छात्र संगठन - अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद भी सी-सैट को खत्म करने के लिए धरना दे रही है। इस तरह गजब तमाशा हो रहा है। संसद के दोनों सदनों में इसे सपा,राजद,जदयू वाले जोर-शोर से उठा रहे हैं। इस मामले अभी तक हिन्दी के नामी लोग इस उम्मीद में चुप्पी साधे हुए थे कि नरेन्द्र मोदी ने चुनाव प्रचार के दौरान  और प्रधानमंत्री बनने के बाद भी हिन्दी को बढ़ावा देने की बात कही थी, सो वह अपने बचन का पालन जरूर करेंगे ।और त्वरित गति से करेंगे। लेकिन इतने दिन तक इस मामले को वर्मा कमिशन की रिपोर्ट आने के नाम पर टाला गया और जब सोनिया-मनमोहन सरकार द्वारा नियुक्त वर्मा समिति की सी-सैट की तरफदारी वाली तथाकथित रिपोर्ट की बात सामने आई तब साहित्यकारों में इस पर आवाज उठाने की बात होने लगी है। इनमें से कईयों का कहना है कि जिस यूपीए सरकार ने सी-सैट लागू किया उसके द्वारा अपने जीहजूर पूर्व अफसरों वाली समिति बनाई गई, ऐसे में वह वर्मा समिति कैसे यूपीए सरकार के समय लागू सी-सैट के विरूद्ध रिपोर्ट देती। या तो उस 3 सदस्यीय वर्मा समिति में  मोदी सरकार अपने 4 लोगों को रखकर उसे 7 सदस्यीय बना दी होती और एक हप्ते में रिपोर्ट मांग लेती , देखते वह रिपोर्ट सी-सैट को खत्म करने वाली आ जाती। लेकिन लगता है इस सरकार के प्रधानमंत्री कार्यालय में काबिज यूपीए सरकार के समय के अफसर ऐसा चाहते नहीं थे। इन सब वजह से हिन्दी साहित्यकारों में  अब केन्द्र सरकार को पत्र लिख, जनता से  अपील कर,  सी-सैट को जल्दी खत्म करने की मांग पर सहमति बनने लगी है। इस बारे में प्रसिद्ध कहानीकार काशी नाथ सिंह का कहना है कि इसके लिए वह कुछ साहित्यकारों से  बात कर रहे हैं। 
*यह खबर हिन्दी दैनिक "पंजाब केसरी"दिल्ली में 03-08-2014 को पेज 7 पर व अन्य कई राज्यों के समाचार पत्रों में छपी है।


Modi ke uchchshiksha vision ko palita lagane ki taiyari, UGC review committee Invitees me jyadetar CHORGURU,BHRASTACHARI

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मोदी के उच्चशिक्षा विजन को पलीता लगाने की तैयारी
आमंत्रितों में ज्यादेतर चोरगुरू ,भ्रष्टाचारी
-कृष्णमोहन सिंह
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी देश की शिक्षा उच्चशिक्षा को सुधारने ,उसे अमेरिका और यूरोप के बराबरी में लाने के लिए जो विजन तैयार किये हैं उसे साकार करने के लिए जो समिति बनाई गई है,उसने सुझाव के लिए जिनको आमंत्रित की है उनमें ज्यादेतर  चोरगुरू ,भ्रष्टाचारी,घोटालाआरोपी जातिवादी और रैकेटियर शामिल हैं। यह समिति मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने बनाई है। सूत्रों के मुताबिक इस समिति को बनवाने व इसके सदस्यों के चयन में संयुक्त सचिव उच्च शिक्षा आरपी सिसोदिया ( यूपी कैडर के हैं, डेपुटेशन पर हैं, टर्म खत्म हो गया है , एक्सटेंशन पर हैं, यूपीए सरकार ने जाते-जाते एक्सटेंशन दिया ) और मंत्री स्मृति ईरानी के अघोषित ओएसडी संजय कचरू की प्रमुख भूमिका बताई जा रही है।
सूत्रों के मुताबिक मानव संसाधन विकास मंत्रालय के उच्च शिक्षा सचिव अशोक ठाकुर सेवानिवृत होने वाले हैं ,सारा काम एक्सटेंशन पर चल रहे और स्मृति के विश्वासपात्र हो जाने के कारण फिर एक्सटेंशन पाने की बात कह रहे संयुक्त सचिव आरपी सिसोदिया देख रहे हैं। सिसोदिया के हस्ताक्षर से ही 30 जुलाई 2014 को  विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की रिव्यू कमेटी बनाने का आदेश निकला है।  बीएचयू का कुलपति रहने के दौरान भ्रष्टाचार व छात्र विरोधी गतिविधियों  के आरोपों के कारण दूसरा टर्म नहीं पाने वाले( तबके राष्ट्रपति केआर नाराय़नन ने इनके नाम वाली फाइल वापस लौटा दी थी, उसके बाद  गौतम ने तबके शिक्षा मंत्री डा. मुरली मनोहर जोशी का पैर पकड़ कर यूजीसी का चेयरमैन बन गये थे, अब जोशी के यहां जाते नहीं हैं )  डा. हरि गौतम की अध्यक्षता में 4 सदस्यीय  समिति बनाई गई है । जिसमें हरि गौतम, प्रो.सीएम जरीवाला ,प्रो. कपिल कपूर और आरपी सिसोदिया हैं। जिसे 6 माह में  रिपोर्ट सौंपनी है। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग को कैसे ठीक किया जाय,भ्रष्टाचार खत्म किया जाय ,सुधारा जाय ,उन्नत किया जाय , इस पर सुझाव लेने के लिए जिन 13 लोगों को 5 अगस्त 2014 और 13 लोगों को  6 अगस्त 2014 को आमंत्रित किया गया है, उनमें देश विदेश के विद्वानों की कापीराइट वाली शोध पत्रों, पुस्तकों आदि से सामग्री हूबहू उतारकर  मात्र एक साल में ही अपने नामसे 29  पुस्तकें छपवा लेने वाले चोरगुरू प्रो. रमेश चन्द्रा , हैदराबाद में  कुलपति पद पर रहने के दौरान भ्रष्टाचार के आरोपी प्रो. एसई हसनैन, रविशंकर विश्वविद्यालय रायपुर और गुरूघासीदास वि.व. विलासपुर में कुलपति रहने के दौरान बहुत भ्रष्टाचार व अपनी जातिवालों को भर देने के आरोपी  ( उच्च न्यायलय में मुकदमा चल रहा है, लोकायुक्त ने इनके खिलाफ टिप्पणी की है)प्रो. लक्ष्मण चतुर्वेदी , भ्रष्टाचार आरोपी प्रो.थोराट के साथ  यूजीसी को भ्रष्टाचार का गढ़ बनाने वाले और डीम्ड विश्वविद्यालयों को मान्यता देने की शुरूआत कराने वाले यूजीसी के पूर्व सचिव आरके चौहान, भ्रष्टाचार आरोपी टीआर केम ,डा.एन.के.जैन, एके डोगरा आदि जैसे लोग हैं।
 
review committee of UGC ,Name sl.no. 1- Dr.Hari Gautam


LIST OF DATE05-09-14 ,SL.NO.7- CORRUPT GURU LAKSHMAN CHATURVEDI,&10- S.E.HASNAIN etc

LIST OFDATE 06-09-14  sl. no. 5 is the name of CHORGURU prof.Ramsesh Chandra,sl.no.7-G.D. Sharma, 8- R.K. Chauhan,9- TR KEM,10-N.K.JAIN,11-DEV SWAROOP,12-A.K.DOGRA,1-LAKSHMAN CHATURVEDI

CHORGURU prof. RAMESH CHANDRA



* स्टार समाचार , सतना , भोपाल में यह खबर 05-09-2014 को पृष्ठ 8 पर छपी है। 
 http://epaper.starsamachar.com/332843/Star-Samachar/05.09.2014-#page/8/1
लोकमत , लखनऊ में 05-09-2014 को छपी है। अन्य कई अखबार में भी छपी है।  

चोरगुरूप्रो. रमेश चन्द्रा के बारे में CNEB NEWS CHANNEL में "चोरगुरू"के कई एपीसोड में दिखाया गया था - इसके बारे में यह पढ़ें-


Sunday, April 4, 2010

पूर्व कुलपति रमेश चन्द्रा बर्खास्त: शैक्षणिक कदाचार व मैटरचोरी के आरोपी
-सत्ताचक्र-sattachakra.blogspot.com
नकलकरके एक साल में 29 किताबें लिखने के आरोपी बुंदेलखंड विश्वविद्यालय,झांसी(उ.प्र.) के पूर्व कुलपतिप्रो. रमेश चन्द्रा कोशैक्षणिक कदाचार व नकलचेपी कारनामो के चलते दिल्ली विश्वविद्यालय केबी.आर.अम्बेडकर सेंटर फार बायोमेडिकल रिसर्च के निदेशक ( Pro. RAMESH CHANDRA , DIRECTOR- B.R.AMBEDKAR CENTRE FOR BIOMEDICAL RESEARCH , DELHI UNIVERSITY ) पद वनौकरी से बर्खास्त कर दिया गया।दिल्ली वि.वि. ने प्रो.रमेश चन्द्रा के शैक्षणिक कदाचार की जांच एक रिटायरजज से कराई ।जिसके बाद रमेश चन्द्रा को बर्खास्त किया गया। इसबारे में जब CNEB न्यूज चैनल की टीम ने दिल्ली वि.वि. के कुलपति , वि.वि. केएक्जक्यूटिव कमेटी के सदस्यों और जज से बात करने की कोशिश की तो सबकेसबकन्नी काट लिये। इस पर आन कैमरा एक भी शब्द बोलने को तैयार नहीं हुए।
मालूमहो कि CNEB न्यूज चैनल ने अपने खोज परक कार्यक्रम चोरगुरूके नौंवेएपीसोड में रविवार 13 -12-09 को रात्रि 8 बजे से साढ़े आठ बजे के स्लाटमें, प्रो. रमेश चन्द्रा के नकल करके किताबें लिखने और अपने नाम छपवाने केकारनामों को सप्रमाण दिखाया था। जिसके आधार पर इन शैक्षणिक कदाचारीचोरगुरूओं के खिलाफ जांच के लिए कई सांसदो ने राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री,केन्द्रीय शिक्षामंत्री और राज्यपाल को पत्र लिखा है।ज्यादेतर कुलपति तो ऐसे शैक्षणिक कदाचारी चोर गुरूओं, नकल करके लिखी उनकीकिताबों को छापने वाले पब्लिशर/ सप्लायरों को अन्दर अन्दर बचाने की हर तरहसे कोशिश कर रहे हैं। लेकिन इस चक्कर में जब उन कुलपतियों की नौकरी परतलवार लटकने की नौबत आ रही है तो अपना गला बचाने के लिए जांच कराने काउपक्रम कर रहे हैं। इस जांच में भी खेल हो रहा है । कुछ कुलपति तो अपनेचहते शैक्षणिक कदाचारी चोरगुरूओं को बचाने के लिए किसी अपने या कदाचारी केपूर्व परिचित व खास को ही जांच कमेटी का अध्यक्ष बना दे रहे हैं ।और कुछ तोउनसे भी एक हाथ आगे जाकर उस प्रोफेसर को जांच सौंप रहे हैं जिसके खिलाफ हीशैक्षणिक कदाचार का आरोप है । राज्यपाल के आदेश से जिसकी विजिलेंस जांच चलरही है।
रमेश चन्द्रा के बारे में 12 दिसम्बर 2009 को सत्ताचक्रमें जो छपा था उसे यहां दिया जा रहा है-

पूर्वकुलपति रमेश चन्द्रा के नकलचेपी कारनामे और उस पर पूर्व केन्द्रीय शिक्षा मंत्री डा.जोशी की कड़ी टिप्पणी CNEB पर
CNEB
न्यूज चैनल पर दिखाये जा रहे खोजपरक कार्यक्रम चोरगुरूके अगले एपीसोडमें बुंदेलखंड विश्वविद्यालय,झांसी(उ.प्र.) के पूर्व कुलपति प्रो. रमेशचन्द्रा के नकल करके एक साल में 29 किताबें लिखने के काले कारनामों कोदिखाया जायेगा। जिस पर पूर्व मानव संसाधन विकास मंत्री डा. मुरली मनोहरजोशी की टिप्पणी भी दिखाई जायेगी। प्रो.रमेश चन्द्रा अभी दिल्लीविश्वविद्यालय के बी.आर.अम्बेडकर सेंटर फार बायोमेडिकल रिसर्च के निदेशक ( Pro. RAMESH CHANDRA , DIRECTOR- B.R.AMBEDKAR CENTRE FOR BIOMEDICAL RESEARCH , DELHI UNIVERSITY ) हैं , और उ.प्र. में किसी वि.वि. में कुलपतिबनने के लिए जुगाड़ लगाये हुए हैं। चोर गुरू के इस नौंवे एपीसोड में यहदिखाया जायेगा कि पत्रकारद्वय संजयदेव व कृष्णमोहन सिंह की टीम ने जब कैमराके सामने प्रो. रमेश चन्द्रा से उनके नकलचेपी कारनामो के बारे पूछा तो किसतरह पहले तो वह बड़े ही टालू अंदाज में कहे यह तो एडिटेड बुक है ।फिर जबउनको दिखाया गया कि इसमें एडिटेड बुक का कोई प्रमाण ही नहीं है। केवल उपरएडिटेड बुक लिख दिया गया है। इस किताब के सभी चैप्टर केवल आपने लिखा है ।कौन चैप्टर किससे लिखवाया है ,किस लेखक ने लिखा है,उसका डिटेल क्या ,कहींकुछ नहीं दिया है। न कोई रिफरेंस नहीं और कुछ। यह किताब कई देशी विदेशीकिताबो आदि से पेज के पेज ,चैप्टर के चैप्टर मैटर हूबहू उतार कर बनाई गईहै। किस किताब से ,कहां से मैटर हूबहू उतार कर पुस्तक बनाई गई है यह प्रमाणदिखाने पर प्रो. रमेश चन्द्रा ने ठीक वही शब्द कहा जो जामिया मिलियाइस्लामिया,दिल्ली का नकलचेपी रीडर दीपक केम ने कहा था- यह तो मेरी किताब हीनहीं है। चन्द्रा ने कहा कि इसे तो मैंने लिखा ही नहीं है। इस किताब से तोमेरा कोई लेना देना ही नहीं है। जब रमेश चन्द्रा से यह पूछा गया कि जब आपकी लिखी किताब नहीं है तो प्रकाशक ने आपके नाम से यह पुस्तक छापा कैसे, इतने दिनो से कैसे बेच रहा है, आपने अब तक उसके खिलाफ केस क्यों नहीं किया ? किया तो ,उसका प्रमाण दे दीजिए ? प्रमाण मांगने पर चन्द्रा ने कहा कहींहोगा। लेकिन प्रो.चन्द्रा ,आपने तो एक साल में 29 तक किताबें लिखी हैं। जोकि कई-कई वालूम में इन्साइक्लोपीडिया के रूप में छपी हैं।उन सभी पुस्तकोंके अंतिम कवर पेज के अंदर वाले पेज पर आपका चित्र आपही के बायोडाटा सहितछपा है। इस सवाल पर भी प्रो. चन्द्रा ने झट से कह दिया वे सब भी मेरीलिखी पुस्तकें नहीं है। यह पूछने पर कि आपके नाम से पुस्तकें छपी हैं आप कहरहे हैं आपकी लिखी नहीं है,आपकी नहीं हैं, फिर किसकी हैं ? इस पर चन्द्राने बड़े ही चालाकी वाला जबाब दिया- यह तो आप प्रकाशक से पूछिये। उसके बादपत्रकारद्वय संजयदेव व कृष्णमोहन सिंह की टीम गई प्रो.रमेश चन्द्रा केपुस्तकों के प्रकाशक कल्पाज प्रकाशन, ईशा प्रकाशन से जुड़े गर्ग के यहांदरिया गंज ,नई दिल्ली। उनको जब, रमेश चन्द्रा ने जो कहा था वह बताया गया तोउन्होने कहा- क्या पब्लिशर पागल है जो अपने मन से किसी की किताबें छापेगाया किसी के नाम पर किताबें छाप कर बेचेगा।उसे मरना है क्या? गर्ग ने प्रमाणसहित बताया कि जितनी भी ,जो भी पुस्तकें, वालूम की वालूम इनसाइक्लोपीडियाप्रो. रमेश चन्द्रा के नाम से छपी हैं सबका मैटर वही दिये हैं। उन्होनेलिखित दिया है कि ये उनकी मौलिक कृति हैं। गर्ग ने जिसकी छायाप्रति आनकैमरा दिया है। चोरगुरू के इसके पहले के एपीसोड में दिखाया जा चुका है किबुंदेलखंड वि.वि. के एक प्रो. डी.एस.श्रीवास्तव ने कैमरे के सामने कहा हैकि रमेश चन्द्रा मैटर लाकर उनको देते थे, कहते थे कि इसमें से मैटर छांट करउनके ( प्रो. रमेश चन्द्रा) नाम से किताब बना दो, जो मैटर बचे उससे अपने (डी.एस.श्रीवास्तव )और सरिता कुमारी ( प्रो.रमेश चन्द्रा की चचेरी बहन जोइस समय जामिया मिलिया इस्लामिया,दिल्ली में लेक्चरर हैं) के नाम सेपुस्तकें बना लो। इस तरह नकल करके पुस्तकें लिखने ,लिखवाने,छपवाने, उन्हेबिकवाने,एक दूसरे को मदद पहुंचाने, नौकरी संरक्षण देने-दिलानेवालेकुलपतियों, मैटरचोर मौसेरे प्रोफेसर,रीडर,लेक्चरर भाइयों काविश्वविद्यालयों में बड़ा रैकेट बन गया है। जिसका भंडापोड़ CNEB न्यूजचैनेल पर चोरगुरूकार्यक्रम में हो रहा है। यह कार्यक्रम रविवार 13 -12-09 को रात्रि 8 बजे से साढ़े आठ बजे के स्लाट में दिखाया जायेगा।

RELIANCE KA LIAISONING VICE PRESIDENT SANJAY KACHROO BANA SMRITI IRANI KA AGHOSHIT OSD

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रिलायंस के लाइजनिंग वाइस प्रेसिडेंट  संजय कचरू बने स्मृति ईरानी के अघोषित ओएसडी
क्या मुकेश अंबानी ने अपने इस लाइजनर को रखवाया है या स्मृति ने अपनी पसंद से रखा है
बड़ा सवाल यह है कि कचरू 2 लाख रू. से अधिक की वेतन वाली नौकरी छोड़ क्यों 60 हजार रू. की नौकरी पर स्मृति के यहां आया है
क्या यह प्रधानमंत्री को मालूम है
-कृष्णमोहन सिंह
नईदिल्ली। मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति जुबिन ईरानी के विशेष कार्यकारी अधिकारी (ओएसडी) के तौर पर ( अघोषित रूप से) रिलायंस के लाइजनिंग वाइस प्रेसिडेंट संजय कचरू काम कर रहे हैं। स्मृति के यहां से सभी फाइल कचरू को भेजी  जा  रही हैं , वहां से आगे बढ़ाई जा रही हैं। जिसके चलते चर्चा होने लगी है कि मानव संसाधन विकास मंत्रालय में स्मृति ईरानी के बाद सबसे पावरफुल उनके अतिअंतरंग संजय कचरू हैं। और सवाल किया जाने लगा है कि सुंदर चेहरे मोहरे डीलडौल वाले अपने लाइजनर कश्मीरी संजय कचरू को मुकेश अंबानी ने मानव संसाधन मंत्रालय में स्मृति ईरानी के यहां रखवाया है या स्मृति ने अपने पहले के संबंधों के चलते कचरू को अपना अघोषित ओएसडी बना लिया है।इसके बारे में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पता है या नहीं इसपर भी सवाल किया जाने लगा है। क्योंकि यदि प्रधानमंत्री के यहां से संजय कचरू का नाम स्मृति ईरानी के ओएसडी पद के लिए मंजूर हो गया होता तो कचरू अपने कमरे के बाहर अपने पद वाला नेम प्लेट लगवा लिया होता। यह भी कहा जा रहा है कि स्मृति जुबिन ईरानी अक्सरहां मुकेश अंबानी के यहां मुंबई आशिर्वाद लेने जाती रही हैं। सो हो सकता है कि मुकेश अंबानी ने अपने लाइजनर कचरू को उनके यहां रखवाया हो । और मुकेश अंबानी ने रखवाया होगा तो नरेन्द्र मोदी उसके नाम की मंजूरी देंगे ही । वैसे तो यदि स्मृति ने खुद ही कचरू को रखा है तो भी मोदी मना नहीं करेंगे, ऐसा मंत्रालय व बाहर के लोगों का कहना है। 
लेकिन कचरू को चाहे मुकेश अंबानी रखवाये हैं या खुद स्मृति ईरानी ने अपनी पसंद के कारण रखा है ,सबसे बड़ा सवाल यह है कि संजय कचरू मुकेश अंबानी की कंपनी में रिलायंस इंडस्ट्रीज में वाइस प्रसिडेंट कारपोरेट(लाइजनिंग) के पद पर जब 2 लाख रूपये से अधिक तनख्वाह पा रहे थे तो उसको छोड़कर 60 हजार रू. महिने के वेतन पर स्मृति ईरानी का ओएसडी क्यों बने ? इसको लेकर तरह तरह की चर्चा शुरू हो गई है।    जहां तक संजय कचरू के काम व अनुभव का सवाल है तो वह बहुत पहले  मुकेश अंबानी वाली रिलायंस इन्फोकाम में लाइजनिंग विभाग में लगभग 4 लाख रू. सालाना तनख्वाह पर थे। वहां से उद्योगपति  रूईया के यहां लाइजनिंग विभाग ( कारपोरेट) में चले गये थे । लगभग 7 माह पहले वापस मुकेश अंबानी की कम्पनी रिलायंस इंडस्ट्रीज में लाइजनर वाइस प्रेसिडेंट के पद पर लगभग 25 लाख रू. से अधिक की सेलरी पर आ गये। लेकिन जब स्मृति जुबिन ईरानी ने मंत्री पद का शपथ ग्रहण किया और मानव संसाधन विकास मंत्री बनीं ,उसके बाद संजय कचरू ने रिलायंस इंडस्ट्रीज के वाइस प्रेसिडेंट ,कारपोरेट के पद से इस्तीफा दे दिया।इस्तीफा मंजूर हुआ या नहीं ,या वहां से तीन माह के नोटिस पीरियड में ही ईरानी का काम संभाल लिये,वहां से महिने का 2 लाख रू. से अधिक वाला वेतन ले रहे हैं या मानव संसाधन विकास मंत्रालय से ओएसडी पद जो निदेशक रैंक का है, लगभग 60 हजार रू. महिना वाला वेतन ले रहे हैं, इसके बारे में कोई साफ जवाब नहीं दे रहा है।स्मृति के विश्वासपात्रों में से कुछ का कहना है कि संजय कचरू मंत्री जी के बहुत घनिष्ट व अंतरंग हैं। कई नेताओं का भी कहना है कि मंत्री ने उनसे जो भी काम हो संजय कचरू से ही बात करने को कही हैं। वह ( कचरू) शास्त्री भवन के मानवसंसाधन विकास मंत्रालय वाले विंग में तीसरे मंजिल पर मंत्री के कमरे के नजदीक कमरा नम्बर 314 में बैठते हैं। और मंत्रालय में मंत्री के बाद धमक व हनक उनकी ही है।जिसके चलते लोग कहने लगे हैं कि मंत्रालय तो दो लोग चला रहे हैं ,संजय कचरू और एक्सटेंशन पर चल रहे संयुक्त सचिव उच्च शिक्षा आरपी सिसोदिया।
स्वदेश ,इंदौर ,दिनांक 10-09-2014,पृष्ठ 5
*यह खबर"स्टार समाचार"सतना,भोपाल , "लोकमत"लखनऊ सहित कई राज्यों के कई समाचार पत्रों में भी छपी है।  
*इसे भी पढ़ें - 
Modi ke uchchshiksha vision ko palita lagane ki ta... 

UGC REVIEW COMMITTEE KE INVITEES ME CHORGURU BHRASTACHARI ,BAITHAK ME NAHI NIKALI CHORON-BHRASTACHARIYON KO BARKHAST KARANE VALI BAKAAR , KAISE HOGA MODI KA SAPANAA SAAKAAR

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यूजीसी रिव्यू कमेटी के आमंत्रितों में ज्यादेतर  चोरगुरू ,भ्रष्टाचारी
5 व 6 अगस्त 14 को हुई बैठक में किसी ने भी शिक्षण संस्थानों से चोरगुरूओं को बर्खास्त करने,भ्रष्टाचारी शिक्षकों को मंत्रालयों ,विश्वविद्यालयों के किसी कमेटी में नहीं रखने का सुझाव नहीं दिया , यानी चोरगुरूओं,भ्रष्टाचारीगुरूओं की चांदी  रहेगी, रैकेट चलता रहेगा
ऐसे में कैसे होगा नरेन्द्र मोदी का उच्च शिक्षा को भ्रष्टाचार मुक्त करने ,गुणवत्ता सुधारने का  सपना साकार ?
-कृष्णमोहन सिंह
नई दिल्ली। सूत्रों के मुताबिक 5 और 6 अगस्त 2014 को यूजीसी रिव्यू कमेटी की हुई बैठक में जो चोरगुरू और भ्रष्टाचार आरोपित मास्टरजी लोग थे उनने देशी विदेशी विद्वानों,प्रोफेसरों आदि की कापी राइट वाली  पुस्तकों ,शोधपत्रों आदि से हूबहू कटपेस्ट करके अपने नाम से किताब छपवा लेने वाले,शोध पत्र बना लेने वाले ,पीएचडी थीसिस लिखने वाले और उसके बदौलत नौकरी ,प्रमोशन पाने,हेड व कुलपति बनने वाले ,उन नकल करके लिखी पुस्तकों को विश्वविद्यालयों , महाविद्यालयों के पुस्तकालयों में बिकवाने वाले लेक्चररों,प्रोफेसरों,कुलपतियों को बर्खास्त करके शिक्षा में सुधार करने के बारे में एक शब्द नहीं बोले। यह भी नहीं कहा कि जिन कुलपतियों, प्रोफेसरों , अधिकारियों पर भ्रष्टाचार के प्रमाण सहित गंभीर आरोप हैं उनको राज्य व केन्द्र के शिक्षा मंत्रालय व विश्वविद्यालयों के किसी भी कमेटी में नहीं रखा जाये। क्योंकि इनमें से ज्यादेतर तो ऐसे ही हैं।ऐसे में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के उच्च शिक्षा विजन को कैसे सफलता मिलेगी ?
 
स्वदेश,इंदौर,दिनांक 11-09-2014, पृष्ठ 5

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CORRUPT GURU ,CHOR GURU JI LOGON KO KAREN BENKAB , BACHAVEN BHRASTACHARIYON SE SHIKSHA

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आपके कालेज,महाविद्यालय,विश्वविद्यालयमें कई भ्रष्ट्राचारीगुरू,चोरगुरू  होंगे। बहुत से कुलपति और रजिस्ट्रार भी जिसतरह से नियुक्त हो रहे हैं और भ्रष्टाचार,जातिवाद  को बढ़ावा दे रहे हैं, कालेज और विश्वविद्यालय के भवन निर्माण,पुस्तक खरीद ,नियुक्ति में मोटाचढ़ावा ले रहे हैं  उससे शिक्षा के ये मंदिर भ्रष्टाचार के गटर बनते जा रहेहैं। यदि कोई पुलिस वाला या मास्टर या कोई अन्यधंधा करने वाला अपने किसीपंथी नेता से केन्द्रीय शिक्षा मंत्री के यहां सिफारिश लगवाकर , राष्ट्रपति के यहां जुगाड़ लगवाकर या पुष्पम् -पत्रम् चढ़ाकर  कुलपति बनजाता है और उसके बाद अपनी ही जाति के एक चोरगुरू को प्रोफेसर व हेड बनाताहै। खुद भी भ्रष्टाचार करता है और उसका सजातीय चोरगुरू भी करता है तो आपखुद सोच सकते हैं कि इससे छात्रों को क्या शिक्षा मिलती होगी। देश की गरीबजनता से फोन बिल में शिक्षा शुल्क  के नाम पर ,अन्य तरह से कर (टैक्स) लगाकरधन   क्या ऐसे चोरों,भ्रष्टाचारियों को कुलपति बनाने ,प्रोफेसर बनाने ,शिक्षण संस्थाओं की स्वायत्तता (आटोनामी ),  लूट की खुली छूट देनेके लिए किया जा रहा है ? ऐसे चोर,भ्रष्टाचारी कुलपति,प्रोफेसर,शिक्षक उनकेरैकेट में शामिल देश व राज्यों के शिक्षा मंत्रालयों के कुछ तथाकथित  भ्रष्ट  घूसखोर मंत्री,सचिव,संयुक्त सचिव ,ओएसडी,यूजीसी के तमाम घूसखोर अफसर ,राज्यों केकई राज्यपाल, उनके चहेते अफसर पूरा रैकेट बनाकर काम कर रहे हैं। इनभ्रष्टाचारियों के विरूद्ध प्रमाण सहित केस दर्ज कर न्याय मांगने जाइये तोवहां भी  ज्यादेतर निराशा ही हाथ लग रही है।इसकी वजह जाननी हो तो  इनदिनोंसर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश मार्कंडे काटजू द्वारा कुछ जजों वन्यायपालिका की असलीयत उजागर करने वाले लेख को पढ़ लें। ऐसे में अपने बच्चों, छात्रों के भविष्य़ को देशी विदेशी विद्वानों की पुस्तकों,शोधपत्रों आदि कोहूबहू उतारकर  पीएचडी,डीलिट कर ,पुस्तकें अपने नाम से छपवा,शोध पत्र अपनेनाम से बनवा कर लेक्चरर,रीडर प्रोफेसर पद पर नियुक्त होने ,प्रमोशन पाने ,कुलपति बनने वाले चाोरगुरूओं,उनको नियुक्त करने ,प्रमोशन देने वाले भ्रष्टाचारी कुपतियों,डीन,हेड व कुलसचिवों से बचाने का एक ही उपाय है । वह है ऐसे सफेदपोशों कीअसलीयत उजागर किया जाय। इनके विरूद्ध सभी संबंधित विभागों में प्रमाण सहितलिखकर कार्रवाई करने की मांग की जाय। इनके लूट तंत्र व रैकेट को उजागर कियाजाय ।
 आपके महाविद्यालय,विश्वविद्यालय,शिक्षा मंत्रालय में ऐसे कोई  हैं तो उनका प्रमाण सहित चिट्ठा  sattachakra@gmail  पर ई-मेल कीजिए।

MODI KI PRIY MANAV SANSADHAN MANTRI SMRITI IRANI KI KARSTANI

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मोदी की प्रिय स्मृति मेहरोत्रा ईरानी की कारस्तानी
प्रशंसा करनेवाले को बना दिया एनआईटी नागपुर का चेयरमैन

नई दिल्ली। यह खबर अंग्रेजी अखबार "द इंडियन एक्सप्रेस",नई दिल्ली , दिनांक 7 नवम्बर 2014 की लीड स्टोरी है।
 पूरी खबर पढ़ने के लिए क्लिक करें -

  जिसमें लिखा है -
स्मृति ईरानी मानव संसाधन विकास मंत्री बनने के बाद से ही विवादोंमें घिरी हुई हैं। उन्होंने अपने 'पुराने परिचित'को नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफटेक्नॉलोजी का चेयरमैन नियुक्‍त कर एक नए विवाद को न्योता दे दिया है।

विश्रामजामदार ने स्मृति को मानव संसाधन व‌िकास मंत्री बनने के बाद बधाई दी थी औरउन्हें एक पत्र भेजा था, जिसमें उन्होंने कहा था कि वे आरएसएस के सदस्य रहचुके हैं। उन्होंने स्मृति को याद दिलाया था कि वे उनके नागपुर स्थित आवासपर रुक चुकी हैं।

पत्र के कुछ ही दिनों बाद विश्राम जामदार कोविश्वेषरैया इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नॉलोजी (वीएनआईटी) का चेयरमैन नियुक्त करदिया गया। ये संस्‍थान नागपुर में है।
शुक्रवार को स्मृति से नियुक्त के बावत सवाल किए गए तो उन्होंने जवाबदेने से इनकार कर दिया। वीएनआईटी के चेयरमैन पद के लिए मानव संसधान‌ विकासमंत्रालय को चार नामों की‌ सिफ‌ारिश भेजी गई थी।

लेकिन मंत्रालयने सभी नामों को दरकिनार कर विश्राम जामदार के नाम की सिफारिश राष्ट्रपतिको भेजी। 15सितंबर को राष्ट्रपति ने उसकी नियु‌‌क्ति पर सहमति की मुहर लगादी।

केंद्रीय मंत्री के रूप में शपथ लेने के ठीक दो दिन बाद यानी 28 मई को विश्राम जामदार ने स्मृति इरानी को एक पत्र लिखा था।
पत्र में जामदार ने कहा, 'नागपुर में हमारे घर पर आप कुछ देर के लिएरुकीं थी और उसके बाद दिल्ली में भाजपा ऑफिस में आप से मुलाकात हुई। उनमुलकातों में मैंने और मेरे परिवार ने आप में एक ‌अद्वितीय व्यक्तित्व पायाथा।'

जामदार ने कहा कि हमें ये पूरा भरोसा है कि आपके नेतृत्व मेंमानव संसाधन विकास मंत्रालय ऊचाइयों को छूएगा। उन्होंने पत्र के साथ अपनारिज्यूमे भी भेजा था। पत्र में अपनी आरएसएस पृष्ठभूमि का जिक्र करते हुएजामदार ने लिखा कि आरएसएस का सदस्य होने के बाद भी मैं अर्जुन सिंह के मानवसंसाधन मंत्री होते हुए भी वीएनआईटी के बोर्ड ऑफ गवर्नर में बना रहा तो येमेरा काम बताने के लिए काफी है।

उन्होंने लिखा कि अपनी इसीपृष्ठभूमि के कारण मेरी इच्छा है कि मैं संस्‍थान के चेयरमैन के रूप मे कामकरूं। 12एनआईटी के चेयरमैन की नियु‌क्ति अब भी होनी है, लेकिन 29अगस्तको स्‍मृति इरानी ने जामदार के नाम की सिफारिश कर दी।

*यह भी पढ़ें-
UGC REVIEW COMMITTEE KE INVITEES ME CHORGURU BHRAS...

Ex-Delhi University Vice Chancellor Deepak Pental's Arrest for Plagiarism

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Court Orders Ex-Delhi University Vice Chancellor Deepak Pental's Arrest for Plagiarism


chor guru Deepal Pental Ex VC , DU, arrest for plagiarism
NEW DELHI Former Delhi University vice chancellor Deepak Pental has been detained in a Delhi court on a plagiarism complaint by a fellow professor.

A local court has reportedly ordered Mr Pental's arrest on a petition by Professor P Parthasarthy.

Mr Parthsarathy has reportedly alleged that Mr Pental and his student had plagiarised another researcher's work on biotechnology.

Mr Pental, a professor of genetics and a noted researcher, was the vice chancellor of Delhi University in 2005-2010.
......................................................................................................................................
*But many others CHOR GURU like Ram  Mohan Pathak( Ex Professor,Mahatma Gandhi kashi Vidya Peeth,Varanasi )  ,Anil Kumar Rai Ankit ( Profesor,MGAHVV,WARDHA) Anil Upadhyay ( Professor,Mahatma Gandhi kashi Vidya Peeth,Varanasi ),Professor Ramji lal (VBSPU,JAUNPUR) , Prof. Prem Chand Patanjali ( ex vc  vbspu,jaunpur) Dr. Ramesh Chandra ex vc bundelkhand university , Jhansi,etc are free & enjoy their plagiarism's fruits as a professor and puraskar etc.

Article 2

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‘Plagiarism’ case against former V-C Pental goes back 5 years
Written by Aditi Vatsa | New Delhi | Posted: November 26, 2014 3:17 am,
The Indian Expres,New Delhi,26-11-14, News Line,Page 3

Former Delhi University vice-chancellor Deepak Pental’s arrest on Tuesday for his alleged involvement in a plagiarism case might have come as a surprise to many, but this case was first taken up in the local court at least five years ago.
In 2009, P Pardha Saradhi filed a private complaint before a Delhi court under various sections of the IPC, including forgery, criminal conspiracy and criminal breach of trust.
Saradhi, who now teaches in DU’s environmental studies centre, alleged Pental had plagiarised his work on genetically-modified Indian mustard,  with the help from a research scholar, KVSK Prasad, the other accused in the case.
Saradhi told Newsline that Prasad had worked under him on his PhD thesis and went on to conduct research under Pental. “In connivance with Pental, the research scholar took the seed of codA transgenic Indian mustard developed by my team under India-Japan Cooperate Science Programme. Pental allowed Prasad to use this GM seed for carrying out further research, fully aware that all GM material are put under the tag of ‘Hazardous’ under Environmental Protection Act (EPA),” Saradhi said.
“This was shown as work carried in Deepak Pental’s lab during 2001-2004. Verbatim sentences, exactly same data and similar figures and numbers were copied from the report submitted by us to DST under India-Japan Cooperative Science Programme,” Saradhi alleged.
In 2009, following a complaint filed by Saradhi in Delhi University, a committee was set up to look into the issue. Alleging that the university did not act on his complaint, Saradhi sought information through RTI requests.
He said: “When I saw that the university was not acting on my complaint, I tried to seek information on the action taken on my complaint under RTI Act, but the university still did not take any action. It was only after I sent an appeal to the appellate authority that a committee was formed to look into my complaint. It gave a clean chit to Deepak Pental.”
The counsel for the accused, Samrat Nigam, told Newsline that the committee’s report had indeed given a clean chit to the former V-C.

- See more at: http://indianexpress.com/article/cities/delhi/plagiarism-case-against-former-v-c-pental-goes-back-5-years/#sthash.O9QAaF2e.dpuf


see this *

Plagiarism stink spreads as skeletons tumble out of academic cupboards ,COPYCATS INFEST CITY VARSITIES

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  • Plagiarism stink spreads as skeletons tumble out of academic cupboards
  • COPYCATS INFEST CITY VARSITIES
  • By Mail Today Bureau in New Delhi ,Thursday ,November 27,2014 , Page 1,www.mailtoday.in
  • This is getting murkier by the minute. Professor Pardha Saradhi, on whose complaint of plagiarism former Delhi University Vice-Chancellor Deepak Pental was briefly arrested on Tuesday, has now written a letter accessed by Mail Today to HRD Minister Smriti Irani requesting her "to help clean up the university of such plagiaristic activities".
    Saradhi has accused fellow professors in the Department of Environmental Studies of encouraging M.Sc. and Ph.D. students to plagiarise research papers.
    He has collated thesis papers by students and corresponding research articles from which they have allegedly been copied. Saradhi has requested the government to weed out such individuals from the university before plagiarism becomes the order of the day. "There are several anti-student and antiuniversity activities taking place in the University of Delhi which I have been opposing in the interest of the nation. I tried to seek the help of ex-MHRD Ministers but in vain. Complaints reach the university but no action is taken. Instead, students who are working with me and I have been targeted and harassed," Saradhi has written in his letter.
    "One professor," he writes, "was earlier caught for plagiarising research findings of others but he escaped scrutiny through his connections and manipulations. Then he and others in the department started training M.Sc. students, who are otherwise talented, to plagiarise scientific materials." Saradhi cites the example of a Centre for Inter-disciplinary Studies of Mountain and Hill Environment (CISMHE) student and the several articles from research journals which he has copied. He alleges the student and his guide were not even present in the university during the time the former claims to have carried out the research work.
    Not just DU
    Saradhi's fear is justified. Not just Delhi University, the plagiarism virus has spread across all leading universities in the city like Jawaharlal Nehru University, Guru Gobind Singh Indraprastha University and Jamia Millia Islamia. Senior professors point out that in almost all cases of plagiarism, especially those involving powerful faculty members or administrators, the response always begins with a denial by authorities, till courts or independent bodies like Society for Scientific Values (SSV) pursue the matter to the logical end as happened in the Pental case. The malaise has also spread to dissertations presented by research scholars.
    The Co-ordination Committee of Teachers' Associations of Delhi (CCTAD) which represents the four leading universities has raised the plagiarism issue in a letter to the Human Resources Minister Smriti Irani on November 20, 2014. The letter states that "the growing instances of plagiarism and consequent decline in the academic ethos are detrimental to research and steps must be taken to curb it.'' According to sources, Guru Gobind Singh Indraprastha University (GGSIPU) perhaps represents the worst case scenario. It has not only protected and rewarded the accused plagiarists, but also victimised the whistleblowers. MAIL TODAY had reported on February 1, 2013 regarding the plagiarism charges against two Deans of Indraprastha University, Prof. Saroj Sharma and Prof. Suman Gupta. Sources disclose that after a year of enquiry the charges of plagiarism were diluted in both cases but could not be completely denied and the two professors continue to call the shots in IP University.
    Instead, the teachers who complained against them had to face memos and show cause notices and were accused of making false complaints of plagiarism. The university has also sought to develop a policy on plagiarism that focused a lot more on what to do with the complainants, rather than on those who are found guilty of plagiarism.
    Interestingly, the enquiry committee against plagiarism invented terms such as "tolerable" plagiarism, "negligible" plagiarism, non-plagiarism, etc., to dilute the charges against Suman Gupta and avoid punitive measures. Saroj Sharma was let off with a "suitable advisory".
    However, Sharma said that all allegations against her were false and she has been given a clean chit by enquiry committee. "These were motivated allegations against me. It was a third party alleging me of plagiarism of someone else's work. I have got a clean chit," said Sharma. Professor Suman Gupta did not respond to calls from MAIL TODAY.
    JNU was shocked recently when in one centre of the university the Chair reported there was more than 50 per cent plagiarism in many of the dissertations. Yet, these students obtained not only pass grades but even good grades.
    The JNU teachers' association has recently vowed to fight plagiarism in an ultimatum served to JNU VC, and has also raised it in the Coordination Committee of Teachers' Associations of Delhi (CCTAD) that it currently leads on behalf of various universities of Delhi.
    "The current VC of DU, Dinesh Singh, had his share of trouble for dressing up his publication lists; the Director of DU's NSIT was removed some years ago on charges of plagiarism; the Pondicherry University VC is currently facing plagiarism charges. So are many faculty and students in many other universities," a senior faculty member said.
    Jamia Millia Islamia has also reported cases of plagiarism with the help of newly-introduced software. The university used the software before final submissions and all plagiarised papers were returned to students for rework. In January, authorities found 59 of the total 61 project works done by faculty members and students in the past three months contained materials lifted from various sources

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Pondicherry V-C has a problem: CV has a suspect book, two that can’t be traced

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http://indianexpress.com/article/india/india-others/pondicherry-v-c-has-a-problem-cv-has-a-suspect-book-two-that-cant-be-traced/99/
Pondicherry V-C has a problem: CV has a suspect book, two that can’t be traced 
ARUN JANARDHAANAN
CHENNAI,NOVEMBER21
Five of its eight chapters has papers by others.
Written by Arun Janardhanan | Chennai | Posted: November 22, 2014 4:34 am
chorani guru prof.chandra krishnamurthy book

CHORANIGURU  PROF. CHANDRA  KRISHNA MURTHY
She is the Vice Chancellor of Pondicherry Central University, an ex-Vice Chancellor at SNDT Mumbai, former Acting Vice-Chancellor at University of Mumbai, and her CV has passed through the Central government and the office of the President of India, who is the Chancellor of all central universities, before her last appointment.
But documents accessed by The Indian Express reveal that Chandra Krishnamurthy plagiarised most of one book mentioned in that CV, which also lists two other books that may have never been published at all.
And, a search of the UGC database and an online repository for law schools show no trace of 24 of Krishnamurthy’s 25 research papers and publications — on legal and constitutional studies — listed on her CV.
When contacted, Krishnamurthy first expressed surprise at the allegations, then said that she had acknowledged the portions in her work where she referred to other sources. However, this acknowledgment, in the last page of the book in question Legal Education in India which she authored, is a list of seven names of scholars without any explanation, and two Wikipedia links.
Krishnamurthy, who was appointed as Pondicherry Central University V-C in early 2013, did not comment on the ethics of using others’ work while claiming complete authorship. She added, before abruptly terminating the conversation, that she has published two books — Legal Education in India (2009 and 2011) and Human Rights for Vulnerable Groups — with Himalaya Publishing House even though the publishers have confirmed publication of only the first one.
She did not comment about the third book mentioned on her CV — Constitutional Law-New Challenges. The CV claimed the book was published by Snow White Publication but Angit Thakur, who represents the publishing house, said their database could not trace this book or any other publication by Krishnamurthy.
Now consider these:
* Five out of eight chapters of Legal Education in India were found to include papers written by eminent scholars including Padmashree N R Madhava Menon, an eminent legal educator and the founder of National Law School in Bangalore.
* Menon’s work titled “Training in Legal Education: Some Comparative Insights from Indian American Experience” has been virtually copied in full and published as a fourth chapter in Krishnamurthy’s book with a minor change in the title: “Some Comparative Insights From Indian and American Experience.” Other than a minor change – the word “means” in the original paper has been changed to “moans” in a portion — the article has not been changed.
When contacted, Menon said he will question this “theft” and take appropriate action. “I am just waiting to see a copy of her book,” he said. “She never asked me for this reproduction and anyway, nobody can reproduce one’s work in another’s name.”
Then again, the preface of  “Legal Education in India” has been copied from a paper titled “Legal Education To Meet Challenges of Globalisation” authored by Pradip Kumar Das, a lecturer of Bengal Law College in Birbhum.
While Krishnamurthy has used the first paragraph of the paper for the preface, the rest of Das’ work is published as the second chapter of her book without even changing the title.
That’s not all.
* The book’s first chapter, titled “Legal Education and Advocates Act, 1961”, is almost a verbatim copy of the 184th report of Law Commission of India published in 2002, titled “The Legal Education & Professional Training and Proposals for Amendments to the Advocates Act, 1961 and the University Grants Commission Act, 1956.”
* A paper “Lawyers and Legal Education in India”, authored by Dr Ram Babu Dubey a professor of law (at the time of publication) at the Government P G College, Narasinghpur, Madhya Pradesh, has been reproduced in the fifth chapter of Krishnamurthy’s book under the title “Legal Education in India and Role of Lawyers (BAR)”.
* The first three pages of the sixth chapter has been copied from “History of Legal Education” authored by Sushma Gupta and published by Deep and Deep Publications Private Limited, New Delhi in 2006.
And, these are just the major instances of plagiarism that have been noted.
When contacted, K N Pandey, one of the directors of Himalaya Publishing House, said that contrary to what Krishnamurthy claimed in her CV, they have never published the book titled “Human Rights for Vulnerable Groups.”
“Only one book has been published by her and we will definitely take legal action against the author if instances of plagiarism has been found. Unfortunately, the book is already in the syllabus of several law institutions including the department of law at the Bombay University for LLB courses. It is intellectual theft and she can’t reproduce somebody’s work when the copyright belongs to us, the publisher,” Pandey said.
Interestingly, Krishnamurthy has marked all her personal files, including her CV, as “Protected Personal Information” by the Public Information Officer which would prevent them from being accessed by RTI queries.
Rajiv Yaduvanshi, an IAS officer who was the former registrar of Pondicherry Central University, had initiated several inquiries against Krishnamurthy before being repatriated by her last month. It was his efforts through the HRD Ministry that finally led to the declassification of her personal details. “I had reported to the HRD Ministry about how she has abused her power by marking her personal details as “Protected Personal Information” to deny RTI queries,” he said.
When contacted, M Anandakrishnan, chairman of the IIT-Kanpur board, and member of the panel that shortlisted Chandra in 2012, said the charges were serious and that she should be removed immediately from the post. “I will not tolerate the leader of an academic institution being involved in deliberate academic misdemeanour,” he said.
Asked about the selection of Chandra by the panel, he said when they “select so many V-Cs within limitations, there are possibilities of some accidents too”.

After going through the instances of plagiarism by Krishnamurthy, K L Chopra, a former director of IIT-Kharagpur who has headed several probe panels in central institutions and universities on plagiarism, said what the Vice-Chancellor had done was a punishable crime. “It is nothing less than the crime of stealing money. Plagiarism is the extreme form of dishonesty and a crime no teacher or scholar can do. She should be removed from the V-C’s post immediately and the HRD Ministry should order a probe into her academic credentials and claims of publications,” he said.

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‘Plagiarism’: Teachers at Pondicherry varsity seek V-C’s removal

Written by Arun Janardhanan |,Chennai | Posted: November 24, 2014 1:36 am
The Indian Express,New Delhi ,Page 7


The allegations regarding her book add to other charges of gross illegalities against Chandra. 

Following The Indian Express report that documents showed Pondicherry University Vice-Chancellor Chandra Krishnamurthy has plagiarised most of the book she mentioned in her CV, the Pondicherry University Teachers’ Association (PUTA) has sent a letter to Union Human Resource Development Minister Smriti Irani seeking her immediate removal and a probe into her academic credentials.
The letter from PUTA says that a vice-chancellor must not just protect academic ethics but also “nurture” them, and “this shameful and indefensible act of academic theft and cheating makes her position as head of an institution, that too of a central university, absolutely untenable”.
The allegations regarding her book add to other charges of gross illegalities against her, says PUTA, adding that her appointment by the UPA regime was also fraught with problems.
The Indian Express had reported on Saturday that Krishnamurthy appeared to have plagiarised most parts in one book by her, Legal Education in India (2009 and 2011), mentioned in her CV. Five out of eight chapters and the preface appear to be verbatim copies of papers published by eminent legal scholars. Two other books mentioned in her CV may have never been published at all.
In another move that may prove controversial, Krishnamurthy has called for a meeting of the Executive Council, the top academic and administrative body of the university, on Monday, reportedly to ratify the minutes of a June 2014 meeting which had been later “cancelled” by the HRD Ministry for “violating rules” and repatriating the registrar “without valid reasons”.
A member of the Executive Council said the vice-chancellor had called the June meeting invoking emergency powers “despite a government order to not invoke special powers to call for emergency Executive Council meetings”. “The purpose was to repatriate registrar Rajiv Yaduvanshi, and approve new recruitments and 25 per cent reservation for local students, which is against the very idea of a central university.”
Krishnamurthy was not available for comment.

- See more at: http://indianexpress.com/article/india/india-others/plagiarism-teachers-at-pondicherry-varsity-seek-v-cs-removal/#sthash.DjJT8DUC.dpuf

AISA LAGATA HAI JAISE MODI KO SMRITI KO KUCHH DENA HAI - MADHU KISHWAR

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ऐसा लगता है जैसे मोदी को स्मृति का कुछ देना है- मधु किश्वर


अगर स्मृति को राहुल गांधी का सामना करने का ईनाम मिला तो फिर कोईअजय अग्रवाल की बात क्यों नहीं करता जिन्होंने सोनिया गांधी का सामना कियाऔर दो लाख वोट पाए
'स्मृति ईरानी तो उनमें से हैं जो बड़े-बड़ों के भरोसेरहती हैं। पहले प्रमोद महाजन थे, फिर गोपीनाथ मुंडे और नितिन गडकरी आए औरअब मोदी,अमित शाह हैं।'
नई दिल्ली। गुजरात में नरेन्द्र मोदी जब मुख्यमंत्री थे तब उनके काम सामाजिक कार्यकर्ता मधु किश्वर को बहुत ही अच्छे लगे। इतने ज्यादे की मोदी व उनके गुणगान में एक किताब ही लिख दिया। लेकिन वही मधु किश्वर उस समय बिफर पड़ीं जब मोदी ने इंटर पास अपनी प्रिय स्मृति मेहरोत्रा जुबीन ईरानी को इस देश का मानव संसाधन विकास मंत्री बना दिया। वैसे तो मैडम को मानव संसाधन विकास मंत्री बनवाने में अमित शाह का भी बहुत बड़ा हाथ है । लेकिन बनाया तो मोदी ने ही। सो मधु किश्वर ने केंद्र सरकार में मोदी की मंत्री स्मृति ईरानी की काबिलियत पर सवालउठा दिया ।और अब कहती हैं कि लगता है मोदी पर किसी ने काला जादू कर दिया है ।
एक अंग्रेजी न्यूज साइट को दिए इंटरव्यू में किश्वर से जब पूछा गया किमोदी को लेकर अपनी निराशा पर आप क्या कहेंगी तो उन्होंने कहा कि ऐसा लगताहै किसने उन पर काला जादू कर दिया है। न्यूज साइट स्क्रॉल के मुताबिककिश्वर ने कहा, 'गुजरात सरकार की जो तारीफ मैंने की थी, मैं आज भी उस परकायम हूं। यह पूरी तरह सच थी। उन्हें (मोदी को) गुजरात में किए काम का ईनामभी मिला और आज वह प्रधानमंत्री हैं। लेकिन इसके बाद एक नया अध्याय शुरूहोता है। अब उनका नया आकलन होगा। लेकिन जो सब हो रहा है वह किसी को समझनहीं आ रहा, मुझे भी नहीं। यह काला जादू है जो किसी ने कर दिया है। मुझेयकीन नहीं होता कि ऐसा हो रहा है। शायद मोदी की अभी तक पकड़ नहीं बनी है।शायद दिल्ली ने उन्हें भटका दिया है। लेकिन अभी कोई फैसला सुनाना बहुतजल्दबाजी होगी। मैं अभी इंतजार कर रही हूं। मैं अभी दूरी बनाए हुए हूं।'
लोकसभा चुनावों के दौरान मधु किश्वर की किताब 'मोदीनामा'की काफी चर्चाहुई थी। इस किताब में उन्होंने मोदी के गुजरात में किए काम की खूब तारीफ कीथी। लेकिन बाद में उन्होंने स्मृति ईरानी को मानव संसाधन विकास मंत्रीबनाए जाने की जमकर आलोचना की। इस बारे में उन्होंने कहा, 'ऐसा लगता है जैसे मोदी को स्मृति का कुछ देना है। लेकिन मैं व्यवस्थित तरीके से साबित कर सकतीहूंउनका कोई राजनीतिक आधार नहीं है। वह बीजेपी की उपाध्यक्ष थीं लेकिन ऐसी एकभी सीट नहीं है जहां से वह एक चुनाव भी जीत सकें। वह तो वरुण गांधी तकनहीं हैं जो न सिर्फ चुनाव जीतते हैं बल्कि विधायकों के चुनाव जितवाते भीहैं। वह संगठन खड़ा करने वालीं अमित शाह नहीं हैं। वह बस रटवाए गए भाषणदेती हैं। अगर उन्हें राहुल गांधी का सामना करने का ईनाम मिला तो फिर कोईअजय अग्रवाल की बात क्यों नहीं करता जिन्होंने सोनिया गांधी का सामना कियाऔर दो लाख वोट पाए? स्मृति ईरानी तो उनमें से हैं जो बड़े-बड़ों के भरोसेरहती हैं। पहले प्रमोद महाजन थे, फिर गोपीनाथ मुंडे और नितिन गडकरी आए औरअब मोदी हैं।'अमित शाह भी।
किश्वर ने अपने बारे में कहा कि वह तो अरुण शौरीजैसी हैं जो उचित आलोचना करते हैं। हालांकि उन्होंने कहा कि वह न तो भाजपासे किसी तरह जुड़ी हैं और न ही किसी तरह का फायदा चाहती हैं या उठा रहीहैं।
 

NO SCHOOL ON CHRISTMAS . MADAM SMRITI IRANI , SEE THIS CIRCULAR

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पत्र प्रमाण है कि स्मृति मेहरोत्रा जुबिन ईरानी सच नहीं बोल रही हैं
क्रिसमस दिवस पर छुट्टी के दिन छात्रों को स्कूल पहुंचकर गुडगवर्नेंस डे मनाना, लेख लिखना होगा
-कृष्णमोहन सिंह
नई दिल्ली। नरेन्द्र दामोदर दास मोदी ने चाहे अपने अहं को संतुष्ट करने के लिए या तथाकथित बौद्धिक वर्ग को नीचा दिखाने या अपनी ही पार्टी के  नेताओं का मान मर्दन करने के लिए अपनी प्रिय स्मृति मेहरोत्रा जुबिन ईरानी को इस देश का मानव संसाधन विकास मंत्री बना दिया और  नकारा साबित होने के बावजूद उन्हें इस पद पर बनाये हुए हैं, या किसी और कारण से यह तो वह जानें, लेकिन मैडम हर कुछ दिन बाद कुछ नई-नई करामात करके पूरे देश में माखौल का कारण जरूर बन रही हैं। और जब एक्सपोज हो रही हैं तो सीधे मुकर जा रही हैं। लेकिन उनके ही अधीन विभागों से जारी दस्तावेज साबित कर दे रहे हैं कि स्मृति जुबिन ईरानी सच नहीं बोल रही हैं।
स्मृति कह रही हैं कि उन्होंने नवोदय या सीबीएससी के देशभर के सरकारी व निजी सभी विद्यालयों  में  25 दिसम्बर के दिन मदनमोहन मालवीय और अटलबिहारी वाजपेई के जन्मदिन पर स्कूल में उपस्थित रहकर गुड गवर्नेंस डे मनाने व गुडगवर्नेंस पर लेख लिखने के लिए नहीं कहा है, वह तो कहीं से भी आन लाइन लिखा जा सकता है। लेकिन नवोदय विद्यालय समिति के लेटर हेड पर दिनांक 10-12-2014 को जारी निम्न सरकुलर से साफ हो जाता है कि मैडम ईरानी सच नहीं बोल रही हैं। उस दिन के लिए जारी सरकुलर में स्कूलों के लिए जो कार्यक्रम निर्धारित किये गये हैं वे छात्रों ,अध्यापकों आदि के उपस्थित हुए बिना हो ही नहीं सकते।




वि.वि. के टीचर 70 तक पढ़ायेंगे,बेरोजगार पीएचडी युवक सिर पीट मोदी - स्मृति गायेंगे

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70 साल में रिटायर होंगे वि.वि. अध्यापक
65 के बाद 70 तक संविदा के आधार पर होगी नियुक्तिपेंशन भी लेंगे औरसंविदा पर नौकरी भी करेंगे, ये शिक्षकदिल्ली एससी-एसटी ओबीसी टीर्चस फोरमने किया विरोधशिक्षकों के रिटायरमेंट की उम्र बढ़ाने से बढ़ेगीबेरोजगारी : फोरम
नई दिल्ली (एसएनबी)। दिल्ली यूनिवर्सिटी समेतदेश भर के केन्द्रीय विविद्यालयों के स्थायी शिक्षकों के लिए राहत की खबरहै, अब शिक्षकों की रिटायरमेंट की उम्र 70 साल हो सकती है। मतलब शिक्षक 65 साल की रिटायरमेंट उम्र के बाद भी पढ़ा सकेंगे। अभी केन्द्रीय विविद्यालयोंमें रिटायरमेंट की एज 65 साल हैं। केन्द्रीय मानव संसाध विकास मंत्रीस्मृति जूबिन इरानी ने एक दिसम्बर को राज्यसभा सांसद डॉ. संजय सिंह केप्रश्न के जबाव में यह बताया है कि केन्द्रीय विविद्यालयों में प्रोफेसरोंके दो हजार 316 स्वीकृत पदों में से एक हजार 72 भरे गए हैं। इसमें एक हजार 244 पद अरसे से खाली पड़े हैं। विविद्यालयों में शिक्षकों की इस कमी कोदेखते हुए खाली पदों की उपलब्धता और फिटनेस के तहत शिक्षकों की 65 वर्ष कीआयु से आगे 70 वर्ष की आयु तक संविदा आधार पर पुनर्नियुक्ति की अनुमति दीगई है। बता दें कि विविद्यालयों एवं कॉलेजों में अयापकों एवं अन्य अकादमिककर्मचारियों की नियुक्ति के लिए न्यूनतम योग्यता एवं उच्चतर शिक्षा मेंमानकों के अनुरक्षण के लिए उपाय संबंधी यूजीसी विनियम 2010 के पैरा 12.2 में विविद्यालय अनुदान आयोग ने स्पष्ट उल्लेख किया है कि विविद्यालयपण्राली के सभी स्वीकृत-अनुमोदित पदों को तत्काल आधार पर भरा जाएगा। दिल्लीयूनिवर्सिटी एससी-एसटी ओबीसी टीर्चस फोरम के चेयरमैन प्रो. हंसराज सुमन नेकहा कि इससे एससी-एसटी ओबीसी के उम्मीदवारों की नियुक्तियां पांच वर्ष बादहोंगी। ऐसी स्थिति में अच्छे दिन परमानेंट टीचर के आए हैं जो 65 के बाद भी 70 वर्ष तक संविदा आधार पर पढ़ायेंगे। उन्होंने कहा सरकार आरक्षित वर्ग केउम्मीदवारों की भर्ती उनका बैकलॉग भरना नहीं चाहती, सरकार के इस फैसले काहर स्तर पर विरोध किया जाएगा। टीर्चस फोरम ने दिल्ली यूनिवर्सिटी के कलासंकाय में बैठक बुलाकर केन्द्रीय मंत्री द्वारा दिए गए इस वक्तव्य पर विरोधजताया है कि जिसमें रिटायरमेंट की उम्र बढ़ाते हुए शिक्षकों की कमी कोपूरा करने के लिए कदम उठाने की बात कही गई है। प्रो. हंसराज सुमनका कहनाहै कि यह उच्च शिक्षा में युवा एससी-एसटी ओबीसी श्रेणी के उम्मीदवारों कोबेरोजगारी की ओर धकेलने का एक षड़यंत्र किया जा रहा है। प्रो. सुमन नेबताया है कि डीयू समेत देश के केन्द्रीय विविद्यालयों एवं कॉलेजों मेंशिक्षकों का बैकलॉग हजारों पदों पर खाली पड़ा है। अकेले डीयू में 40 से 50 फीसदी पदों पर नियुक्तियां की जानी हैं। लेकिनइन्हें भरने के लिए केन्द्र सरकार उचित कदम नहीं उठा रही है। इतना ही नहींडीओपीटी सकरुलर के अनुसार दो जुलाई 97 के आधार पर कॉलेजों ने 200 पाईटपोस्ट बेस रोस्टर ही नहीं बनाया है और जो नियुक्तियां कॉलेजों व विभागोंमें हुई है उसमें राजनीतिक हस्तक्षेप पूरी तरह से हावी रहा है और अब एक नयाफार्मला तैयार करके युवा बेरोजगारों को उच्च शिक्षा में आने से रोकना है, उसे शिक्षण के व्यवसाय से बाहर किया जा रहा है।
 * यह खबर 'राष्ट्रीय सहारा' , दिल्ली  में दिनांक 22-12-2014 को पहले पन्ने पर छपी है।
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वि.वि. शिक्षकों के पढ़ाने की उम्र 70 तक किया तो होगा बवाल

अब सवाल यह है कि क्या नरेन्द्र मोदी और उनकी अतिप्रिय स्मृति मेहरोत्रा जुबीन ईरानी क्या ज्यादेतर रैकेटियर ,जातिवादी,बीमार लोगों को 70 साल तक अध्यापक बनाये रखकर नेट व पीएचडी करके नौकरी ढ़ूढ़ रहे लाखों युवकों को बेरोजगार बनाये रखना चाहते हैं। युवक ज्यादे मेहनत करके पढायेंगे या वे ज्यादेतर पुराने लोग जो कई तरह की बीमारियों ,राजनीतिक रैकेट ,खेमेबंदी ,शैक्षणिक धांधली में गले तक डुबे हुए हैं वे मेहनत करके पढ़ायेंगे? यदि नरेन्द्र मोदी की सरकार ऐसा करती है तो यह उनकी जानबूझ कर देश के उच्चशिक्षा प्राप्त युवकों का भविष्य खराब करने की योजना मानी जायेगी। और इसके विरूद्ध देश के पढ़े लिखे बेरोजगार युवक धरना -प्रदर्शन शुरू कर सकते हैं। होना तो यह चाहिए कि अन्य विभाग की नौकरियों की तरह विश्वविद्यालय के अध्यापकों की नौकरी भी 58 साल की उम्र में खत्म कर दी जानी चाहिए या उनको सेवानिवृति दे देनी चाहिए। जो आगे कुछ करना चाहते हैं उनको राजनीति में चले जाना चाहिए और जुगाड़ व किसी की कृपा से जैसे आनंदीबेन पटेल 73 साल की उम्र में मुख्यमंत्री हैं या तथाकथित मात्र इंटर पास स्मृति मेहरोत्रा जुबीन ईरानी मानव संसाधन विकास मंत्री हैं , वैसे ही नेता ,मंत्री बन जाना चाहिए।
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