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CORRUPTGURU,CHORGURU Anil Kumar Rai KO BACHA RAHE APSU REWA ke V.C.,REGISTRAR ?

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sattachakra.blogspot.in
date 17-09-13,09.30P.M.
क्या
चोरगुरू अनिल कुमार राय को बचा रहे हैं अवधेशप्रताप सिंह वि.वि.रीवा के कुलपति,कुलसचिव ?
 -कृष्णमोहन सिंह

नईदिल्ली। चोरगुरू अनिल कुमार राय ने अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय
,रीवा (म.प्र.) से पत्राचार से बी.जे.( बैचलर इन जर्नालिज्म) किया। उसमें पढ़ने के लिए उसको जो
पुस्तिका मिली उसका कई अध्याय हूबहू कट पेस्ट करके,उतारकर अपनी पुस्तक
"संचार के सात सोपान" का अध्याय 7, फिल्मों की दुनियाबना लिया।विश्वविद्यालय के अधिकारियों,संबंधित विभाग के प्रमुख की माफ नहीं की जाने वाली लापरवाही से  पुस्तिका में  भले ही कापी राइट वाला लोगो छूट गया है , लेकिन पुस्तिका में यह भी  कहीं नहीं लिखा है कि यह सामग्री फ्री की है,और इसे कोई भी
जितना चाहे अध्याय का अध्याय उतारकर अपने नाम से पुस्तक छाप सकता हैया कहीं और उपयोग कर सकता है। वैसे भी जिन पुस्तकों में लिका भी हो कि सामग्री मुफ्त की है तब भी कोई व्यक्ति उसको हूबहू अध्याय का अध्याय उतारकर अपने नाम से पुस्तक छाप लेखक नहीं बन सकता , नहीं उसके आधार पर नौकरी व प्रोमोशन ले सकता है। यदि ऐसा करता है तो उसपर नकलकरने का,दूसरे की सम्पत्ति चोरी करने और यदि वह व्यक्ति लेक्चरर,रीडर,प्रोफेसर है तो  उसपर शैक्षणिक कदाचार,शिक्षक के चरित्र के विरूद्ध आचरण,भ्रष्टाचार,420,फोर्जरी का मुकदमा चलाया जा सकता है,नौकरी से बर्खास्त किया जा सकता है। जैसा कि अनिल कुमार राय के मित्र व साथ मिलकर नकल करके पुस्तक लिखने वाले डा. दीपक केम का हुआ। उन्होंने भी नकल करके पुस्तक लिखा था और उसे दिल्ली के उसी प्रेस से छपवाया ,प्रकाशित करवाया था जहां से अनिल कुमार राय ने । लेकिन राय को म.गां.अं.हि.वि.वि.,वर्धा के चोरगुरू संरक्षक  कुलपति वी.एन.राय (आई.पी.एस) ने प्रोफेसर बनाकर बचाने का काम करते रहे हैं, जबकि दीपक केम को जामिया मिलिया इस्लामिया दिल्ली के तबके कुलपति नजीब जंग (आई.ए.एस.,इस समय दिल्ली के उपराज्यपाल हैं) ने नकल व शैक्षणिक कदाचार के मामले में बर्खास्त कर दिया।जिसे दिल्ली हाई कोर्ट के डबल बेंच ने भी जायज ठहराया।
इधर वर्धा के चोरगुरू की हालत तो यह हो गई है कि  पुलिस से कुलपति बने छिनाली फेम वाले विरादर विभूति नाराय राय (V.N.RAI I.P.S.) के संरक्षण में प्रोफेसर और हेड बनने के बाद चोरगुरू
अनिल कुमार राय कहने लगा है कि वह तो फ्री का मैटर है।उसे उतारकर पुस्तक
लिखा है। उसके चलते शैक्षणिक कदाचार ,सामग्री चोरी ,फोर्जरी,शैक्षणिक
भ्रष्टाचार आदि का कोई मामला नहीं बनता।अपने प्रिय चोरगुरू का संरक्षक बने
कुलपति विभूति नारायण राय भी 2009 से उसको उसी के बताये तर्क को तोते की
तरह दुहराते  हुए बचा रहे हैं।
इस चोर गुरू ने अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय ,रीवा (म.प्र.) के पाठ्य
पुस्तिका से सामग्री चुराकर पुस्तक अपने नाम बनवा लिया है और उसका लेखक
बन गया है,जिसको 2009 और 2010 में चोरगुरू नामक टीवी सिरियल में प्रमाण
सहित  दिखाया गया था। विश्वविद्यालय के तबके कुलपति यादव का साक्षात्कार
भी लिया गया था। जिसमें उन्होंने इसकी जांच कराकर चोरगुरू अनिल कुमार राय
के विरूद्ध केस दर्ज  करवाने के लिए कहा था।विश्वविद्यालय के वकील सुशील
कुमार तिवारी ने दिनांक 31-11-2009 को चोरगुरू डा.अनिल कुमार राय  को
नोटिस भी दिया था।उसके बाद से अब तक विश्वविद्यालय के तबके और उनके बाद वाले कुलपति व कुलसचिव
ने  कुछ भी नहीं किया है।  कुलपति ने उस समय पत्रकार संजय देव से चोरगुरू
अनिल कुमार राय की लिखी पुस्तक संचार के सात सोपानप्रमाण के तौर पर ली
थी। बताया जाता  है कि वह पुस्तक और संबंधित दो फाइल कुलसचिव के कार्यालय
से गायब हो गई है। संजय देव ने राज्यपाल,उच्च शिक्षा मंत्री,कुलपति को दिनांक 4 मार्च 2013 को दो पेज का पत्र और उसके साथ 3 पेज वकील तिवारी का पत्र भेजकर मामले की  जांच व कार्रवाई करने की मांग की है।लोकसभा सांसद राजेन्द्रसिंह राणा ने  दिनांक 29-01-13 को और सांसद देवराज सिंह पटेल ने दिनांक 10-01-13 को राज्य पाल,उच्च शिक्षा मंत्री और कुलपति को पत्र लिखकर इस मामले की जल्दी से जल्दी जांच
कराने की मांग की है । यदि जांच हो गई है तो उसकी रिपोर्ट देने को कहा है ।।लेकिन कुलपति और कुलसचिव महोदय उसपर कुंडली मारे बैठे हुए हैं, और यह करके चोरगुरू अनिल कुमार राय को बचा रहे हैं।



sattachakra.blogspot.in
date 17-09-13,09.30P.M.

V.C.-V.N.RAI KIS TARAH CHORGURU ANIL K. RAI KO BACHA RAHE HAIn, DEKHEN C.D.

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"chorguru"episode-10,part-1,date 20-12-2009


                                             "chorguru"episode-10,part-2,date 20-12-2009




sattachakra.blogspot.in
date19-09-13,02.16P.M.
 उक्त सीडी CNEB न्यूज चैनल पर दिनांक 20-12-2009 को "चोरगुरू" कार्यक्रम के 10वें एपीसोड में दिखाई गई थी।जिसमेंदिखाया गया है कि महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय,वर्धा के कुलपति विभूति नारायण राय (v.n.rai,i.p.s.) किस तरह पुलिसिया अनुभव का प्रयोग अपने चहेते सजातीय चोरगुरू,भ्रष्टाचार गुरू अनिल कुमार राय को बचाने के लिए कर रहे हैं ,और उसके लिए किस तरह के तर्क दे रहे हैं। सबूत देने के बाद भी अब तक कुछ नहीं किया। 2009 से  अब तक (सितम्बर 2013 ) उसको बचाया है , उसीतरह के  शैक्षणिक कदाचार के मामले में डा.अनिल कुमार राय के ही साथी चोरगुरू डा. दीपक केम को जामिया मिलिया दिल्ली के  तबके कुलपति जंग(अब उपराज्यपाल दिल्ली) ने रीडर पद से  बर्खास्त किया ,लेकिन विभूति ने अनिल राय को  अब तक बर्खास्त नहीं किया।दिखावा करने के लिए चोरगुरूओं के चहेते ,महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ,वाराणसी के   एक भ्रष्टाचार आरोपी पूर्व कुलपति को जांच अधिकारी बनाया था। उस जांच का क्या हुआ अब तक किसी को पता नहीं। छिनाली फेम वाले इस विभूति का कुलपति पद पर 5 साल का कार्यकाल  29अक्टूबर 2013 को पूरा हो रहा है।मानवसंसाधन विकास मंत्रालय में चर्चा है कि छिनाली फेम विभूति ने एक टर्म और पाने और अपने को तथा अपने सजातीय यार चोरगुरू अनिल कुमार राय को क्लीन चिट दिलाने के उपक्रम के तहत एक जांच कमेटी गठित किया है , लेकिन उसको भी एक माह आगे बढ़ा दिया है। यह भी चर्चा है कि यह नामवर सिंह जैसे लाभालाभी लोगों के मार्फत जुगाड़ लगाकर एक टर्म और पाने , यह नहीं हुआ तो  कहीं और कुलपति बनने के लिए पूरा जोर लगा दिया है।इसके लिए पहले की तरह से ही साम-दाम-दंड-भेद वाला हर हथकंडा अपना रहा है।
इस सीडी में वीर बहादुर सिंह विश्वविद्यालय जौनपुर,महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ,वाराणसी के चोरगुरूओं के और बुंदेलखंड वि.वि.,झांसी के कुलपति रहे रमेश चंद्रा के भी भयंकर चौर्यकर्म के बारे में भी है।

RAJYPAL KE CHAHETE NAG KA KARNAMA,CHORGURU KO PROF BANAYA,UGC NE EDUCATIONAL CORRUPTION PAR CLEARFICATION MANGA

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sattachakra.blogspot.in
date26-09-2013,09.55A.M.
यह खबर "लोकमत"लखनऊ में 25-09-2013 को पहले पन्ने पर छपी है।
RESITRAR S.L.MAURYA LETTER P-1

RESITRAR S.L.MAURYA LETTER P-2

ENQUIRY REPORT P-1

ENQUIRY REPOT P-2

CASE PENDING,DATE 26.09.2013

CM,UGC,ORDER

ANIL KUMAR UPADHYAY

PRITHVISH NAG

SAHAB LAL MAURYA
OM PRAKASH SINGH


राज्यपाल के चहेते नाग का कारनामा
हाईकोर्ट में फैसला हुआ नहीं,समझौता दिखा चोरगुरू को प्रोफेसर बनाया
यूजीसी अध्यक्ष ने शैक्षणिक कदाचार पर स्पष्टीकरण मांगा   
-कृष्णमोहन सिंह
नईदिल्ली।उ.प्र. के राज्यपाल बी.एल.जोशी के चहेते कुलपति पृथ्वीश नाग और कुलसचिव साहब लाल मौर्य ने नकल करके डी.लिट. और किताब लिखने वाले डा.अनिल कुमार उपाध्याय को मनमाने तरीके से प्रोफेसर बना दिया। इसके लिए इलाहाबाद हाइकोर्ट का फैसला आये बिना ही(कोर्ट नं. 44 में अगली तारीख(संभावित) 26-09-2013 है),उसके  मेडिएशन सेंटर में 06-04-13 को दो व्यक्तियों(डा.ओम प्रकाश सिंह और डा. अनिल कुमार उपाध्याय) के आपसी समझौते(चर्चा है कि वह भी अभी फुलफिल नहीं हुआ है) को आधार बनाया है।और उसके आधार पर डा.अनिल कुमार उपाध्याय को विश्वविद्यालय के अध्यापक के रूप में किये शैक्षणिक कदाचार,शिक्षक आचार संहिता का उल्लंघन,धोखाधड़ी आदि से क्लीनचिट दे दिया है। जबकि दो व्यक्तियों के आपसी समझौते का इस मामले में कोई लीगल वैल्यू नहीं है। और इस समझौते से डा. अनिल उपाध्याय का शैक्षणिक कदाचार (एजुकेशनल मिसकंडक्ट),शिक्षक आचार संहिता का उल्लंघन,धोखाधड़ी आदि का अपराध खत्म नहीं हो जाता है। वह भी इस हालत में जबकि चर्चा है कि उस समझौते में अनिल कुमार उपाध्याय ने लिखित में स्वीकार किया है कि ओम प्रकाश सिंह के पुस्तक से सामग्री हूबहू उतारी है।  
मालूम हो कि डा.अनिल कुमार उपाध्याय ने महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ में अध्यापक के पद पर रहते हुए ओम प्रकाश सिंह के पी.एचडी. थीसिस से सामग्री हूबहू उतारकर अपनी डी.लिट. की थीसिस लिखा है । जिसको पुस्तक के रूप में भी छपवाया है।डा. ओम प्रकाश सिंह भी इसी विश्वविद्यालय में प्रोफेसर हैं। यानी एक ही विश्वविद्यालय के एक अध्यापक के पी.एचडी. थीसिस से सामग्री हूबहू उतारकर दूसरे अध्यापक ने डी.लिट.थीसिस लिख लिया , किताब लिख लिया, और उसी विश्वविद्यालय से डी.लिट. की उपाधि ले लिया।   उसके इस नकलचेपी कारनामे को प्रमाण सहित एक टीवी चैनेल में चोरगुरूकार्यक्रम में दिखाया गया।जिस पर सांसद राजेन्द्रसिंह राणा,हर्षवर्धन सहित कई सांसद  व सामाजिक कार्यकर्ता आदि ने राष्ट्रपति, राज्यपाल ,प्रधानमंत्री,यूजीसी चेयरमैन,कुलपति ,कुलसचिव को 2009 से लगातार प्रमाण सहित पत्र लिखकर अनिल कुमार उपाध्याय व अन्य चोरगुरूओं को  अध्यापक के पद से बर्खास्त करने की मांग करते रहे हैं। इसके बावजूद काशी विद्यापीठ के कुलपति व कुलसचिव ने बेशर्मी व मनमाने तरीके से चोरगुरू डा.अनिल कुमार उपाध्याय को बचाते हुए प्रोफेसर बना दिया। इस बारे में 2009 से पत्र लिखते रहे सामाजिक कार्यकर्ता कैलाश गोदुका ने यूजीसी अध्यक्ष,राज्यपाल,कुलपति,कुलसचिव को पत्र लिखा था कि चोरगुरू अनिल कुमार उपाध्याय को प्रोफेसर बनाने के लिए किया जा रहा साक्षात्कार स्थगित कराया जाय और उनके शैक्षणिक कदाचार पर कार्रवाई करते हुए उनकी डी.लिट. की डिग्री रद्द की जाय,नौकरी से बर्खास्त किया जाय । लेकिन अनिल कुमार उपाध्याय को संरक्षण देकर    शैक्षणिक कदाचार को बढावा देने में लगे कुलपति नाग और कुलसचिव साहब लाल ने उनको प्रोफेसर बना दिया। यूजीसी ने 18-07-2013 को पत्र संख्या F-54-4/2010(SU-II) के मार्फत कैलाश गोदुका के कई पत्रों में से 20-06-2013 वाले पत्र पर महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ,वाराणसी से जवाब मांगा तो कुलसचिव साहब लाल मौर्य ने यूजीसी के अनु सचिव को दिनांक 12-08-2013 का लिखा दो पृष्ठ का पत्र (पत्रांक – कु.स./8457/ 2Aसाप्र 1(जांच)/ 2013 भेजा।इसके साथ 4 पृष्ठ दस्तावेज भी भेजा। यूजीसी के अनुसचिव श्रीमति परमजीत ने एक पृष्ठ के कवरिंग लेटर के साथ उसकी प्रति दिनांक 6-09-2013 को कैलाश गोदुका के यहां भेज दिया।उसमें इलाहाबाद हाईकोर्ट के मेडिएशन और कानसिलिएशन सेंटर में किये सेटलमेंट एग्रीमेंट का मात्र एक पृष्ठ लगाया गया है,बाकी पृष्ठ नहीं जिससे कि अनिल कुमार उपाध्याय ने  क्या क्या कबूला है ,खुलासा नहीं हो सके। साहब लाल के पत्र के साथ अनिल उपाध्याय के शैक्षणिक कदाचार की जांच की 2 पृष्ठ की रिपोर्ट भी है। चोरगुरू अनिल उपाध्याय के शैक्षणिक कदाचार का लिखित शिकायत देने और आन कैमरा प्रमाण दिखाने के कई माह बाद तबके कुलपति अवध राम के आदेश पर 7 अप्रैल 2010 को प्रो.टी.सिंह(त्रिलोकी सिंह) की अध्यक्षता में 4 सदस्यों वाली जांच समिति गठित की गई। जिसमें प्रो.शिशिर बसु,प्रो.आरपी सेन और प्रो. नन्दलाल को सदस्य बनाया गया। प्रो.बसु ने मना कर दिया तो अलीगढ़ मुस्लिम वि.वि. के  प्रो. सफी किदवई को उनकी जगह सदस्य बनाया गया। इसकी पहली बैठक 19-01-2011 को हुई, जिसमें टी.सिंह,किदवई,नन्दलाल शामिल हुए। किदवई की अनुपस्थिति में दूसरी व अंतिम बैठक 23-07-2013 को हुई जिसमें अध्यक्ष टी.सिंह,और संयोजक नन्द लाल (दोनों कुरमी हैं और नंद लाल के विरूद्ध झारखंड पीसीएस की कापी में नम्बर बढाने के मामले में सीबीआई जांच चल रही है) शामिल हुए ।और दोनों ने 15-08-2013 को अंतिम रिपोर्ट लगा दी।  जिसका शीर्षक है- डा. अनिल कुमार उपाध्याय,रीडर,पत्रकारिता विभाग के शैक्षणिक कदाचार (विवादित – डी.लिट. थीसिस) की जांच हेतु गठित समिति की रिपोर्ट
इसमें है कि अध्यक्ष और संयोजक  की उपस्थिति में समिति ने अंतिम रूप से निम्नांकित निर्णय लिए-
1-      विधिक राय पर विचार करते हुए समिति ने यह निर्णय लिया कि शिकायत कर्ता अपनी पुस्तक से संबंधित शिकायत का निस्तारण इंडियन कापी राइट एक्ट के तहत यथोचित प्राधिकरण से कर सकता है, तथा
2-      डा. अनिल उपाध्याय की डी.लिट. थीसिस तीन विषय विशेषज्ञों की संस्तुति पर पहले ही एवार्ड की जा चुकी है । यह विश्वविद्यालय की सर्वोच्च उपाधि है। समिति का यह मानना है कि इस शोध – प्रबंध से संबंधित कोई भी प्रकरण /बिन्दु विषय विशेषज्ञों को ही संदर्भित किया जाना चाहिए।


इस तरह अपने दोनों विरादर के  मार्फत कुलपति अवध राम ने शैक्षणिक कदाचारी डा.अनिल कुमार उपाध्याय के जांच की लीपापोती करवा दी।
और इस जांच रिपोर्ट को संतोषजनक नहीं मानते हुए विश्वविद्यालय ने कार्यपरिषद के सदस्य प्रभाकर झा की अध्यक्षता में एक दूसरी जांच समिति भी गठित करवा दी,जिसकी रिपोर्ट अभी भी प्रतीक्षित है। जिसका जिक्र कुलसचिव साहब लाल के पत्र के पैरा 2 के अंत में है।
अपने पत्र के पृष्ठ 1 के पैरा 3 में साहब लाल क्या लिखते हैं  देखिये – .. यह भी कि इसी मध्य प्रो. ओम प्रकाश  सिंह के अभिलेखों की चोरी कर अपने नाम से प्रकाशित करने  के तथाकथित प्रकरण पर माननीय उच्च न्यायालय में डा. अनिल कुमार उपाध्याय द्वारा वाद में  प्रो. ओम प्रकाश सिंह एवं डा. अनिल कुमार उपाध्याय के बीच सुलह/समझौता हो चुका है जो संलग्न 2 पर अवलोकनीय है जिससे स्पष्ट है कि प्रो. ओमप्रकाश सिंह का डा. अनिल कुमार उपाध्याय पर अब अभिलेखों  के चोरी  का कोई विवाद नहीं है। अब जबकि  प्रो. ओम प्रकाश सिंह का अपने अभिलेखों से चोरी का अब कोई विवाद नहीं है तो अन्य कोई यह आरोप कैसे लगा सकता है।
प्रत्यावेदन की प्रस्तरवार आख्या अधोलिखित प्रकार है :
उपर्युक्त सम्पूर्ण वस्तुस्थिति से स्पष्ट है कि प्रत्यावेदक द्वारा डा. उपाध्याय की प्रोन्नति को रोकने के उद्देश्य से समस्त कार्वाही की गई है जिससे ऐसा प्रतीत होता है कि डा. उपाध्याय के साथ प्रत्यावेदक का कोई व्यक्तिगत रंजिश या प्रतिद्वंदिता है। अत:प्रशनगत शिकायत विचारणीय न होकर निरस्त करने योग्य है। भवदीय –डा.(साहब लाल मौर्य),कुलसचिव ।
विश्वविद्यालय के कुलपति नाग ,कुलसचिव साहब लाल द्वारा शैक्षणिक कदाचारी को इस तरह से मनमाने तरीके से  संरक्षण व प्रोन्नति देते हुए बेशर्म तर्क देने वाला पत्र वाया अंडर सेक्रेटरी यूजीसी, दिनांक 12-09-2013 को पाने के बाद कैलाश गोदुका ने उनके इस कारनामे के विरूद्ध 15-09-2013 को अध्यक्ष,यूजीसी,कुलपति पृथ्वीश नाग,कुलसचिव साहब लाल मौर्य ,राज्यपाल और मुख्यमंत्री उ.प्र. को 5 पृष्ठ का पत्र लिखा और उसके साथ साहब लाल का पत्र व संलग्न दस्तावेज 7 पृष्ठ लगाकर पहले ई-मेल  उसके बाद रजिस्ट्री करके कार्रवाई करने की मांग की। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अध्यक्ष ने उस पर दिनांक 20-09-2013 को ज्वाइंट सेक्रेटरी ( स्टेट यूनिवर्सिटी) को  निम्न आदेश दे दिया – प्लीज सीक द क्लीयरिफिकेशन फ्राम द यूनिवर्सिटी एबाउट (I)एजुकेशनल करप्शन, एंड (II)प्लेगरिज्म।देखिए आगे क्या होता है।
DATE26.09.2013,09.55A.M.

HIGH COURT KE ANTIM AADESH KE PAHALE HI MEDIATION CENTER KE DASTAVEJ KA CHORGURU ,REGISTRAR NE KIYA DURUPAYOG, KYA A.K.UPADHYAY NE 20,000 DEKAR NAKALCHEPI HONA SVIKAR KIYA ?

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हाईकोर्ट के अंतिम आदेश के पहले ही मेडिएशन सेन्टर के दस्तावेज का चोरगुरू व कुलसचिव ने किया दुरूपयोग
चोरगुरू को बचाने ,प्रोफेसर बनाने के लिए कुलपति नाग,कुलसचिव साहब लाल ने किया यह कारनामा
क्या डा. अनिल कुमार उपाध्याय ने 20 हजार रूपया देकर नकलचेपी होना स्वीकार किया  ?
-कृष्णमोहन सिंह
नईदिल्ली। इलाहाबाद हाईकोर्ट के अंतिम आदेश  के पहले ही मेडिएशन सेन्टर का दस्तावेज का महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ ,वाराणसी के चोरगुरू डा. अनिल कुमार उपाध्याय और कुलसचिव साहब लाल वर्मा  ने दुरूपयोग किया। कहा जाता है कि  कुलपति पृथ्वीश नाग और कुलसचिव साहब लाल मौर्य ने शैक्षणिक कदाचारी,चोरगुरू अनिल कुमार उपाध्याय  को बचाने ,प्रोफेसर बनाने के लिए यह कारनामा किया। चर्चा  यह भी है कि डा. अनिल कुमार उपाध्याय ने 20 हजार रूपया भी देने और नकलचेपी होना भी स्वीकारने वाला करार किया है।
इलाहाबाद हाई कोर्ट  के मेडिएशन और कान्सिलिएशन सेन्टर में डा.अनिल उपाध्याय(नकलकरके डी.लिट./पुस्तक लिखने वाले) और डा. ओमप्रकाश सिंह (जिनकी पी.एचडी.थीसिस / पुस्तक से नकल किया है ) के बीच दिनांक 06-04-2013 को समझौते पर हस्ताक्षर हुआ।
 दोनों पक्षों के बीच विवाद के चलते उच्च न्यायालय में Crl.Mise Application No.9568 of 2012 फाइल हुआ। माननीय न्यायाधीश बाला कृष्ण नारायण के 22-05-2012 के आदेश पर मामला मेडिएशन और कान्सिलिएशन सेन्टर में भेज दिया गया। जहां मेडिएटर/कांसिलेटर वकीलों के मार्फत दोनों पक्षों में विवाद सुलह के लिए 21-06-2012,21-07-2012,25-08-2012,06-10-2012,15-12-2012,05-01-2013,02-03-2013 और 06-04-2013 को  संयुक्त रूप से व अलग-अलग बैठक हुई। दोनों पक्षों ( अनिल कुमार उपाध्याय और ओम प्रकाश सिंह) ने मेडिएटर/कांसिलेटर वकीलों की उपस्थिति समझौते पर हस्ताक्षर किया।उस पर मेडिएटर/कांसिलेटर वकीलों व दोनों के वकीलों ने भी हस्ताक्षर किया।अभी केस पर उच्च न्यायालय का अंतिम आदेश नहीं आया है। 06.04.2013 के बाद भी लगातार तारीख पड़ रही है। दिनांक 26.09.2013 को सुनवाई संभावित रही।
CASE PENDING,DATE 26.09.2013
समझौते के अनुसार माननीय न्यायालय के समक्ष डा. अनिल कुमार उपाध्याय द्वारा  डा. ओम प्रकाश सिंह को रू.20,000 /-दिया जायेगा। अनिल उपाध्याय ने ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट III, वाराणसी में राहुल देव( तत्कालीन एडीटर इन चीफ सीएनईबी न्यूज चैनल) के विरूद्ध जो मुकदमा किया है और जिसके  तलबी आदेश के विरूद्ध राहुल देव ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल किया है और दोनों ही  याचिकाएं लंबित हैं,उस मामले में अनिल उपाध्याय वाराणसी के न्यायालय से मुकदमा वापस लेंगे । अनिल उपाध्याय और ओम प्रकाश सिंह एक दूसरे से और कोई दावा,मांग नहीं करेंगे।
यह है इलाहाबाद हाईकोर्ट  के मेडिएशन और कान्सिलिएशन सेन्टर में डा.अनिल उपाध्याय(नकलकरके पुस्तक लिखने वाले) और डा. ओमप्रकाश सिंह (जिनकी पी.एचडी.थीसिस ,पुस्तक से नकल किया है ) के बीच 06-04-2013 को  समझौता का सारांश । चर्चा है कि अनिल कुमार उपाध्याय और ओमप्रकाश सिंह ने इस समझौते को विस्तार से अलग से कई पृष्ठ में हिन्दी में लिखित समझौता किया है । 
  अब इस समझौते पर कई सवाल खड़े होते हैं। विद्वान वकीलों का कहना है कि इलाहाबाद हाई कोर्ट  के मेडिएशन सेन्टर में जब तक केस का फैसला नहीं हो जाता , जबतक उस पर हाई कोर्ट का अंतिम आदेश पारित नहीं  हो जाता , तबतक इस मुकदमे के किसी भी दस्तावेज को सार्वजनिक व उसका इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए । ऐसे में डा. अनिल कुमार उपाध्याय द्वारा इलाहाबाद हाई कोर्ट  के मेडिएशन और कान्सिलिएशन सेन्टर के 06-04-2013 के इस समझौता दस्तावेज को , महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ,वाराणसी में प्रोफेसर पद पर प्रमोशन के लिए लगाना,उसके आधार पर विश्वविद्यालय के कुलपति डा.पृथ्वीश नाग और कुलसचिव साहब लाल मौर्य का उनको मनमाने तरीके से प्रोफेसर पद पर पदोन्नति करा देना , यूजीसी द्वारा इस मामले में कैलाश गोदुका के 20-06-2013 के पत्र पर जवाब देने का आदेश दिये जाने के बाद कुलसचिव साहब लाल मौर्य ने शैक्षणिक कदाचारी , चोरगुरू अनिल उपाध्याय को प्रोफेसर पद पर प्रोन्नत किये जाने के कुलपति नाग व अपने किये को जायज ठहराने के लिए अन्य 3 पृष्ठ   दस्तावेज के साथ इस 1 पृष्ठ दस्तावेज को भी यूजीसी को दिनांक 12-08-2013 को भेज दिया जाना , दस्तावेज का सरासर दुरूपयोग है।
  डा.अनिल उपाध्याय , महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ,वाराणसी  में अध्यापक पद पर रहते हुए,जनता के टैक्स के पैसे से मोटी सेलरी लेते हुए ,नकल करके ( डा. ओम प्रकाश सिंह की पी.एचडी. थीसिस/पुस्तकसे )उसी विश्वविद्यालय से डी.लिट. की डिग्री लेते हैं,किताब लिखते हैं,यूजीसी के नार्म के अनुसार उस डी.लिट.,किताब पर अंक पाकर रीडर और अब प्रोफेसर बना दिये जाते हैं। क्या यह शैक्षणिक कदाचार का मामला नहीं है?क्या यह महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के परिनियम – विश्वविद्यालय के अध्यापकों की सेवा शर्तें 14.02 का उल्लंघन नहीं है?क्या यह नियुक्ति के समय अध्यापक द्वारा हस्ताक्षर किये जाने वाले करार का उल्लंघन नहीं है ? क्या यह विश्वविद्यालय के अध्यापकों की सेवा शर्तें 14.04 का (ख) दुराचरण (ग) विश्वविद्यालय की परीक्षाओं के संबंध में बेईमानी , नहीं है ?   सब है।इसके सबूत हैं। उसके बाद भी कुलपति नाग,कुलसचिव साहब लाल विश्वविद्यालय के अध्यापकों की सेवा शर्तें  14.04 के तहत शैक्षणिक कदाचारी डा. अनिल कुमार उपाध्याय की डी.लिट. की डिग्री वापस ले ,नौकरी से बर्खास्त क्यों नहीं कर रहे हैं?इसे केवल कापी राइट का मामला बताकर, जिसके थीसिस या किताब से सामग्री चुराकर थीसिस या किताब लिखा उससे समझौता , सुलह हो जाने का मामला बताकर शैक्षणिक कदाचारी , चोरगुरू आरोपी डा. अनिल कुमार उपाध्याय को  बचाने का काम क्यों कर रहे हैं?  जबकि इसी तरह के चोर गुरू मामले में जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय ,दिल्ली के रीडर डा. दीपक केम को बर्खास्त किया जा चुका है और उनकी बर्खास्तगी को दिल्ली हाइकोर्ट के डबल बेंच ने भी जायज ठहराया है।
  डा. अनिल कुमार उपाध्याय ने 2009 और2010 में  CNEBन्यूज चैनल के चोरगुरूकार्यक्रम में शैक्षणिक कदाचार , नकलचेपी कारनामा प्रमाण सहित दिखाये जाने के बाद  अपने को मौलिक लेखक होने का दावा करते हुए ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट III, वाराणसी में राहुल देव ( तब CNEBन्यूज चैनल में थे) के विरूद्ध जो आपराधिक आदि मुकदमा किया है और जिसके  तलबी आदेश के विरूद्ध राहुल देव ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल किया है और दोनों ही  याचिकाएं लंबित हैं।उस मामले में अनिल उपाध्याय वाराणसी के न्यायालय से मुकदमा वापस करने का करार इस समझौता शर्त में क्यों किये? इससे तो यही साबित होता है कि डा. अनिल कुमार उपाध्याय ने स्वीकार कर लिया है कि वह चोरगुरूहैं ,शैक्षणिक कदाचारी हैं, नकल करके डी.लिट थीसिस व पुस्तक लिखे हैं। और जब यह स्वीकार कर लिए हैं तब तो उनको बर्खास्त किया जाना चाहिए।

A.H.C.medation center  agreement,06.04.13

ANIL KUMAR UPADHYAY


OM PRAKASH SINGH

medical ghotala me masood ko saja to shiksha ghotala me chor guruyon,corrupt guruyon unake sanrakshak kulpatiyon,kulsachivon ko kyon nahi ?

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मेडिकल सीट घोटाला में पूर्व मंत्री मसूद को सजा तो शिक्षा घोटाला मामले में चोरगुरूओं,भ्रष्टाचारी गुरूओं उनके संरक्षक कुलपतियों,कुलसचिवों ,अफसरों को क्यों नहीं ?
Dainik Bhaskar
मेडिकल सीट घोटाला: मसूद को चार साल की जेल, सजा सुनते ही सन्‍न रह गए पूर्व मंत्री
Bhaskar.com   |  Oct 01, 2013, 17:45PM
बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव को चारा घोटाला मामले में सजा सुनाए जाने केबाद एक और नेता की राजनीति खतरे में पड़ गई है। तीस हजारी की सीबीआई कीविशेष अदालत ने 1990-91 में मेडिकल कॉलेजों में उम्मीदवारों को फर्जी ढंगसे प्रवेश दिलाने के मामले में दोषी करार दिए गए कांग्रेसी सांसद रशीद मसूदको चार साल कैद की सजा सुनाई है। सजा का ऐलान करते ही न्‍यायाधीश के आदेशपर उन्‍हें हिरासत में लेकर तिहाड़ जेल भेज दिया गया। अब मसूद राज्‍यसभासदस्‍य नहीं रह पाएंगे और न ही छह साल तक कोई चुनाव लड़ सकेंगे।
मसूद के अलावा मामले में दोषी करार दिए गए दो रिटायर्ड आईएएस अधिकारियोंको भी चार वर्ष कारावास तथा फर्जी तरीके से एमबीबीएस में दाखिला लेने वालेनौ छात्रों को एक-एक वर्ष कारावास की सजा सुनाई गई है। छात्रों की तरफ सेअदालत में जमानत आवेदन दायर किया गया है। विशेष न्‍यायाधीश जेपीएस मलिक नेफैसला सुनाए जाने के दौरान मामले की सुनवाई बंद कमरे में की और सजा का ऐलानकिया। फैसला सुनते ही रशीद सन्‍न रह गए।
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...........बहसके दौरान सीबीआई के वकील ने जज से कहा था कि रशीद मसूद ने काबिल छात्रोंका करियर बिगाड़ा है, उन्हें कम-से-कम सात साल की सजा जरूर मिलनी चाहिए।

कोर्ट में सजा पर कैसी चली बहस
दोषी करार दिए गए रशीद मसूद ने देश की लंबे समय तक की गई सेवा और खराबसेहत कारणों का हवाला देते हुए अदालत से सजा में नरमी की मांग की, जबकिसीबीआई ने उन्हें कम से कम 7 साल की सजा देने और उन पर भारी जुर्माना लगानेकी अपील की। 67 वर्षीय मसूद के वकील ने सजा की अवधि पर दलील देते हुएसीबीआई के स्पेशल जज जे. पी. एस. मलिक से कहा, 'मैं पिछले 30 सालों से संसदसदस्य हूं और मैं कानून का पालन करने वाला नागरिक हूं। मामले के नेचर, मेरी उम्र और पहले की साफ छवि को ध्यान में रखते हुए मुझे प्रॉबेशन का लाभदिया जाना चाहिए।'

सीबीआई के वकील वी.एन. ओझा ने हालांकि उनकीप्रॉबेशन की अपील का विरोध करते हुए कहा, 'रशीद मसूद को सात साल से कम सजानहीं मिलनी चाहिए और उन पर भारी जुर्माना लगाया जाना चाहिए क्योंकि अपनेरिश्तेदार सहित अयोग्य उम्मीदवारों को नामित करके उन्होंने काबिल छात्रोंका कैरियर बिगाड़ दिया है।'

1990
में वी. पी. सिंह सरकार मेंस्वास्थ्य मंत्री रहे मसूद को केंद्रीय पूल से देशभर के मेडिकल कॉलेजों मेंदाखिले के लिए त्रिपुरा को आवंटित एमबीबीएस सीटों पर धोखाधड़ी से अपात्रउम्मीदवारों को नामित करने का दोषी ठहराया गया था।

स्पेशल सीबीआईजज जे. पी. एस. मलिक ने मसूद को आईपीसी की धाराओं 120-बी (आपराधिकषड्यंत्र), 420 (धोखाधड़ी) और 486 (जालसाजी) तथा भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियमके प्रावधानों के तहत दोषी ठहराया था। हालांकि उन्हें आईपीसी की धारा 471 के तहत लगे आरोपों से बरी कर दिया गया, जो फर्जी दस्तावेज को वास्तविक केतौर पर इस्तेमाल करने से जुड़ी है।
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 ये प्रमाण हैं जो साबित करते हैं कि जब चारा घोटाला मामले में लालू,जगन्नाथ आदि व मेडिकल सीट घोटाला मामले में मसूद व अन्य को सजा हो सकती है तो शिक्षा घोटाला,शैक्षणिक भ्रष्टाचार मामले में वीर बहादुर सिंह वि.वि. जौनपुर ,महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ वाराणसी,बुंदेलखंड वि.वि. झांसी,महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय वि.वि. वर्धा के चोरगुरूओं,शैक्षणिक भ्रष्टाचारियों,उनके संरक्षक कुलपतियों,कुलसचिवों,उनको संरक्षण दे रहे अफसरों को क्यों नहीं ?

देखिए यहां सीबीआई के वकील ने कोर्ट में क्या कहा है-
सीबीआई के वकील वी.एन. ओझा ने हालांकि उनकीप्रॉबेशन की अपील का विरोध करते हुए कहा, 'रशीद मसूद को सात साल से कम सजानहीं मिलनी चाहिए और उन पर भारी जुर्माना लगाया जाना चाहिए क्योंकि अपनेरिश्तेदार सहित अयोग्य उम्मीदवारों को नामित करके उन्होंने काबिल छात्रोंका कैरियर बिगाड़ दिया है।'

इस आधार पर तो यही  मामला बनता हैप्रो.राममोहन पाठक पर म.म.मो.मा.पत्रकारिता संस्थान,काशी विद्यापीठ का निदेशक रहने के दौरान अपने सगे पुत्र का नम्बर बढ़ाने  के आरोप वाले मामले में ,अन्य कई शैक्षणिक भ्रष्टाचार के मामले में  और उसके लड़के पर भी जो इस समय बिहार में एक वि.वि. में पत्रकारिता का लेक्चरर हो गया है।
इसी तरह का मामला चोरगुरू,शैक्षणिक भ्रष्टाचारी डा. अनिल कुमार राय अंकित और उसको  मगांअंहिविवि वर्धा में प्रोफेसर नियुक्त कराकर डीन बनाने और उसको साढ़े चार साल तक बचाते रहने वाले कुलपति छिनाली फेम वाले विभूति नारायण राय आईपीएस   पर भी  बनता है। वीबसिंपूविवि,मगांकाविपीठ के कुलपतियों ,कुलसचिवों पर उनके संरक्षक अफसरों पर भी बनता है।

RASTRAPATI DADA APANE BETE KE KAHANE PAR, LEKHIKAYON KO CHHINAL KAHANE VALE GHOTALA,BHRASTACHAR AAROPI CHORGURU SANRAKSHAK V.N.RAI(IPS) KO BANAYENGE DUBARA KULAPATI ?

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DATE14-10-2013
यह खबर कई राज्यों के कई अखबार में 13-10-2013 और 14-10-2014 को छपी है ।


क्या राष्ट्रपति दादा अपने सांसद पुत्र की सिफारिश पर, लेखिकाओं को छिनाल कहनेवाले घोटाला,भ्रष्टाचार आरोपी  चोरगुरू संरक्षक पुलिसवाले को बनायेंगे  दुबारा कुलपति?

: महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय वर्धा के घोटाला ,भ्रष्टाचार आरोपी, चोरगुरू अनिल कुमार राय को प्रोफेसर नियुक्त कर डीन बना बचाने  और लेखिकाओं को छिनाल कहने वाले कुलपति विभूति नारायण राय(आईपीएस) ने सर्च कमेटी में अपने द्वारा ( एक्जक्यूटिव कमेटी का सर्वेसर्वा कुलपति) नामित दो सदस्यों चर्चित  कपिला वात्यायन और जुगाड़ी प्रीतम सिंह के मार्फत अपना नाम एक टर्म और कुलपति के लिए डलवा दिया है। लेकिन राष्ट्रपति की तरफ से नामित प्रख्यात साहित्यकार अशोक वाजपेई ने छिनाली फेम व भ्रष्टाचार , घोटाला आरोपी विभूति नारायण राय के विरूद्ध नोट लगा दिया है।चर्चा है कि उसकी काट करके अपना नाम आगे बढ़वाने और राष्ट्रपति द्वारा उस पर मंजूरी दिलवाने के लिए भयंकर जुगाड़ी विभूति ने राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी  के सांसद पुत्र के यहां जुगाड़ लगाया है। अपने विरादर सपा सांसद रेवती रमण के मार्फत मुलायम सिंह यादव से जुगाड़ लगा रहे हैं। कोलकाता में रहने वाली महाश्वेता देवी से भी प्रणव मुखर्जी के यहां सिफारिश लगवाने की कोशिश में लगे हैं। नामवर सिंह के मार्फत भी जुगाड़ लगा रहा है।  देखिये राष्ट्रपति दादा अपने सांसद पुत्र , मुलायम,महाश्वेता,नामवर आदि की सिफारिश पर इस भ्रष्टाचार आरोपी,महिला साहित्यकारों को छिनाल कहने वाले चोरगुरू संरक्षक पुलिस वाले वी एन राय (आईपीएस) को महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय को और बर्बाद करने के लिए एक टर्म और देते हैं या नहीं ।    

LEKHIKAYON KO CHHINAL KAHANE VALE , BHRASTACHAR AAROPI KULAPATI V.N.RAI(IPS)
CHORGURU ANIL KUMAR RAI

MGAHVV WARDHA KE CHANCELLOR NAMVAR SINGH
  

HINDI VISHW VIDYALAY PAR DUBARA KABJE KE LIYE RASHTRAPATI KE BETE AUR MAHASHVETA KI SHARAN PAHUNCHE VIBHUTI NARAYAN RAI ?

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date16-10-2013


http://www.jansatta.com/index.php/component/content/article/1-2009-08-27-03-35-27/52920-2013-10-16-04-10-52?tmpl=component&print=1&page=

lekhikayon ko chhinal kahanevale,chorguru sanrakshak,ghotala aaropi v.n.rai(ips)




राकेश तिवारी
नई दिल्ली। एक और कार्यकाल हासिल करने केलिए कई दांव-पेच आजमाने के बाद महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदीविश्वविद्यालय के विवादग्रस्त कुलपति विभूति नारायण राय ने क्याब्रह्मास्त्र का इस्तेमाल किया है? पता चला है कि वे राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के बेटे सांसद अभिजीत मुखर्जीऔर बांग्ला की प्रख्यात लेखिका महाश्वेता देवी के जरिए राष्ट्रपति पर दबावबनाने में जुटे हैं।
राष्ट्रपति हिंदी विश्वविद्यालय के विजिटर हैं।पूर्व पुलिस अधिकारी राय की मुश्किल यह है कि उनके खिलाफ गंभीर शिकायतों काअंबार ही नहीं है, सतर्कता आयोग तक में अनेक शिकायतों की जांच लंबित है।महिला-विरोधी विचार प्रकट करने के लिए उन्हें केंद्र सरकार को सफाई देने केबाद सार्वजनिक माफी मांगनी पड़ी थी। इस मुद्दे को लेकर किसी कुलपति केखिलाफ संभवत: पहली बार हिंदी के लगभग दो सौ लेखकों ने बयान जारी किया था।
दिलचस्पबात यह है कि नए कुलपति के लिए केंद्र सरकार गठित सर्च कमेटी मेंराष्ट्रपति द्वारा ही मनोनीत संयोजक, कवि-आलोचक और हिंदी विश्वविद्यालय केसंस्थापक-कुलपति अशोक वाजपेयी, के विरोध के बावजूद राष्ट्रपति को भेजे गएपांच नामों में विभूति नारायण राय अपना नाम जुड़वाने में सफल रहे हैं। कमेटीमें लखनऊ से आए मैनेजमेंट गुरुप्रीतम सिंह के साथ विदुषी कपिलावात्स्यायन ने भी चौथे नाम के स्थान पर राय का नाम जुड़वाने में सहमति जाहिरकर दी। इस पर अशोक वाजपेयी ने इस विवादास्पद नाम पर अपनी लिखित क­­­­ड़ी आपत्तिदर्ज की।
राष्ट्रपति के प्रतिनिधि होने के कारण राष्ट्रपति के समक्षअशोक वाजपेयी की राय का महत्त्व बढ़ जाता है। माना जाता है इसी की काट केलिए विभूति नारायण राय ने राष्ट्रपति के बेटे और प्रतिष्ठित बांग्ला कथाकारमहाश्वेता की शरण ली है। महाश्वेता देवी के करीबी पत्रकार को राय अपनेविश्वविद्यालय में अच्छी-खासी नियुक्ति दे चुके हैं। बताया जाता है किपत्रकार राष्ट्रपति के बेटे अभिजीत के बीच भी कड़ी का काम कर रहे हैं।
सूत्रोंके मुताबिक सर्च कमेटी ने जो पांच नाम हिंदी विश्वविद्यालय के अगले कुलपतिके लिए प्रस्तावित किए, उनमें पहला नाम संघ लोक सेवा आयोग के पूर्व सदस्यऔर आलोचक पुरुषोत्तम अग्रवाल का है। दूसरा भाषाविद् और विश्व भारती केप्रो-वाइस चांसलर उदय नारायण सिंह का, तीसरा राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान केकुलपति राधावल्लभ त्रिपाठी का और चौथा विभूति नारायण राय का है। आखिरी नामप्रो गिरीश्वर मिश्र का बताया जाता है। हिंदी विश्वविद्यालय के कुलपति केतौर पर विभूति नारायण राय का कार्यकाल इसी महीने के अंत में पूरा होने वालाहै।
गौरतलब है कि कपिला वात्स्यायन और प्रीतम सिंह को विश्वविद्यालयकी कार्यपरिषद ने सर्च कमेटी के लिए नामित किया है। आरोप है कि राय की ओरसे सर्च कमेटी के एक सदस्य के जरिए प्रस्तावित सूची में राय का नामशामिलकरवाने के लिए संयोजक अशोक वाजपेयी पर दबाव डाला गया। एक सदस्य के अंत तकअड़ जाने पर वाजपेयी ने पांच नामों में विभूति का नाम तो शामिल कर लिया, लेकिन साथ में अपनी असहमति का नोट भी नत्थी कर दिया। बताया जाता हैराष्ट्रपति को भेजी गई पांच लोगों की सूची में अपना नाम जुड़वाने और इसकेलिए सर्च कमेटी के सदस्यों को प्रभावित करने के प्रयास में राय ने दिल्लीऔर कोलकाता में भारी लाबिंग की।
इस बारे में संपर्क करने पर वाजपेयी नेकोई भी टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। सूत्रों के मुताबिक वाजपेयी नेराष्ट्रपति को भेजे गए अपने असहमति नोट में कई मुद्दे उठाए हैं। उन्होंनेकहा है कि मार्च में केंद्रीय सतर्कता आयोग ने मानव संसाधन विकास मंत्रालयको राय के खिलाफ मिली शिकायतों की जांच करने को कहा था। सतर्कता आयोग नेमंत्रालय को जांच के लिए बारह हफ्ते का समय दिया था। लेकिन मंत्रालय ने अबतक अपनी जांच रिपोर्ट आयोग को नहीं भेजी है। वाजपेयी ने कहा कि नियंत्रकएवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) ने भी 2009-11 और 2011-12 की अपनी रिपोर्ट मेंविश्वविद्यालय प्राधिकारियों की गंभीर वित्तीय अनियमितताओं की ओर संकेतकिया था। सूत्रों का यह भी कहना है कि वाजपेयी ने  कहा है कि राय के कुलपतिरहते हिंदी विश्वविद्यालय उम्मीदों पर खरा उतरने में नाकाम रहा है।उन्होंने विश्वविद्यालय के स्तर में गिरावट के लिए कमजोर फैकल्टी और शोधकार्य को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने यह भी कहा है कि यह विश्वविद्यालयअंतरराष्ट्रीय होना तो दूर, राष्ट्रीय भी नहीं हो सका और क्षेत्रीयविश्वविद्यालय होकर रह गया। सर्च कमेटी के बाकी दो सदस्यों से संपर्क करनेका प्रयास किए जाने के बावजूद उनसे संपर्क नहीं हो पाया।
सूत्रों काकहना है कि राष्ट्रपति, उनकी सचिव और मंत्रालय को विभूति नारायण राय केखिलाफ आरोपों से जुड़े और कई पत्र अन्य लोगों की ओर से भी भेजे गए हैं।देखना है कि इन पत्रों और अशोक वाजपेयी की आपत्ति के मद्देनजर अबविश्वविद्यालय के विजिटर के नाते राष्ट्रपति क्या फैसला करते हैं। हालांकिकहा जा रहा है कि राष्ट्रपति के निर्णय में मानव संसाधन विकास मंत्रालय कीराय अहम होगी और इसी के मद्देनजर आशंका यह भी जताई जा रही है कि कहींमंत्रालय के स्तर पर ही असहमति का वह नोट रफा-दफा न कर दिया जाए। दूसरी तरफराष्ट्रपति के कामकाज के तरीके और स्वतंत्र निर्णयों को देखते हुएजानकारों का कहना है कि वे सर्च कमेटी की वरीयता सूची में से विभूति नारायणको चौथे नंबर से पहले नंबर पर ले आने का फैसला नहीं करेंगे। सतर्कता विभागमें लंबित मामले को देखते हुए मंत्रालय में भी राय का समर्थन मजबूत होनेकी आशंका जानकार कम मानते हैं।

यह खबर हिन्दी दैनिक जनसत्ता नई दिल्ली में 16-10-2013 को छपी है ।
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RASTRAPATI JI ,KYA AAP CHOR KO PROFESSOR NIYUKT KAR DEAN BANANE,BACHANE VALE,LEKHIKAYON KO CHHINAL KAHANE VALE,GHOTALA AAROPI V.N.RAI KO HINDI VISHWVIDYALAY KO AUR BARBAD KARANE KE LIYE DUBARA KULAPATI BANAYENGE ?

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DATE20-10-2013,7.30P.M.
पुलिस विभूति नारायण राय ने अंतरराष्ट्रीय हिन्दी वि.वि. वर्धा का कुलपति बनने के बाद  किस तरह अपने   चहेते चोर को प्रोफेसर नियुक्त करके डीन बनाया और उसको बचाते रहे इसका प्रमाण देखिए-
इसके लिए  नीचे दिये गये लिंक पर क्लिक करें।



V.C.-V.N.RAI KIS TARAH CHORGURU ANIL K. RAI KO BACHA RAHE HAIn, DEKHEN C.D.



V.N.RAI (I.P.S.)KULAPATI KE CHAHETE CHOR ANIL KUMAR RAI KA KARNAMA, KAISE BACHA RAHA HAI CHOR KO PULISHVALA (V.N.RAI)

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DATE 21-10-2013
YOUTUBE  par jakar CHORGURU type karen ,CNEB me CHORGURU  ME DIKHAYE GAYE  lagbhag sabhi CHORGURUYON AUR UNAKE SANRAKSHAK KULAPATIYON KE VEDIO MILENGE



CHORGURU ANIL KUMAR RAI AUR UNAKO PROFESSOR NIYUKT KAR BACHANEVALE V.N.RAI(I.P.S.) KE BARE ME 'CHORGURU' EPISODE 1 ,DATE 01-11-2009 KO DIKHAYA GAYA THA

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Date 22-10-2013 Time 06.20A.M.

महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिन्दी विश्व विद्यालय,वर्धा,महाराष्ट्र  के अंतररराष्ट्रीय चोरगुरू डा. अनिल कुमार राय उर्फ अनिल के.राय अंकित ने वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय में लेक्चरर रहने के दौरान चोरगुरू कुलपति पातंजलि के संरक्षण व सक्रिय सहयोग से  देशी -विदेशी विद्वानों,वैज्ञानिकों,विषय विशेष के विशेषज्ञों की पुस्तकों,शोध पत्रों से कट-पेस्ट करके, हूबहू नकल करके किस तरह अपने नाम से ढ़ेर सारी अंग्रेजी और हिन्दी में पुस्तकें छपवाकर ,उनके लेखक बन गया। उसके आधार पर यूजीसी के नार्म के अनुसार अंक पाकर,जुगाड़ लगाकर  पहले कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता विश्वविद्यालय रायपुर,छत्तीसगढ़ में  रीडर बना और उसके बाद महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिन्दी विश्व विद्यालय,वर्धा,महाराष्ट्र के  कुलपति  विभूति नारायण राय(आई.पी.एस) ने ने अपने इस चहेते चोर को प्रोफेसर नियुक्त कर, डीन बना  बचाने लगे , इसे CNEB न्यूज चैनल पर  कार्यक्रम "चोरगुरू"के पहले इपीसोड में दिनांक 1 नवम्बर 2009 को दिखाया गया था। वीडियो देखें-

http://www.youtube.com/watch?v=2nIubH9S8CI

मालूम हो कि पुलिसवाले विभूति नारायण राय , अपने चहेते चोरगुरू अनिल कुमार राय को प्रोफेसर नियुक्त करने से लेकर उसे बचाते रहने का हर हिकमत लगाते रहे हैं। यह करते और चोर को प्रोटेक्ट करते हुए 5 साल का अपना कुलपति का कार्यकाल पूरा कर लिया। कार्यकाल के अंतिम समय में दिखावा के लिए एक जांच कमेटी गठित किया ताकि चोर को बचाने के अपने धतकर्मों का बचाव करते हुए एक टर्म और कुलपति पद के लिए जुगाड़ लगा सकें। इस जातिवाद,भ्रष्टाचार,घोटाला,चोरगुरू संरक्षण आरोपी विभूति नारायण राय(V.N.RAI)का कुलपति का 5 साल का टर्म 28 अक्टूबर 2013 को पूरा हो रहा है। लेकिन एक टर्म और पाने के लिए तरह-तरह का जुगाड़ लगाने,लगवाने में जमीन आसमान एक कर दिया है।

GHOTALA AAROPI V.N.RAI AGALE KULAPTI KI NIYUKTI TAK PAD PAR

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DATE 28-10- 2013, 01.58 P.M.
 
घोटाला आरोपी विभूति नारायण राय अगले कुलपति की नियुक्ति तक पद पर
महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय,वर्धा के जिस विभूति नारायण राय(V.N.RAI,I.P.S.)पर अपने चहेते सजातीय चोरगुरू अनिल कुमार राय को प्रोफेसर नियुक्त कर लगातार बचाने,बढ़ाने का प्रमाण सहित आरोप है,जिस पर कैग ने अपनी रिपोर्ट में करोड़ो रूपये के घोटाला आदि का आरोप लगाया है ,जिस पर शिकायत के बाद सीवीसी ने जांच का आदेश दिया है,जिसने महिला लेखिकाओं को छिनाल कहने पर तबके मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल द्वारा दो घंटे के भीतर बिना शर्त मांफी मांगो नहीं तो बर्खास्त कर दिये जाओगे का कड़ा रूख अपनाने के बाद मांफी मांगकर नौकरी बचाई ,उस विभूति नारायण राय के नाम को उसी कपिल सिब्बल के मंत्रित्व वाले कानून मंत्रालय ने क्लीनचिट दे दी है। कैसे दी है यह एक अलग जांच का विषय है। चर्चा है कि करोड़ो रूपये के घोटाला,जातिवाद,चोरगुरू संरक्षण,नियुक्तियों में धांधली आरोपी विभूति नारायण राय की मदद अनंत कुमार सिंह नामक एक आईएएस अफसर कर रहा है जो बिहार का है लेकिन उ.प्र. कैडर का है,और जिसपर मुलायम सिंह यादव की सरकार के समय उत्तराखंड अलग राज्य बनाने की मांग को लेकर आंदोलन करने वालों पर घनघोर जुर्म करने का आरोप लगा था।जिसमें आंदोलनकारी औरतों के साथ बालात्कार आदि का भी मामला उठा था। उस समय विभूति नारायण राय भी उ.प्र.में पुलिस अफसर थे ।और तबसे दोनों में आपसी हितपोषक संबंध होने की चर्चा है। वही अनंत कुमार सिंह इन दिनों मानव संसाधन विकास मंत्रालय में  ज्वाइंट सेक्रेटरी , सेंट्रल यूनिवर्सिटी एंड लैंग्वेजेज के पद पर हैं। बताया जाता है कि सेंट्रल यूनिवर्सिटी की लगभग सभी फाइल इनके डेस्क से होकर जाती है । सो घोटाला आरोपी विभूति के ये खेवनहारों में से एक बने हुए हैं। बाकी तो मुलायम सरकार में मंत्री रहे और अब सांसद रेवती रमण सिंह ( जो कि विभूति नारायण राय के सजातीय और शुभचिंतक हैं),चर्चित कपिला वात्स्यायन,मनमोहन - सिब्बल की चंडीगढ़ लाबी के प्रीतम सिंह,वर्धा में कृपा शंकर चौबे को रीडर बनवाने वाली महाश्वेता देवी, वर्धा के चांसलर व वामपंथी लाबी वाले नामवर सिंह जैसों से  राष्ट्रपति के बेटे सांसद अभिजित मुखर्जी ,मानव संसाधन राज्य मंत्री  जितिन प्रसाद आदि के  यहां जुगाड़ लगवाकर , महाजुगाड़ी विभूति कुलपति पद पर एक टर्म और पाने की जी-जान से कोशिश कर रहे हैं।
महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय,वर्धा में विभूति का कुलपति पद पर  28 अक्टूबर 13 को 5 साल का टर्म पूरा हो गया। लेकिन चर्चा है कि जुगाड़ ,सिफारिश और अनंत नारायण सिंह व उनके बास उच्च शिक्षा सचिव अशोक ठाकुर के सक्रिय सहयोग और कुछ मंत्रियों के मौन समर्थन से इस घोटाला,भ्रष्टाचार आरोपी विभूति को अगला कुलपति नियुक्त होने तक बने रहने की इजाजत दे दी गई।         
मालूम हो कि राष्ट्रपति द्वारा नामित अशोक वाजपेई की अध्यक्षता वाली सर्च कमेटी में तीन लोग थे। बाकी दो नाम वर्धा के एक्जक्यूटिव काउंसिल जिसका अध्यक्ष कुलपति विभूति नारायण राय है ने दिया था,यानी विभूति ने दिया था। उसने इंदिरा गांधी की चहेती रही और अब सोनिया की प्रिय होने का दावा करने वाली चर्चित कपिला वात्स्यायन,सिब्बल की चंडीगढ़ लाबी के प्रीतम सिंह का नाम सर्च कमेटी का सदस्य बनाने के लिए दिया था। यानी सोनिया खेमा और मनमोहन -सिब्बल खेमा दोनों को पटाने उनके मार्फत गोटी फिट करने का इंतजाम।और इन दोनों ने ही जिद करके घोटाला आरोपी विभूति नारायण राय का नाम सूची में डाला , जबकि अशोक वाजपेई ने भ्रष्टाचार आरोपी विभूति के नाम का विरोध किया था और उसके विरूद्ध नोट लगाकर सूची के साथ लगा दिया। इस सर्च कमेटी ने पूरे भारत के हिन्दी विद्वानों में से बहुत मेहनत से खोजने, ढ़ूढ़ने के बाद  ये 5 नाम दिया है- 1.पुरूषोत्तम अग्रवाल,2.उदय नारायण सिंह,3.राधावल्ल्भ त्रिपाठी,4.विभूति नारायण राय,5.गिरीश्वर मिश्र । और इन पांचो के नाम को कानून मंत्रालय ने क्लीयर कर दिया है।  जिसके चलते सर्च कमेटी के दो चर्चित सदस्यों- कपिला,प्रीतम, मानव संसाधन मंत्रालय के अनंत कुमार सिंह,अशोक ठाकुर,सीवीसी के आदेश पर जांच कर रहे अफसर,मंत्रालय के जांच विभाग के दो आईएएस अफसरों पर अंगुली उठने लगी है।
कहा जाता है कि विभूति नारायण राय की कोशिश व सिफारिश किसी भी तरह से अपने नाम को भी मंत्रालय से राष्ट्रपति के पास   भेजवाने की है। जहां उसको पहली बार कुलपति बनने के लिए जो तरीका अपनाया उसी तरीके और राष्ट्रपति के बेटे व कुछ सांसदों,महाश्वेता आदि जैसों की कृपा से फिर अपने नाम पर मंजूरी मिलने का भरोसा है।
लेकिन इस तरह एक बार फिर भ्रष्टाचार मिटाने  उच्चशिक्षा व शिक्षण संस्थाओं , विश्ववविद्यालयों  की गुणवत्ता बढ़ाने का भाषण देने वाले मानवसंसाधन विकास मंत्रालय के मंत्रियों व अफसरों की कथनी और करनी की असलीयत उजागर हो गई।    

ANTARRASHTRIY CHORGURU KO PADMA SHRI DILAYENGE CHAVHAN,SHINDE,DENGE PRANAB ?

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DATE 19-11-2013,08.08 P.M.
क्या भारत के सबसे बड़े पुरस्कारों में से चौथे नम्बर का सिविलियन पुरस्कार "पद्मश्री"अब एक चोरगुर को दिया जायेगा ? 

क्या अंतरराष्ट्रीय चोरगुरू को पद्मश्री दिलवायेंगे मुख्यमंत्री चाव्हाण,गृहमंत्री शिंदे, देंगे राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ?
-कृष्णमोहन सिंह
ANIL KUMAR RAI
 नईदिल्ली।क्या महाराष्ट्र सरकार अंतरराष्ट्रीय चोरगुरू प्रो.(डा.) अनिल कुमार राय के नाम की संस्तुति  पद्मश्री पुरस्कार के लिए करेगी ?इसको पद्मश्री देने के लिए केन्द्रीय गृह मंत्रालय को सिफारिश करेगी?गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे  का केन्द्रीय गृह मंत्रालय इसे पद्मश्री देने की मंजूरी देगा ।  और राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी इस अंतरराष्ट्रीय चोरगुरू को पद्मश्री देंगे ? क्या भारत के सबसे बड़े पुरस्कारों में से चौथे नम्बर का सिविलियन पुरस्कार "पद्मश्री"चोरगुर को दिया जायेगा  ?    महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय,वर्धा(महाराष्ट्र) के अंतरराष्ट्रीय चोरगुरू प्रो.(डा.)अनिल कुमार राय का नाम महाराष्ट्र सरकार के पद्म पुरस्कार के लिए प्राप्त नामांकन सूची 2013 में 39 वें क्रमांक (नम्बर) पर है। देश –विदेश के विद्वानों,लेखकों की कापी राइट वाली पुस्तकों ,शोध-पत्रों,दूरस्थ शिक्षा के पाठ्य पुस्तकों से सामग्री अध्याय का अध्याय हूबहू उतारकर अपने नाम से  आधा दर्जन से अधिक अंग्रेजी व हिन्दी में पुस्तकें,शोधपत्र छाप लेने वाले और उसके आधारपर यूजीसी के नार्म के अनुसार अंक पाकर , छिनाली फेम वाले अपने पड़ोसी विरादर, भ्रष्टाचार/घोटाला आरोपी कुलपति विभूति नारायण राय की कृपा से वर्धा में प्रोफेसर व हेड बन कर पूरे शिक्षा तंत्र को ठेंगा दिखा रहा शैक्षणिक कदाचारी प्रो.(ड़ा.) अनिल कुमार राय अब पद्मश्री के लस्ट वालों की लाइन में लग गया है।इसके इस शैक्षणिक कदाचार,नकलचेपी,धोखाधड़ी,चारसौबीसी,शिक्षक आचार संहिता के उल्लंघन के बारे में टीवी सिरियलचोरगुरूपर 2009,2010 में कई एपीसोड दिखाया गया,अखबारों में लगातार छपा।उसके बारे में  सांसद हर्षवर्धन,सांसद राजेन्द्रसिंह राणा आदि 9 से अधिक सांसदों,समाजसेवी कैलाश गोदुका व वकील, पत्रकारों आदि ने राष्ट्रपति,प्रधानमंत्री,मानव संसाधन विकास मंत्री,यूजीसी और मगांअंहिविवि,वर्धा के कुलपति को 2009 से अब तक लगातार प्रमाण सहित पत्र लिखकर वर्खास्त करने की मांग की।लेकिन इस चोरगुरू को कुलपति विभूति नारायण राय बचाते रहे हैं। कहा जाता है कि इस अंतरराष्ट्रीय चोर ने पद्मश्री पाने के लिए केन्द्रीय गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे तक पहुंचने, जुगाड़ लगाने की कोशिश शुरू कर दिया है। क्योंकि राज्य सरकार से संस्तुति या सूची भेजे जाने के बाद केन्द्रीय गृह मंत्रालय उनमें से छंटनी करता है। जिनके विरूद्ध किसी तरह का भ्रष्टाचार ,घोटाला,कदाचार का प्रमाण सहित शिकायत या मामला होता है उसका नाम किनारे कर देता है। कहा जाता है कि चूंकि केन्द्रीय गृह मंत्री शिंदे महाराष्ट्र के हैं और यह अंतरराष्ट्रीय चोरगुरू अपने संरक्षक छिनाली फेम वाले विरादर कुलपति वी.एन.राय आईपीएस के संरक्षण व सक्रिय सहयोग
V.N.RAI
से वर्धा ,महाराष्ट्र में प्रोफेसर बन अपना तंत्र फैला लिया है,इसलिए वहां के  सत्ताधारी नेताओं ,कार्यकर्ताओं के मार्फत शिंदे आदि के यहां पहुंचने व लाभ पाने की कोशिश शुरू कर दिया है। इस बारे में पता चलने पर लोग कहने लगे हैं कि क्या गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे इस अंतरराष्ट्रीय चोरगुरू को पद्मश्री दिलवा देंगे।  लेकिन इस चोरगुरू और उसके संरक्षक कुलपति विभूति नारायण राय आईपीएस को जानने वालों का कहना है कि जब इस चोर को इसका विरादर एक पुलिस वाला कुलपति बनने के बाद प्रोफेसर,डीन बना सकता है , बेशर्मी से तरह-तरह का तर्क देते हुए इसको बर्खास्त नहीं कर इतने साल तक  बचा सकता है , तो चोरगुरू इसी तरह के कुछ अन्य पुलिसवाले या भ्रष्टाचारी संरक्षक से शिंदे के यहां भी जुगाड़ लगाकर पद्मश्री पा सकता है।क्योंकि ऐसे लोगों का रैकेट बहुत बड़ा और मजबूत होता है।
प्रमाण के तौर पर  प्रस्तुत है महाराष्ट्र सरकार की पद्मश्री नामांकन सूची 2013

Nominations received for Padma Awards 2013
Sl No.
Name
1 .
Dr. M.S. Ashraf
2 .
Dr. Yatish Agarwal
3 .
Prof. Kishor Munshi
4 .
Prof. (Dr.) Bhashyam Swamy
5 .
Shri Muppavarapu Venkata Simhachala Sastry
6 .
Dr. K.P. Srivastava
7 .
Dr. Nabin Kumar Pattnaik
8 .
Dr. Kamal Dutta
9 .
Shri Vinayak Vishnu Khedekar
10 .
Dr. Jitendra Pal Singh Sawhney
11 .
Ms. Jaya Prada Nahata
12 .
Prof. Afzal Ahmad
13 .
Shri Brahmpal Singh Nagar
14 .
Dr. Duvvuru Nageshwar Reddy
15 .
Dr. (Smt.) Neerja Madhav
16 .
Dr. Keshav Kumar Agarwal
17 .
Shri Anand Mohan Mathur
18 .
Dr. (Smt.) Anjali Devi Penupatruni
19 .
Dr. Sudarshan K. Aggarwal
20 .
Shri Purnachandra Rao Saggurti
21 .
Shri Narendra Paruchuri
22 .
Shri Rajendra K. Saboo
23 .
Shri Kishore Jain
24 .
Shri Sougaijam Thanil Singh
25 .
Ustad Kamal Sabri
26 .
Pandit Arvind Parikh
27 .
Dr. Sunil Pradhan
28 .
Shri Harsh Kumar Bindu
29 .
Dr. H.K. Nagaraj
30 .
Dr. Manohar Krishnaji Dole
31 .
Shri Abhay Rustum Sopori
32 .
Shri Swapan Chandra Mahato
33 .
Dr. Manju Dang
34 .
Shri Nemichand Toshniwal
35 .
Prof. (Dr.) Amal Kumar Chakravarty
36 .
Shri Malladi Krishna Rao
37 .
Prof. Jyoti Prakash Wali
38 .
Dr. L. Subramaniam
39 .

Prof. (Dr.) Anil Kumar Rai
40 .
Shri Thomas Jacob
41 .
Shri Gajanand Gupta
42 .
Smt. Rohini Devi Harihareswar
43 .
Shri Vasiraju Prakasam
44 .
Dr. Utpal Kant Singh
45 .
Dr. Kamini A. Rao
46 .
Smt. Usha Barle
47 .
Shri Sankar Kumar Sanyal
48 .
Dr. Acharya Prabhakar Mishra 

........................................................
जांच का विषय यह  है कि इस चोरगुरू को पद्म श्री  देने के लिए पत्र किन-किन ने लिखा है ?  चोर गुरू ने  किस -किससे लिखवाया है ?


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CORRUPTGURU,CHORGURU Anil Kumar Rai KO BACHA RAHE APSU REWA ke V.C.,REGISTRAR ?


Hindi me M.A. kiya chorgoru anil kumar rai ne nakal karake PHOTOGRAPHY ki kitab likhi


सांसद राजेन्द्र सिंह राणा ने मगांअंहिंवि वर्धा के कुलपति को अनिल कुमार राय के नकल करके पुस्तकें आदि लिखने की जांच की मांग कीथी,प्रमाण है 07-12-12 का पत्र


anil kumar rai ne research paper- "impact of mass ...


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NAG KA KIRTAN KAR CLEAN CHIT PANA CHAHATE CORRUPTGURU RAM MOHAN PATHAK ?

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date12-09-2013,10.55A.M.

नई दिल्ली।यूजीसी ने भ्रष्टाचारी गुरू राम मोहन पाठकपर आजअखबार समूह में स्थाई,पूर्णकालिक,रेगुलर नौकरी करते हुए काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी (BHU)से पूर्णकालिक ,रेगुलर एम.ए.(हिन्दी),बी.जे.,पी.एच-डी.(हिन्दी) करने और महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ,वाराणसी में स्थाई,पूर्णकालिक ,रेगुलर ,रीडर रहते ,उसके बाद काशी हिन्दू विश्वविद्यालय ,वाराणसी में स्थाई,पूर्णकालिक,रेगुलर पीआरओ रहते काशी हिन्दू विश्वविद्यालय,वाराणसी से एम.जे. करने , यूजीसी के नार्म के अनुसार इन डिग्री(धोखाधड़ी,शैक्षणिक कदाचार,दुराचरण करके अवैध तरीके से ली गई डिग्री)के आधार पर काशी विद्यापीठ,वाराणसी में प्रोफेसर पद की स्थाई नौकरी पाने ,जनता के टैक्स से जुटाये पैसे में से मोटी तनख्वाह पाने,की कई वर्ष से लगातार प्रमाण सहित शिकायत मिलने के बाद  इनके इस भ्रष्टाचार की जांच कराकर 3 माह (31 जून 2013) में रिपोर्ट देने का आदेश दे दिया। इसके अलावा इनपर काशी विद्यापीठ के केन्द्रीय पुस्तकालय का प्रभारी रहने के दौरान पुस्तकों का मूल्य   बढ़ाकर खरीद घोटाला करने का प्रमाण सहित आरोप लगा था , उसकी भी जांच कर रिपोर्ट 3 माह में देने का आदेश हुआ था। राममोहन ने यूजीसी से कई लाख रूपये का मेजर रिसर्च प्रोजेक्ट लिया था लेकिन रकम पूरा लेकर  समयावधि बीत जाने और लगतार कई बार रिमांइडर देने के बाद प्रोजेक्ट के रिपोर्ट ,पूरा करने आदि के बारे में कुछ भी जमा नहीं किये ।इस घोटाले की भी जांच करके 3 माह में रिपोर्ट जमा करने का आदेश हुआ। लेकिन महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के कुलपति डा. पृथ्वीश नाग उस जांच पर कुंडली मारे बैठे रहे और अभी 12-09-13 तक कुंडली मारे बैठे हुए हैं। 31 जून 2013 को रिपोर्ट देने की अंतिम तिथि के 3 दिन पहले शुक्रवार 28जून 2013 को भ्रष्टाचार व घोटाला आरोपी राममोहन पाठक का हिन्दी दैनिक नवभारत टाइम्स के सम्पादकीय पेज पर एक लेख छपा। जिसमें राममोहन ने कुलपति नाग का जमकर कीर्तन व चाटुकारिता किया है। चर्चा है कि इसी तरह के कर्म करके वह अपने घोटालों,भ्रष्टाचार की जांच मामले में नाग से क्लीन चिट पाने के जुगाड़ में लगा हुआ है। कहा जाता है कि उसके कीर्तन से प्रसन्न नाग उसको लगातार समय देकर साक्ष्य मिटाने,सिफारिश लगवा मामला रफा-दफा कराने का समय देते जा रहे हैं। नाग कीर्तन का प्रमाण देखिये-

 

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date 17-09-13,09.25P.M.
क्या
चोरगुरू अनिल कुमार राय को बचा रहे हैं अवधेशप्रताप सिंह वि.वि.रीवा के कुलपति,कुलसचिव ?
 -कृष्णमोहन सिंह

नईदिल्ली। चोरगुरू अनिल कुमार राय ने अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय
,रीवा (म.प्र.) से पत्राचार से बी.जे.( बैचलर इन जर्नालिज्म) किया। उसमें पढ़ने के लिए उसको जो
पुस्तिका मिली उसका कई अध्याय हूबहू कट पेस्ट करके,उतारकर अपनी पुस्तक
"संचार के सात सोपान" का अध्याय 7, फिल्मों की दुनियाबना लिया।विश्वविद्यालय के अधिकारियों,संबंधित विभाग के प्रमुख की माफ नहीं की जाने वाली लापरवाही से  पुस्तिका में  भले ही कापी राइट वाला लोगो छूट गया है , लेकिन पुस्तिका में यह भी  कहीं नहीं लिखा है कि यह सामग्री फ्री की है,और इसे कोई भी
जितना चाहे अध्याय का अध्याय उतारकर अपने नाम से पुस्तक छाप सकता हैया कहीं और उपयोग कर सकता है। वैसे भी जिन पुस्तकों में लिका भी हो कि सामग्री मुफ्त की है तब भी कोई व्यक्ति उसको हूबहू अध्याय का अध्याय उतारकर अपने नाम से पुस्तक छाप लेखक नहीं बन सकता , नहीं उसके आधार पर नौकरी व प्रोमोशन ले सकता है। यदि ऐसा करता है तो उसपर नकलकरने का,दूसरे की सम्पत्ति चोरी करने और यदि वह व्यक्ति लेक्चरर,रीडर,प्रोफेसर है तो  उसपर शैक्षणिक कदाचार,शिक्षक के चरित्र के विरूद्ध आचरण,भ्रष्टाचार,420,फोर्जरी का मुकदमा चलाया जा सकता है,नौकरी से बर्खास्त किया जा सकता है। जैसा कि अनिल कुमार राय के मित्र व साथ मिलकर नकल करके पुस्तक लिखने वाले डा. दीपक केम का हुआ। उन्होंने भी नकल करके पुस्तक लिखा था और उसे दिल्ली के उसी प्रेस से छपवाया ,प्रकाशित करवाया था जहां से अनिल कुमार राय ने । लेकिन राय को म.गां.अं.हि.वि.वि.,वर्धा के चोरगुरू संरक्षक  कुलपति वी.एन.राय (आई.पी.एस) ने प्रोफेसर बनाकर बचाने का काम करते रहे हैं, जबकि दीपक केम को जामिया मिलिया इस्लामिया दिल्ली के तबके कुलपति नजीब जंग (आई.ए.एस.,इस समय दिल्ली के उपराज्यपाल हैं) ने नकल व शैक्षणिक कदाचार के मामले में बर्खास्त कर दिया।जिसे दिल्ली हाई कोर्ट के डबल बेंच ने भी जायज ठहराया।
इधर वर्धा के चोरगुरू की हालत तो यह हो गई है कि  पुलिस से कुलपति बने छिनाली फेम वाले विरादर विभूति नाराय राय (V.N.RAI I.P.S.) के संरक्षण में प्रोफेसर और हेड बनने के बाद चोरगुरू
अनिल कुमार राय कहने लगा है कि वह तो फ्री का मैटर है।उसे उतारकर पुस्तक
लिखा है। उसके चलते शैक्षणिक कदाचार ,सामग्री चोरी ,फोर्जरी,शैक्षणिक
भ्रष्टाचार आदि का कोई मामला नहीं बनता।अपने प्रिय चोरगुरू का संरक्षक बने
कुलपति विभूति नारायण राय भी 2009 से उसको उसी के बताये तर्क को तोते की
तरह दुहराते  हुए बचा रहे हैं।
इस चोर गुरू ने अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय ,रीवा (म.प्र.) के पाठ्य
पुस्तिका से सामग्री चुराकर पुस्तक अपने नाम बनवा लिया है और उसका लेखक
बन गया है,जिसको 2009 और 2010 में चोरगुरू नामक टीवी सिरियल में प्रमाण
सहित  दिखाया गया था। विश्वविद्यालय के तबके कुलपति यादव का साक्षात्कार
भी लिया गया था। जिसमें उन्होंने इसकी जांच कराकर चोरगुरू अनिल कुमार राय
के विरूद्ध केस दर्ज  करवाने के लिए कहा था।विश्वविद्यालय के वकील सुशील
कुमार तिवारी ने दिनांक 31-11-2009 को चोरगुरू डा.अनिल कुमार राय  को
नोटिस भी दिया था।उसके बाद से अब तक विश्वविद्यालय के तबके और उनके बाद वाले कुलपति व कुलसचिव
ने  कुछ भी नहीं किया है।  कुलपति ने उस समय पत्रकार संजय देव से चोरगुरू
अनिल कुमार राय की लिखी पुस्तक संचार के सात सोपानप्रमाण के तौर पर ली
थी। बताया जाता  है कि वह पुस्तक और संबंधित दो फाइल कुलसचिव के कार्यालय
से गायब हो गई है। संजय देव ने राज्यपाल,उच्च शिक्षा मंत्री,कुलपति को दिनांक 4 मार्च 2013 को दो पेज का पत्र और उसके साथ 3 पेज वकील तिवारी का पत्र भेजकर मामले की  जांच व कार्रवाई करने की मांग की है।लोकसभा सांसद राजेन्द्रसिंह राणा ने  दिनांक 29-01-13 को और सांसद देवराज सिंह पटेल ने दिनांक 10-01-13 को राज्य पाल,उच्च शिक्षा मंत्री और कुलपति को पत्र लिखकर इस मामले की जल्दी से जल्दी जांच
कराने की मांग की है । यदि जांच हो गई है तो उसकी रिपोर्ट देने को कहा है ।।लेकिन कुलपति और कुलसचिव महोदय उसपर कुंडली मारे बैठे हुए हैं, और यह करके चोरगुरू अनिल कुमार राय को बचा रहे हैं।
यह खबर स्टार समाचार, सतना , 19-09-2013 को पृष्ठ 8 पर छपी है। शीर्षक है - कुलपति,कुलसचिव बचा रहे हैं नकलची को http://216.15.194.91/epapermain.aspx
इसके अलावा अन्य कई समाचार पत्रों में भी छपी है।


sattachakra.blogspot.in
date 17-09-13,09.25P.M.

CORRUPT GURU RAM MOHAN PATHAK KO KULPATI LAKSHMAN CHATURVEDI NE GURU GHASIDAS VISHWAVIDYALAYA ME PROF NIYUKT KARANE KI KAR LI TAIYARIV.

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date27-11-2013, time 12.59 p.m.


मूर्तिचोर आरोपी भ्रष्टाचारी गुरू राममोहन पाठक को कुलपति लक्ष्मण चतुर्वेदी ने गुरू घासीदास वि.वि. में प्रोफेसर नियुक्त कराने की करली तैयारी
30-11-13 को साक्षात्कार कराकर ज्वाइन कराने की  योजना
कार्यकारी कुलसचिव आईडी तिवारी भी राममोहन को नियुक्त कराने में कर रहे सक्रिय सहयोग
-कृष्णमोहन सिंह
नईदिल्ली। इसे कहते हैं जानबूझकर मक्खी निगलना। और जब काशी हिन्दू विश्व विद्यालय,वाराणसी  में पढ़ाते रहे  और वाराणसी के  रहने वाले प्रो.लक्ष्मण चतुर्वेदी , बिलासपुर के गुरूघासीदास विश्वविद्यालय ( केन्द्रीय वि.वि.) के कुलपति पद का


अपना कार्यकाल लगभग पूरा होने के पहले, वाराणसी के ही मूर्ति चोर आरोपी भ्रष्टाचारी गुरू, राममोहन पाठक को पत्रकारिता व जनसंचार विभाग में प्रोफेसर नियुक्त करें तो यह तो कहना जायज ही रहेगा। प्रो. लक्ष्मण चतुर्वेदी सच न बोलकर , अपने धतकर्म को जायज ठहराने के लिए कुछ भी कहें पर उनको अच्छी तरह पता है कि राम मोहन पाठक पर  नकल करके पी.एच-डी. करने का प्रमाण सहित आरोप लगा है। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय की एक जांच कमेटी ने नाजायज तरीके से इसकी जांच में लीपापोती वाली रिपोर्ट दी तो उसके विरूद्ध  नये सिरे से जांच करके पी.एच.डी. निरस्त करने का आवेदन दिया गया है। इसके अलावा इसी राम मोहन ने  वाराणसी में ही आज अखबार समूह में  पूर्ण कालिक,रेगुलर नौकरी करते हुए फ्राड करके ,काशी हिन्दू विश्वविद्यालय ,वाराणसी से पूर्णकालिक ,रेगुलर एम.ए.हिन्दी,बी.जे.,पी.एच-डी. किया । उसके बाद  महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ ,वाराणसी में रीडर पद पर पूर्णकालिक , रेगुलर नौकरी करते हुए , काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (बी.एच.यू.) वाराणसी से पूर्णकालिक , रेगुलर एम.जे. का एक वर्ष का कोर्स किया। उसी दौरान वह काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (बी.एच.यू.) वाराणसी में पी.आर.ओ. के पद पर पूर्णकालिक , रेगुलर नियुक्त हो गये तो  विद्यापीठ से रीडर पद से मुक्ति ले ली। इस तरह  राम मोहन ने सुबह 10 बजे से सायं 4 या 5 बजे तक  काशी विद्यापीठ में रीडर पद पर पूर्ण कालिक,रेगुलर  काम करते हुए और उसके बाद बी.एच.यू. में पी.आर.ओ. का पद ज्वाइन करने के बाद पूर्ण कालिक , रेगुलर  काम करते हुए , कैसे सुबह 10 बजे से सायं 4 बजे तक पूर्ण कालिक ,रेगुलर मास्टर आफ जर्नालिज्म किये । जबकि  बी.एच.यू. के नियम के अनुसार एक जगह पूर्णकालिक नौकरी करते हुए एम.जे. का पूर्ण कालिक कोर्स नहीं किया जा सकता। यह सरासर धोखाधड़ी है। इन डिग्री व आज अखबार के अनुभव के आधार पर ( रीडर पद के लिए जो आवेदन दिये थे वह इसका प्रमाण है)राममोहन पाठक ,पं. विद्यानिवास मिश्रा जब महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के कुलपति थे तो उनकी   कृपा से वहां रीडर नियुक्त हो गये। और बी.एच.यू. में पी.आर.ओ. की नौकरी करने के बाद महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ में प्रोफेसर के लिए आवेदन दिये थे और नियुक्ति वाले फार्म भरे थे उसमें भी राममोहन ने जो लिखा है वह प्रमाण है कि धोखाधड़ी,फ्राड से लिए डिग्री , और पी.एचडी. के आधार पर इन्होंने (राम मोहन पाठक)  ये सब नौकरियां पाईं । उनके विरूद्ध केन्द्रीय  पुस्तकालय के लिए पुस्तक खरीद में घोटाले व अन्य तरह के भी घोटालों के प्रमाण सहित आरोप हैं। राम मोहन पाठक के प्रोफेसर पद से सेवा निवृत होने के पहले ,उनके विरूद्ध  प्रमाण सहित लिखित शिकायत मिलने पर यूजीसी ने महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ को  जांच कराकर  3 माह (जून 13 तक) में  रिपोर्ट देने को कहा था।और उसकी प्रति शिकायतकर्ता को भी देने का आदेश दिया है। उनके विरूद्ध वाराणसी में मूर्ति चोरी का एफआईआर भी दर्ज है।


 बताया जाता है कि गुरू घासीदास विश्वविद्यालय ( केन्द्रीय वि.वि.) ,बिलासपुर के कुलपति  लक्ष्मण चतुर्वेदी और कार्यकारी कुलसचिव आई.डी तिवारी अपने अति प्रिय राममोहन के इस भ्रष्टाचार,धतकर्मों को अच्छी तरह जानते हैं उसके बाद भी ये दोनों ही मिलकर उनको प्रोफेसर पद पर नियुक्त करवा रहे हैं।और राज्य के वि.वि. महात्मागांधी काशी विद्यापीठ , वाराणसी से सेवानिवृत वाले ( वहां सेवानिवृत का वर्ष कम है । केन्द्रीय विश्वविद्यालयों में सेवानिवृत होने की उम्र 65 वर्ष है) 02-04-1951 को पैदा हुए भ्रष्टाचार आरोपी डा. राममोहन पाठक को  कुलपति  लक्ष्मण चतुर्वेदी और कार्यकारी कुलसचिव आई.डी तिवारी ने गुरू घासीदास वि.वि. में प्रोफेसर नियुक्त कराने का इंतजाम कर दिया है। लक्ष्मण चतुर्वेदी ने अपने इस अति प्रिय भ्रष्टाचार आरोपी को नियुक्त करने की कोशिश तो अप्रैल 14 में ही की थी , लेकिन उस समय कई कारण से इसमें सफल नहीं हो पाये थे। सो अब बाकायदे विज्ञापन निकाल कर , कागजी खानापूर्ति करके भ्रष्टाचार आरोपी को नियुक्त करने का पक्की व्यवस्था करा देना चाहते हैं। ताकि यह  कुछ वर्ष यहां भी ( 65वर्ष के होने तक) अपनी छाप छोड़ सकें। इस योजना के तहत ,  20 नवम्बर 2013 को जारी पत्रांक संख्या 3386/REC/ADMN/2013के अनुसार प्रोफेसर पद हेतु 30-11-2013 को सुबह होने वाले साक्षात्कार के लिए तीन कंडिडेट बुलाये गये हैं ।जिनके नाम हैं 1- विश्वेश्वर राव 2- ज्ञान प्रकाश पांडेय 3- डा.राम मोहन पाठक । विश्वविद्यालय में चर्चा है कि  विश्वेश्वर राव व ज्ञान प्रकाश पाण्डेय तो दिखाने के लिए मात्र डमी कंडिडेट हैं। और जो  इंटरव्यू लेने आने वाले हैं वे सब भी पहले से सेट हैं। चर्चा में एक नाम माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता वि.वि. भोपाल के कुलपति चर्चित कुटियाला का है । जो राममोहन की ही राशिवाले हैं ,सो दोनों में मौसेरे भाई की तरह पटती है।
मालूम हो कि चतुर्वेदी का कार्यकाल पूरा होने वाला है। फरवरी 2014 में कोई दूसरे महानुभाव कुलपति बनेंगे। सो जाने के पहले चतुर्वेदी खाली पदों को भरने में जुटे हैं । जिसमें राममोहन जैसों की संख्या ज्यादा होने की संभावना जताई जाने लगी है।
 घोटाला/भ्रष्टाचार आरोपी डा.राम मोहन पाठक को प्रोफेसर नियुक्त करने के लिए कुलपति लक्ष्मण चतुर्वेदी और कुलसचिव आईडी तिवारी द्वारा किये जा रहे उपक्रम की कुछ लोगो ने बाकायदे लिखित शिकायत इन दोनों व संबंधित मंत्रालय को की है।   प्रमाण देखें - 























राम मोहन पाठक ने महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ,वाराणसी  से सेवानिवृत होने के बाद वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल वि.वि., जौनपुर के कुलपति पंडित सुन्दर लाल से भी घनिष्ठता का लाभ लेकर उनके यहां अपनी गोटी फिट करने का लगभग इंतजाम कर लिया था। लेकिन करप्ट गुरू  को  संरक्षण देने की जल्दीबाजी में पंडित सुन्दर लाल ने   मूर्ति चोर आरोपी राम मोहन पाठक को 11 सितम्बर 2013 को विवेकानंद की मूर्ति के अनावरण के लिए विशिष्ट अतिथि बनाकर बुला लिया।
जिस पर राज्यपाल पंडित बी.एल. जोशी को एक वकील राजीव पाण्डेय ने प्रमाण सहित शिकायत किया तो वहां से इसकी जांच कराने का आदेश होने के बाद अपने बचाव में पंडित सुंदर लाल ने सुंदर शातिर तर्क देकर अपना गला बचाया। जिसका प्रमाण आपको जल्दी देखने को मिलेगा । उसके पहले पंडित सुंदर लाल  की करप्ट गुरू प्रोमोशन की करनी का निम्न प्रमाण देख लें - 

Wednesday, September 11, 2013


vivekanand ki murti anavaran me mutichor aaropi ram mohan pathak ko vishisht atithi banane par huya complain

Date: Wed, Sep 11, 2013 at 10:59 AM
Subject: report/representation
To: sunder_lal2@rediffmail.com, hgovup@up.nic.in, cm@ugc.ac.in
 


Please find enclosed

Report/Representation regarding invitation to Mr.
Ram Mohan Pathak, Ex-Professor Mahatma Gandhi Kashi Vidyapeeth, Varanasi as special guest of honour in the function of the Inauguration of Statue of Sh. Vivekananda in the Central Library of Veer Bahadur Singh Poorvanchal Vishwavidyalaya Jaunpur where it is notable that Mr. Ram Mohan Pathak is accused of stealing statues from a temple and FIR No. 167/10 dated 23.06.2011 u/s 379/419/506 IPC by Desar Devi W/o Sh. Lalji Mishra, Kabir Chaura, Varanasi, is registered against him in P.S. Chetganj Varanasi, and allegations of fraud/corruption and educational misconduct and corruption had been leveled against him.
--
Warm Regards,

Rajeev Ranjan Pandey
Advocate
                    
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To,                1.Hon’ble Governer of Uttar Pradesh
                                2.Chairman University Grant Commission
 3.Vice Chancellor
                                Veer Bahadur Singh Poorvanchal Vishwavidyalaya,
                                Jaunpur.
4.Registrar
                                Veer Bahadur Singh Poorvanchal Vishwavidyalaya
                                Jaunpur.
Sub:- Report/Representation regarding invitation to Mr.
Ram Mohan Pathak, Ex-Professor Mahatma Gandhi Kashi Vidyapeeth, Varanasi as special guest of honour in the function of the Inauguration of Statue of Sh. Vivekananda in the Central Library of Veer Bahadur Singh Poorvanchal Vishwavidyalaya Jaunpur where it is notable that Mr. Ram Mohan Pathak is accused of stealing statues from a temple and FIR No. 167/10 dated 23.06.2011 u/s 379/419/506 IPC by Desar Devi W/o Sh. Lalji Mishra, Kabir Chaura, Varanasi, is registered against him in P.S. Chetganj Varanasi, and allegations of fraud/corruption and educational misconduct and corruption had been leveled against him.
Respected Sir,                                                                                                                                                                                                                             
                It is most humbly submitted that the undersigned has sent several complaints to above captioned all high dignitaries and relevant authorities against Sh. Ram Mohan Pathak, Ex-Professor Mahatma Gandhi Kashi Vidyapeeth and Hon’ble Chairman University Grant Commission was pleased to order an enquiry against him in connection of fraud and corruption and the said enquiry is Lingering.
                Moreover Ram Mohan Pathak and his two sons are accused of stealing a statue, fraud and threatening and in this regard a complaint had been lodged at P.S. Chetganj on 23.06.2010 U/s 379/419/506 IPC by one Desar Devi W/o Late Sh. Lalji Mishra Kabirchaura, Varanasi and the case is still in progress.
                Therefore in the light of above stated facts it is very unfortunate to invite such a person as special guest of honour. Moreover inauguration of a statue by a person accused of stealing a statue is ridiculous and unnecessary “Mahimamandan” of a renowned / known accused and is that too in a university is a matter of shame for education system.
                Therefore Hon’ble Governer of Uttar Pradesh is requested to order an enquiry against Sh. Ram Mohan Pathak and seek a plausible explanation from Vice Chancellor of Veer Bahadur Singh Poorvanchal Vishwavidyalay Jaunpur.
                The Vice Chancellor of Veer Bahadur Singh poorvanchal Vishwavidyalay, Jaunpur is requested to cancel the invitation of such person and ask Mr. Ram Mohan Pathak to not to participate in function.
                The Hon,ble Chairman University Grant Commission is requested to expedite the inquiry against Mr. Ram Mohan Pathak so that he may be brought to the book.
                This is for intimation and necessary action.
Rajeev Ranjan Pandey
Advocate
202,A Arunachal
Building, Barakhamba Road,
New Delhi.
Dated : 11.09.2013
Place : Delhi
 

डा.राममोहन पाठक से संबंधित अन्य खबरें-

CORRUPT GURU RAM MOHAN PATHAK KO PROF BANANE KA INTAJAM KIYE CHATURVEDI,TIWARI NE AB APANA GALA BACHANE KE LIYE SAKSHATKAR KARAYA STHAGIT

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sattachakra.blogspot.in
Date 29-11-2013 , Time 02.32 P.M.
प्रमाण सहित पत्र लिखे जाने के बाद भ्रष्टाचारी गुरू पाठक को आचार्य बनायेजाने वाला साक्षात्कार स्थगित
भ्रष्टाचारीगुरू राममोहन पाठक को प्रोफेसर बनवाने के चक्कर में अपना गला फंसता देख कुलपति लक्ष्मण चतुर्वेदी,कुलसचिव आई.डी. तिवारी ने साक्षात्कार किया स्थगित

गुरू घासीदास विश्वविद्यालय ( केन्द्रीय वि.वि.) ,बिलासपुर के कुलपति  पंडित लक्ष्मण चतुर्वेदी और कार्यकारी कुलसचिव पंडित आई.डी तिवारी अपने अति प्रिय मूर्तिचोर भ्रष्टाचारीगुरू पंडित राममोहन पाठक को ,पत्रकारिता विभाग में प्रोफेसर पद पर नियुक्त करवाने का पक्का इंतजाम करवा लिये थे। जिसके लिए 30-11-2013 को साक्षात्कार की खानापूर्ति करके भ्रष्टाचारीगुरू पंडित राममोहन पाठक को ज्वाइन कराने की व्यवस्था हो गई थी।
लेकिन कुलपति  पंडित लक्ष्मण चतुर्वेदी और कार्यकारी कुलसचिव पंडित आई.डी तिवारी द्वारा इस भ्रष्टाचारीगुरू पंडित राममोहन को नियुक्ति, संरक्षण,प्रमोशन का इंतजाम करने का प्रमाण मिलने पर वकील राजीव पाण्डेय और कैलाश गोदुका ने दिनांक 25-11-2013 को राष्ट्रपति,मानव संसाधन विकास मंत्रालय व यूजीसी के अधिकारियों को प्रमाण सहित  पत्र लिखकर तुरंत कार्रवाई करने  की मांग की। उसके बाद यह खबर अखबार में छपी, 27 नवम्बर को सत्ताचक्र में लगी।
इस सबके चलते ऊपर से शिकंजा कसता देख अपना गला बचाने के लिए  कुलपति  पंडित लक्ष्मण चतुर्वेदी और कार्यकारी कुलसचिव पंडित आई.डी तिवारी ने, पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग के लिए 30-11-2013 को होने वाला  साक्षात्कार , अपरिहार्य कारण के बहाने , सहायक कुलसचिव (प्रशासन) पंडित अभिदीप तिवारी के हस्ताक्षरित आदेश से 28-11-13 की शाम को स्थगित करवा दिया।इसे 29-11-2013 को विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर अपलोड करवा दिया।
जिसमें लिखा है-  
                                    सूचना
विश्वविद्यालय के विज्ञापन दिनांक 16-10-2013 के संदर्भ में आचार्य पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग हेतु दिनांक 30-11-2013 को आयोजित होने वाले साक्षात्कार को अपरिहार्य कारणों से स्थगित किया जाता है।
                                    आदेशानुसार
                                   ह.अभिदीप तिवारी
                            
                              सहायक कुलसचिव(प्रशासन)

प्रमाण देखिए -
28-11-2013 को जारी  30-11-2013 को होने वाला साक्षात्कार स्थगित करने की सूचना




lkshman chaturvedi

ram mohan pathak



20-11-2013 को जारी  30-11-2013 को प्रोफेसर पद के लिए होने वाले साक्षात्कार की सूचना,जिसमें तीसरा नाम राम मोहन का है


 प्रमाण सहित भ्रष्टाचार  के आरोपों,  उसके जांच  आदेशों  की लीपापोती कराने में किस तरह जुटे हैं राममोहन  ?कैसे उनको बचाते रहे हैं महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ  के कुलपपति पंडित पृ्थ्वीश नाग और कुलसचिव  ।
 इसके बारे में इसी में जल्दी ही -






डा.राममोहन पाठक से संबंधित अन्य खबर-





Monday, April 15, 2013

Wednesday, April 10, 2013

Prof.RamMohanPathak ke Research Project Ghotale ki janch ka adesh

Wednesday, April 3, 2013

UGC ne BHRASTACHARI GURU Prof. Ram Mohan Pathak ke ghotalon/bhrastachar ki JANCH ka diya AADESH

·  प्रो.राममोहन पाठक पर मूर्ति चोरी का आरोप ?

M.P. KE RAJYPAL RAMNARESH YADAV KE OSD KA NAM SHIKSHA GHOTALE ME

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SATTACHAKRA.BLOGSPOT.IN
DATE 20-12-2013,TIME 09-05 A.M.
starsamachar,satana/bhopal,19-12-13 page 1
मध्य प्रदेश के राज्यपाल रामनरेश यादव के ओएसडी ( आफिसर आन स्पेशल ड्यूटी ) घनराज सिंह का नाम व्यावसायिक परीक्षा मंडल घोटाले में आने और उनके विरूद्ध एसटीएफ द्वारा एफआईआर दर्ज करने के बाद राजभवन में रहने वालों ,काम करने वालों पर शक की सुई घूम गई है।एसटीएफ ने   पूर्व शिक्षा मंत्री लक्ष्मी कांत  शर्मा, उनके ओएसडीओ.पी.शुक्ला,पूर्व परीक्षा नियंत्रक पंकज त्रिवेदी आदि  के विरूद्ध भी एफआईआर दर्ज कराया है। अखबार में छपा है कि  त्रिवेदी ने पूछताछ में एसटीएफ को बताया कि बताया शर्मा के ओएसडी शुक्ला को 7 किश्तों में 36 करोड़ रूपये पहुंचाये थे।उसने राज्यपाल  रामनरेश यादव के ओएसडी धनराज सिंह को कितने किश्तों में कितना पहुंचाया था , उसे धनराज ने किसको दिया , इसके बारे में खुलासा नहीं हुआ है।लेकिन धनराज का नाम इस कई सौ करोड़ रूपये के घोटाला में आने के बाद मध्य प्रदेश के शिक्षा मंत्रालय के साथ ही  राजभवन भी चर्चा में आ गया है । और उत्तर प्रदेश के आजमढ़ से लगायत राजभवन के कई लोगों के बारे में तरह-तरह की बातें होने लगी है। यादव के बेटे और एक सहयोगी के बारे में भी लोग कुछ-कुछ कहने लगे हैं।यह भी  चर्चा है कि मध्य प्रदेश में राज्य के विश्वविद्यालयों में  कुलपतियों की नियुक्तियों में भी इसी तरह का भ्रष्टाचार हो रहा है। इस घोटाले के उजागर होने से , रैकेट बनाकर शिक्षा को भ्रष्टाचार का गढ़ बना देने वाले चोरगुरू/ भ्रष्टाचारी अध्यापकों,कुलसचिवों,कुलपतियों, मंत्रियों,अफसरों उनके नेताओं की धुकधुकी बढ़ गई है।  जौनपुर,वाराणसी,वर्धा,दिल्ली ,लखनऊ,भोपाल,बिलासपुर,रायपुर के ,  कदाचार /भ्रष्टाचार/घोटाले कर  मालामाल होने वाले  ऐसे चेहरों से पूछिए तो पता चलेगा।

UGC'S DIAMOND JUBILEE, MANMOHAN JI ! WHO IS RESPONSIBLE FOR CORRUPTION IN EDUCATION

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sattachakra.blogspot.in
date27-13-2013, 04-06p.m..





यूजीसी की हीरक जयंती,शिक्षा में भयंकर भ्रष्टाचार की जवाबदेही मनमोहन पर
-कृष्णमोहन सिंह
नई दिल्ली। 28 दिसम्बर 1953 को तबके शिक्षा मंत्री मौलाना अब्दुल कलाम आजाद ने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग का उद्घाटन किया था।28 दिसम्बर 2002 को इसके स्वर्ण जयंती के अवसर पर प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेई ने इसके प्रतीक चिन्ह ( लोगो) को बदलने की जरूरत बताई.। उन्होंने कहा कि 21वीं शदी में शिक्षा के क्षेत्र में उभरती नई चुनौतियों के मद्देनजर यूजीसी एक्ट 1956 में बदलाव किया जाना चाहिए । यह भी सुझाव दिया कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग का नाम बदलकर विश्वविद्यालय शिक्षा विकास आयोग करने पर विचार किया जाना चाहिए। अब 28 दिसम्बर 2013 को विज्ञान भवन में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग का हीरक जयंती समारोह है। जिसमें प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह मुख्य अतिथि होंगे, मानव संसाधन विकास मंत्री पल्लम राजू सभापतित्व करेंगे और दोनों राज्य मंत्री जितिन प्रसाद व शशि थरूर इसकी शोभा बढ़ायेंगे।
 कहां मौलाना अब्दुल कलाम आजाद,अर्जुन सिंह जैसे लोग हुए शिक्षा मंत्री और कहां पल्लम राजू जो इस्तीफा देकर भी घर से मंत्रालय चलाते हुए मंत्री बने हुए हैं । और यूजीसी । यही मनमोहन सिंह हैं जिन्होंने राजीव गांधी द्वारा चन्द्रशेखर की सरकार से समर्थन वापस लेने के बाद हाथ जोड़े चन्द्रशेखर से उनके साउथ एवेन्यू वाले आवास पर मिले थे। कहे थे-सर मेरा क्या होगा। चन्द्रशेखर ने इनसे पूछा था,क्या चाहते हैं। मनमोहन ने आग्रह किया सर मुझको यूजीसी का चेयरमैन बनवा दीजिए। और चन्द्रशेखर ने इनको यूजीसी का अध्यक्ष बनवा दिया था। पीवी नरसिम्हा राव की सरकार में वित्त मंत्री बनने के पहले तक मनमोहन सिंह उसपद पर रहे थे। उस मनमोहन सिंह के प्रधानमंत्री रहते भारतीय उच्च शिक्षा को पूरी तरह अमेरिका व यूरोप के हवालेकरने ,उसका बाजार बनाने की कोशिश हुई है। जिसमें तबतक रोड़ा लगा रहा जबतक अर्जुन सिंह मानव संसाधन विकास मंत्री थे। 2009 के बाद तो कपिल सिब्बल,मोंटेक व मनमोहन की तिकड़ी पूरी तरह से इसे अमेरिका के हवाले करने के एजेंडे पर आगे बढ़ने लगी।सिब्बल के हटने के बाद अब तक के सबसे बौने साबित हो रहे शिक्षा मंत्री पल्लम राजू जो कर रहे हैं सबके सामने है। रही सही कसर चर्चित पत्नी ,क्रिकेट घोटाला ,सांसदों को चिकन कहने वाले शशि थरूर और जितिन प्रसाद पूरा कर रहे हैं। इनके बाद जो रह जा रहा है उसे अपनी पत्नी को लखनऊ विश्वविद्यालय से डेपुटेशन पर लाकर दिल्ली वि.वि. में नौकरी दिलवाने वाले संयुक्त सचिव  ,केन्द्रीय विश्वविद्यालय , अनन्त कुमार सिंह पूरा कर दे रहे हैं। जिनका 7 साल का टर्म 31दिसम्बर 13 को पूरा हो रहा है ,वापस उत्तर प्रदेश जाना है,लेकिन केन्द्र में ही बने रहने के लिए तरह-तरह का जुगाड़ लगा रहे हैं । चर्चा है कि अनंत सिंह की मदद से ही , जिस कुलपति विभूति नारायण राय पर कैग ने भारी भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है,जिसकी जांच सीवीसी करा रही है ( जिस अधिकारी को जांच दिया गया था,उसके मार्फत लीपापोती का इंतजाम हो जाने की चर्चा है),उस विभूति को सर्च कमेटी के अध्यक्ष अशोक वाजपेई के लिखित विरोध दर्ज कराने के बावजूद अगले कुलपति की नियुक्ति तक पद पर बने रहने का इंतजाम हो गया है । और वह आदमी घोटाला के आरोपो के सबूत मिटाने और एक टर्म और पाने के लिए इस पद का वि.वि.संसाधन का उपयोग कर रहा है। बीते 5 साल से कई सांसदों आदि ने विश्वविद्यालयों में नकल करके पी-एचडी,शोध पत्र,पुस्तकें लिखने,उसके आधार पर लेक्चरर,रीडर,प्रोफेसर बनने ,नकल करके लिखी गई पुस्तकें विश्वविद्यालय के पुस्तकालयों में खरीदवाने ,विश्वविद्यालयों के कुलपतियों द्वारा ऐसे चोरगुरूओं को नियुक्त करने, संरक्षण देने ( उसमें आईपीएस कुलपति विभूति नारायण राय भी हैं,जो अपने चहेते भ्रष्टाचारी चोरगुरू अनिल कुमार राय को प्रोफेसर नियुक्त कर निदेशक बना बढ़ा, बचा रहे हैं) की प्रमाण सहित शिकायत राष्ट्रपति,राज्यपाल,शिक्षामंत्री ,शिक्षा सचिव आदि को किया है। टीवी में दिखाया गया,अखबारों में छपा। लेकिन आज तक कुछ नहीं हुआ। और केवल भाषण देकर उच्च शिक्षा में गुणवत्ता लाया जा रहा है। जब छात्र नेट में फेल हो रहे हैं तो राज्य मंत्री शशि थरूर उनको 50 प्रतिशत या उससे कम पर पास करने का दबाव बना रहे थे। जितिन प्रसाद अपने पीए को अपने पास बैठा कर अफसरों से बात करते हैं जिसके चलते कोई अफसर अन्दर की बात बता ही नहीं पाता। ये दोनों अब जो हालत किये हैं उससे सब परेशान हैं। सिब्बल ने यूजीसी में अपने विरादर एक गुप्ता को सचिव बनवाया था। जो कहता था कि डाक्टर ने उसे तनाव नहीं लेने को कहा है। वह कार्यालय में आकर कम्प्यूटर पर ताश खेलते थे । और भी मामले थे। जब शिकायत हुई तो तरह तरह का तर्क देकर इस्तीफा दे दिया । लेकिन बाद में उच्च शिक्षा सचिव अशोक ठाकुर से आग्रह करने लगे थे कि इस्तीफा मंजूर नहीं किया जाय।  गुप्ता जौनपुर में अपने रिश्तेदारी में जाते थे,पूर्वांचल विश्वविद्यालय में भ्रष्टाचारी चोरगुरू प्रोफेसर रामजीलाल से सेमिनार आयोजित करा, उसमें मुख्य अतिथि बनने जैसे काम करते थे, और यात्रा भत्ता यूजीसी से लेते थे।
 विश्वविद्यालयों को फंड देने का काम काम इग्नू के मार्फत किया जाता था। केरल के पिल्लई के इग्नू का कुलपति रहते खूब धांधली हुई। जब चढ़ावा लेकर फंड देने की बहुत शिकायत आई तो अब यह काम यूजीसी को दे दिया गया है। लेकिन इसके लिए जिन 20 लोगों की कमेटी है वह पहले वाली ही है। इनको जबतक हटाकर नई कमेटी नहीं बनेगी, सुधार होने वाला नहीं है । इधर एक कमेटी बना उससे इसके लिए एक अलग स्वतंत्र संस्था खोलने की रिपोर्ट बनवा ली गई है। यानी बेहतरी के बहाने एक और शिक्षा की दुकान चलाने का इंतजाम । इन हालातों के लिए कौन जिम्मेदार है मनमोहन सिंह,पल्लम राजू,शशि थरूर,जितिन प्रसाद,अशोक ठाकुर,अनंत सिंह ?आप लोग,आप लोगों के मौन या सक्रिय सहयोग से रैकेट बनाकर उच्चशिक्षा को भ्रष्टाचार का गढ़ बना देने वाले प्रोफेसर,कुलपति,कुलसचिव,अफसर या जनता ? विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की हीरक जयंती समारोह के अवसर पर छात्रों,अभिभावकों,जनता को इसके जवाब का इंतजार है।
यह खबर  हिन्दी दैनिक,पंजाब केसरी,दिल्ली में दिनांक 26-12-2013 को व अन्य कई राज्य में कई अखबार में छपी है।                                      

Faulty Websites Confront Needy in Search of Aid

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The New York Times


January 7, 2014

Faulty Websites Confront Needy in Search of Aid

MIAMI — Three months after the disastrous rollout of a new $63 million website for unemployment claims, Florida is hiring hundreds of employees to deal with technical problems that left tens of thousands of people without their checks while penalties mount against the vendor who set up the site.
Efforts at modernizing the systems for unemployment compensation in California, Massachusetts and Nevada have also largely backfired in recent months, causing enormous cost overruns and delays.
While the nation’s attention was focused on the troubled rollout of the federal health care site under the Affordable Care Act, the problems with the unemployment sites have pointed to something much broader: how a lack of funding in many states and a shortage of information technology specialists in public service jobs routinely lead to higher costs, botched systems and infuriating technical problems that fall hardest on the poor, the jobless and the neediest.
As a result, the old stereotype of applicants standing in long lines to speak to surly civil servants at government unemployment offices is quickly being replaced. Now those seeking work or government assistance are often spending countless hours in front of buggy websites, then getting a busy signal when they try to get through by phone.
In October, food stamp recipients in 17 states were unable to use their electronic cards for a day because the computer system that runs the program failed. Over the years, similar problems with systems in Georgia, Massachusetts, Texas, Colorado and other states have prevented people from getting food stamps and Medicaid benefits.
The problems come at a time when state legislatures are increasingly demanding efficient methods for people to apply online for aid, from food stamps to unemployment benefits.
“It’s like calling a radio station trying to get tickets,” said Gary A. Grimes, 52, an unemployed construction manager in Pensacola, Fla. His $275 weekly checks stopped after he tried to log in to report that he had gotten a weeklong job but still needed benefits.
High unemployment in recent years has forced states to process record numbers of benefit claims using outdated technology, and without significant increases in federal funding, according to a report in 2012 by the National Employment Law Project, an advocacy group for lower-wage workers. Most states are operating unemployment insurance programs with 30-year-old computer systems, said George Wentworth, a senior staff lawyer with the legal group.
“What we have seen is that a lot of the old systems have been breaking down,” Mr. Wentworth said. “The recession really ended up highlighting the fragile state of a lot of these systems.”
But for many states, the upgrade was even worse.
So many applications for benefits were stalled when California introduced its new system on Labor Day that the government had to process them by hand. About 148,000 people waited weeks for their unemployment checks.
Similar problems after Massachusetts rolled out its system in July cost the state $800,000 in overtime and new hires to resolve and prompted legislative hearings. The project was delivered two years late and $6 million over the original estimate, The Boston Globe reported.
Also in July, Pennsylvania scrapped its $153 million online system for unemployment benefits, because the project was “simply not working,” the state’s secretary of labor, Julia Hearthway, said at the time.
Florida’s website trouble stems from a 2011 law that required people to sign up online for unemployment benefits. Before the law, 40 percent of the applications were done by phone.
In April, in response to a complaint by the nonprofit Florida Legal Services, the federal Department of Labor found that the online requirement violated the civil rights of people with language barriers and disabilities. The Florida Department of Economic Opportunity lashed back, accusing the federal agency of being overly politicized.
The state agency’s website shows more than 78,000 calls came in to the customer service center last Thursday alone. Of those, fewer than 6,500 callers spoke with a representative. More than 300 customer service representatives and claims adjudicators will be hired in the coming months, the agency said last week.
The department blamed its vendor, Deloitte Consulting, which was also responsible for the projects in California and Massachusetts. The agency issued $6 million in penalties against the company, withheld a $3 million payment and on Dec. 23 began fining it $15,000 a day until the problems are fixed.
“We are dedicated to making sure every claim is processed quickly, and we will continue to work until every claimant is served,” Jesse Panuccio, the executive director of the Department of Economic Opportunity, said in a statement. “We will continue to hold Deloitte accountable and I have asked them to devote whatever resources necessary to fix all remaining technical issues.”
Deloitte defended its work, saying that most jobless people have been able to file for benefits without trouble. It blamed the department for the latest setbacks because, the company said, it changed requirements that strained Deloitte’s resources. The company has already made more than 1,000 fixes and successfully processed at least 300,000 claims, Deloitte said in response to the latest fine.
Deloitte said a 2012 report by the Government Accountability Office showed that states were struggling to modernize their unemployment insurance programs, because governments lacked the budgets and the trained staff to make the updated systems work. Most of the issues that continue to dog the project, the company said, are beyond its control or have nothing to do with the software.
“We will also continue to work with D.E.O. to clarify the true nature of the remaining issues and will hold ourselves strictly accountable for fixing anything within our control as quickly as possible,” the company said in a statement.
Users of the site say the online enrollment system is particularly a problem for people whose benefits applications require further review.
Albert Harris, an Army reservist who recently returned from Guantánamo Bay, Cuba, was owed $2,400 in unemployment benefits, but a problem with a claim involving his previous employer, Disney, complicated his application. He was finally paid last week, after calling the customer service line about 150 times over two and a half months.
“Some of the representatives are really rude because they have been dealing with so many angry claimants,” he said, adding that he got through to speak with a representative about 30 times. “Sometimes they hang up, because they can’t take it.”
Shari Godfrey, 51, who was owed $2,000 in unemployment checks, was so desperate for money over the holidays that she set up a fund-raising site on gofundme.com to ask for donations. Having spent her severance payment so her dying sister could continue to receive hospital care, Ms. Godfrey was two months behind on her rent, was getting late notices on her car payments, and did not have enough money to pay for her diabetes medication.
Late last week she received notice that her overdue unemployment payment would finally arrive.
“The system does not work,” Ms. Godfrey said. “They cannot process claims. For months, not one check.”
Valory Greenfield, a lawyer with Florida Legal Services, said the state was not doing enough to make fixes and penalize the company responsible.
“At Legal Services, we are hearing, ‘I am getting evicted. I can’t pay my bills,’ ” Ms. Greenfield said.

CORRUPT HIGHER EDUCATION / KITANA BHRAST HO GAYA HAI UCHCH SHIKSHA TANTR

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date04-03-2014, 09.25P.M.
कितना भ्रष्ट हो गया है उच्च शिक्षा तंत्र
-कृष्णमोहन सिंह
नई दिल्ली। उ.प्र. कैडर के आएएस  अफसर अनंत सिंह मानव संसाधन विकास मंत्रालय में संयुक्त सचिव थे और उच्च शिक्षा देख रहे थे।  यह उन अफसरों में से हैं जिनपर  उत्तर प्रदेश की मुलायम सरकार में मुजफ्फर नगर में उत्तराखंड के आंदोलकारियों पर गोली चलवाने आदि का आरोप लगा था। तब आईपीएस अफसर विभूति नारायण राय जो सत्ता , पद आदि लाभ के लिए वामपंथी आदि बनते रहे हैं, भी उ.प्र. में ही तैनात थे। वामपंथियों आदि के यहां गणेश परिक्रमा कर जुगाड़ लगाकर जब विभूति नारायण राय (वीएन राय), महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय , वर्धा में कुलपति बने तो चोरगुरू अनिल कुमार राय को प्रोफेसर नियुक्त कर दिये। पुलिसिया कुलपति  विभूति नारायण राय ने  अपने  चहेते चोरगुरू को तो प्रोफेसर, हेड बनाया ही उन पर कैग ने करोड़ो रूपये के घोटाला का भी आरोप लगाया है। जिसके जांच के लिए कई लोगों ने यूजीसी, मानव संसाधन विकास मंत्रालय,प्रधानमंत्री व राष्ट्रपति को सप्रमाण पत्र लिखा है।सीवीसी ने इसके जांच का आदेश दिया था जिसको मानव संसाधन विकास मंत्रालय के जांच अधिकारी को पटाकर रफा-दफा कराने की चर्चा है। इतना सब होने के बावजूद महाजुगाड़ी वीएन राय ने  सर्च कमेटी में अपने में चर्चित कपिला वात्स्यायन और अपने एक और चहेते को रखकर अपना नाम भी जुड़वा लिया था। जबकि राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त सर्च कमेटी के अध्यक्ष व मानव संसाधन विकास मंत्रालय के पूर्व सचिव  अशोक वाजपेई ने वात्स्यान और उनके ही मिजाज वाले एक भ्रष्टाचारी संरक्षक  द्वारा घोटाला आरोपी व चोरगुरू संरक्षक वीएन राय का नाम रिकमेंड करने पर लिखित में विरोध दर्ज करके रिपोर्ट जमा किया था।उसके बाद भी सर्च कमेटी ने जो नाम सुझाये थे उसमें से किसी को वर्धा का कुलपति नहीं नियुक्त करके इसी भ्रष्टाचार आरोपी वीएन राय को नये कुलपति  की नियुक्ति तक कुलपति बनाये रखने की व्यवस्था कर दी गई। कहा जाता है कि राय ने यह सब अनंत सिंह के सहयोग से कराया था। जिसके बाद इन सब का व्यौरा देते हुए अनंत  सिंह का कार्यकाल पूरा होते ही वापस   उ.प्र. कैडर में भेजने का पत्र राष्ट्रपति,प्रधानमंत्री व मानव संसाधन विकास मंत्री को गया। ताकिकिसी न किसी बहाने और एक्सटेंशन पाने का जुगाड़ लगा रहे अनंत  सिंह मानव संसाधन विकास मंत्रालय में नहीं रहने पावें।  उसके बाद उनको एक्सटेंशन नहीं मिला । जिसके कारण उनको दिसंबर 13 के अंतिम सप्ताह में  मानव संसाधन मंत्रालय से विदा होना पड़ा।
चोर गुरू संरक्षक व घोटाला आरोपी विभूति नारायण राय के वही संरक्षक व सहयोगी बन गये थे। सो उनके जाने के बाद वीएन राय के जुगाड़ की मुख्य कड़ी ही टूट गई। उसके बाद  वीएन राय के विरूद्ध राष्ट्रपति,प्रधानमंत्री,मानव संसाधन विकास मंत्री के यहां प्रमाण सहित शिकायत गई कि जिस आदमी पर घोटाला व भ्रष्टाचार के इतने आरोप हैं  , उसको अभी तक कुलपति पद पर क्यों और कैसे बनाये रखा गया है। जबकि उसका कार्यकाल खत्म हो गया है और सर्च कमेटी ने कई नाम की सूची दे दी है। उनमें से किसी को क्यों नहीं नियुक्त किया जा रहा है। इस भ्रष्टाचार आरोपी को अपने किये घोटाले व भ्रष्टाचार को रफा – दफा कराने के लिए समय क्यों दिया जा रहा है।उसके बाद 28जनवरी 14 को वीएन राय की वर्धा के कुलपति पद से हटाने का आदेश हुआ। वरना वह तो दूसरा टर्म पाने के जुगाड़ में साम-दाम,जी-जान से जुटे थे।उधर वर्धा में विद्यानिवास मिश्र के भाी को कुलपति बना दिया गया। उनको भी पटाने के लिए चोरगुरू अनिल कुमार राय उर्फ अनिल के राय अंकित लग गया है।
इसी तरहसे कई केन्द्रीय विश्वविद्यालयों के कुलपतिलोग जिनका कार्य काल खत्म हो गया था मंत्रालय के अफसरों , मंत्रियों को किसी न किसी तरह से खुश करके पद पर बने हुए थे। जब इनकी भी प्रमाण सहित शिकायत राष्ट्रपति , प्रधानमंत्री आदि के यहां हुई तब पल्लम राजू और उच्च शिक्षा सचिव ठाकुर के न चाहने के बावजूद 1 मार्च 14 को सबकी  छुट्टी करनी पड़ी और अगले कुलपति की नियुक्ति तक उनके चार्ज विश्वविद्यालयों के सबसे वरिष्ठ प्रोफेसरों को देने का आदेश देना पड़ा।  शिक्षा का पूरा तंत्र किस तरह भ्रष्ट हो गया है और कैसे चल रहा है , इसका यह एक छोटा सा प्रमाण है।  



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