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चोरगुरू संरक्षक पुलिसिया कुलपति छिनाली विभूति के धतकर्मों को उजागर करने की कोशिश किया उसके यार ने

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sattachakra.com, july 02, 2011, 06.01am
... तो प्रोफेसरी पक्की
-रवींद्र त्रिपाठी
क्या आप हिंदी के लेखक हैं और रोजगार की तलाश में हैं? या आप हिंदी के पूर्व पत्रकार हैं और चाहते हैं कि और कुछ नहीं, तो कम से कम पत्रकारिता पढ़ाने का ही कहीं मौका मिल जाए। अगर इन सवालों का जवाब हां है, तो आपके लिए खुशखबरी है। आप वर्धा जाकर वहां के एक विश्वविद्यालय में ‘राइटर इन रेजिडेंस’ या पत्रकारिता के प्रोफेसर बन सकते हैं।
साल-दो साल तक ठीक-ठाक पैसे मिलेंगे और रहने के लिए आवास की व्यवस्था भी होगी। इतना ही नहीं, शाम का भी इंतजाम रहेगा, हालांकि वर्धा की कानूनी शामें रसहीन होती हैं। लेकिन जैसे हरिशंकर परसाई की कहानी ‘इंस्पेक्टर मातादीन चांद पर’ में एक भारतीय पुलिसवाला चांद पर भी पुलिसमहकमे को भारतीय विशेषताओं से लैस कर देता है, वैसे ही एक पुलिस वाले ने गांधी और विनोबा की इस कर्मभूमि को अपने तरीके से रसभूमि बना दिया है। यह भारतीय पुलिसकर्मी की एक और खास उपलब्धि है, जिसे इतिहास में दर्ज किया जाना चाहिए।
खैर ये सारी बातें बाद में, फिलहाल इतना समझ लीजिए कि वहां रहते हुए जरूरी नहीं कि आप कुछ लिखें या पढ़ाएं ही। बिना लिखे या पढ़ाए भी आप वहां रह सकते हैं। बस इन परम पदों को पाने के लिए आपके पास एक खास तरह की पात्रता होनी चाहिए, इसके लिए सिर्फ लेखक या पूर्व पत्रकार होना पर्याप्त नहीं। हिंदी के हजारों लेखक या पत्रकार घूम रहे हैं। सबको ये पद थोड़े दिए जा सकते हैं, आपमें ‘कुछ खास’ तो होना ही चाहिए। अगर यह कुछ खास आपके पास नहीं है, तो आप वर्धा में ‘राइटर इन रेजिडेंस’ या प्रोफेसर बनने के योग्य नहीं हैं।
अवकाश प्राप्त और अवसरवादी वामपंथियों को भी वहां प्राथमिकता दी जाती है। अगर आपके पास देश में मार्क्सवादी क्रांति करने का जाली सर्टिफिकेट है, तो आपको जरूर प्राथमिकता दी जाएगी। वास्तविक वामपंथियों या मार्क्सवादियों के लिए वहां के दरवाजे बंद हैं। जाली सर्टिफिकेट वाले मार्क्सवादियों के लिए वहां आरक्षण की खास व्यवस्था है। अगर आपके पास पूर्व नक्सलवादी होने का जाली सर्टिफिकेट है, तो वरीयता भी दी जाएगी। हाल में वहां एक ऐसे व्यक्ति की प्रोफेसर के पद पर नियुक्ति हुई है, जिसके पास न केवल पूर्व नक्सलवादी होने का जाली सर्टिफिकेट है, बल्कि ‘बस्तर में बिस्तर’ का जायज सर्टिफिकेट भी है।
पूर्व नक्सलवादी का जाली सर्टिफिकेट होने के अलावा इन पदों के लिए एक दूसरी पात्रता भी है। क्या आप कभी लेखन या आचरण के स्तर पर किसी ऐसे अभियान में शामिल रहे हैं, जो महिला-लेखन और लेखिकाओं को संदिग्ध या स्तरहीन मानता है। अगर आपका जवाब हां है, तो भी आपके लिए संभावनाएं ज्यादा हैं। समझ लीजिए कि आपकी सीट पक्की। अगर आपका जवाब न में है, तो समझ लीजिए किआपके लिए वहां के दरवाजे बंद हैं।
अगर आपका लेखन महिला विरोधी नहीं भी रहा है, तो कम से कम आचरण जरूर वैसा होना चाहिए। क्या कभी आपने ऐसा कुछ किया है, जिसके आधार पर प्रमाणित कर सकें कि महिलाएं आपके लिए सिर्फ भोग्या है, और कुछ नहीं। या आप किसी तरह की चौर्यकला में निपुण हैं, तो भी आपकी प्रोफसरी पक्की।
नोट- अमर उजाला, नई दिल्ली ,शनिवार ,2 जुलाई 2011 के सम्पादकीय, पेज 12 पर नीचे दायीं तरफ यह सामग्री छपी है ।इसको लिखने वाले रवींन्द्र त्रिपाठी, चोर गुरू संरक्षक पुलिसिया कुलपति छिनाली विभूति के यार हैं ।

Article 3

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sattachakra
जामिया वि.वि. से बर्खास्त चोरगुरू दीपक केम बना आई.आई.आई.टी. इलाहाबाद में डिप्टी रजिस्ट्रार
अप्रैल में दिल्ली हाइकोर्ट ने दीपक केम की बर्खास्तगी जायज ठहराया, जुलाई में हो गये इलाहाबाद में स्थापित
यह जानते हुए भी आईआईआईटी इलाहाबाद के निदेशक मुरली धर तिवारी ने किया यह कारनामा
आई.आई.आई.टी. इलाहाबाद के निदेशक मुरली धर तिवारी और दीपक केम के पिता टी.आर.केम ने यूजीसी में एक साथ काम किया है

-कृष्णमोहन सिंह
नई दिल्ली। मैटर चुरा कर किताब लिखने का आरोप सिद्ध होने पर दिल्ली के जामिया मिलिया इस्लामिया वि.वि. ने अपने जिस रीडर दीपक केम को सेवा से बर्खास्त किया, दिल्ली उच्च न्यायालय ने जिन केम साहब की बर्खास्तगी को उचित ठहराया, उन्हीं दीपक केम को इलाहाबाद के आई.आई.आई.टी. में डिप्टी रजिस्ट्रार पद पर नियुक्त कर दिया गया है।
Dr. DEEPAK KEM
पिछले साल पहली अप्रैल को जामिया मिलिया की कार्यकारी परिषद ने दीपक की बर्खास्तगी का फैसला किया, रीडर पद से 13 जून 2011 को वह बर्खास्त हो गये, उनकी अपील को हाई कोर्ट के दो जजों की पीठ ने 10 अप्रैल 2012 को खारिज करते हुए एक जज के फैसले को सही ठहराया। लेकिन कमाल देखिए, ढाई माह बाद ही दीपक केम आई.आई.आई.टी. में डिप्टी रजिस्ट्रार बन गये। सूत्रों के अनुसार इस नियुक्ति में उनके रसूखदार पिता टी.आर.केम और उनके साथ विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यू.जी.सी.) में काम कर चुके तथा इस समय आई.आई.आई.टी. इलाहाबाद के निदेशक मुरली धर तिवारी की दोस्ती का अहम रोल है।
Dr M.D.TIWARI
दीपक केम की इस नियुक्ति के बारे में आई.आई.आई.टी. के एक वरिष्ठ अधिकारी ने फोन पर हुई बातचीत में बताया कि दीपक केम ने जुलाई 2012 मध्य में डिप्टी रजिस्ट्रार पद पर ज्वाइन किया है। यह पूछने पर कि क्या आपको मालूम है कि दीपक केम पर नकल करके पुस्तक अपने नाम छपवाने का आरोप साबित हुआ है और इसके चलते ही उनको जामिया मीलिया वि.वि. से रीडर पद से 13 जून 2011 को बर्खास्त कर दिया गया तथा इस बर्खास्तगी को उच्च न्यायालय के दो जजों की बेंच ने भी उचित बताया है। इस पर उस अधिकारी ने अनभिज्ञता जताई।
दिल्ली उच्च न्यायालय का फैसला इस लिंक पर कोई भी देख सकता हैः http://indiankanoon.org/doc/3836253लेकिन इसकी फुर्सत आई.आई.आई.टी. के अधिकारियों को कहाँ। चोरगुरू डा.दीपक केम की बर्खास्तगी को सही कहते हुए उच्चन्यायालय ने फैसले में लिखा है कि अपील कर्ता (दीपक केम ) ने अन्य के परिश्रम को अपना (कार्य) बताया है। कहीं भी यह कृत्य, विशेषकर जामिया में वह जिस पद पर वह रहे, कतई क्षमा योग्य नहीं है। इसके लिए एक मात्र दंड उनकी सेवा समाप्त करना था।
न्यायालय ने दीपक केम बनाम जामिया मिलिया मामले में 10-04-12 को दिये फैसले में दीपक केम की बर्खास्तगी को जायज करार देते हुए प्लेजिएरिज्म पर “मार्क ट्वेन” को भीकोट कियाहै। मार्क ट्वेन ने कहा है-NOTHING IS OURS BUT OUR LANGUAGE, OUR PHRASING. IF A MAN TAKES THAT FROM ME(KNOWINGLY,PURPOSELY) HE IS A THIEF.यानी हमारी भाषा-शैली-मुहावरों के अलावा तो हमारा कुछ भी नहीं और जो भी जानबूझ कर हमसे वहछीनताहै, वह चोर है
इस सिलसिले में यह जानना भी रोचक होगा कि तमाम घोटालों के आरोपी और दीपक केम के पिता टी.आर.केम इस समय यूजीसी की एक ईकाई, सी..सी.        (कन्सोर्टियम फार एजुकेशन कम्यूनिकेशन), अरूणा आसफ अली मार्ग,नई दिल्लीमें निदेशक हैं और अढ़ाईमाह बाद 5 साल का कार्यकाल पूरा होने के चलते विदा होने वाले हैं। लेकिन उस पद पर और पाँच साल, अपनी उम्र के 70 साल ,तक बने रहने के लिए तरह-तरह की तिकड़म में जुटे हैं, राजनीतिक दबाव का इस्तेमाल कर रहे हैं। इतना ही नहीं, बड़े केम साहब ने अपने इस 'चोर-गुरू' पुत्र को अपनी संस्था सी..सी. के अधीन काम करने वाले ई.एम.आर.सी.     (एजुकेशनल मल्टी मीडिया रिसर्च सेंटर), रूड़की में प्रोफेसर / निदेशक नियुक्त कराने की भी तैयारी कर ली थी। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की अनुमति के बिना ही 2 जुलाई 2012 को विज्ञापन निकलवा कर अपने लड़के दीपक केम का नाम स्क्रीनिंग कमेटी से पास करा लिया था। 13 अगस्त 2012 को साक्षात्कार करवाने,उसका सेलेक्शन करवाने,उस पर 14 को सी..सी. की बोर्ड की बैठक में सहमति की मुहर लगाने का इंतजाम कर लिया था। इसके बारे में शिकायत मिलने पर यूजीसी ने सेवानिवृत होने के पहले 9 पदों पर अपनों को भरने की योजना बना लिये डा.तिलक राज केम की  पहल पर रोक लगा दी है।और उनसे दस्तावेज प्रस्तुत करने को कहा कि कितने पदों के लिए कब विज्ञापन निकाले,ये पद कब खाली हुए, किस तारीख को कौन सा पद खाली हुआ , पद अनुसार आवेदन जमा करने की अंतिम तारीख क्या थी,हर पद के लिए कितने आवेदन प्राप्त हुए, किस पद के लिए कितने आवेदक थे इसकी सूची । लेकिन डा.टीआर केम ने यूजीसी को आज तक यह सब दस्तावेज नहीं दिया है। उल्टे साम-ताम-दंड-भेद और तिकड़म करते हुए पूरा जोर लगा दिये  हैं कि यूजीसी 9 पदों पर साक्षात्कार कराने की अनुमति तो दे ही दे, उनका कार्यकाल  अगले और 5 साल के लिए बढ़ा दे। चर्चा है कि  केम इसके लिए सीईसी  गवर्निंग बोर्ड के अध्यक्ष जब्बार पटेल से भी पैरवी करा रहे हैं।पूणे के जब्बार पटेल को राकांपा प्रमुख व कृषि मंत्री शरद ने सीईसी गवर्निंग बोर्ड का अध्यक्ष बनवाया है। सो जब्बार पटेल अपने आका पवार के पावर के बदौलत तमाम घोटालों व भ्रष्टाचार आरोपी डा. टीआर केम को 70 साल तक की उम्र तक सीईसी निदेशक बनाये रखने पर आमादा हैं, और इसके लिए तरह तरह के उपक्रम कर रहे हैं। लेकिन इसकी सूचना मिलने पर अरविंद केजरीवाल के साथ परिवर्तन संस्था शुरू करने वाले कैलाश गोदुका ने कई सांसदों को पत्र लिखा। जिस पर लोकसभा सांसद राजेन्द्र सिंह राणा ने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के प्रमुख को 09 अगस्त 2012 को पत्र लिख टी.आर.केम की इस करनी और तमाम घोटालों के आरोपों की तुरंत जाँच कराने का आग्रह किया।और दूबारा पत्र लिखकर इस मामले में अब तक हुई कार्रवाई और बैठकों का विवरण मांगा है।  इसके बारे में  राणा ने मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल को भी पत्र लिखकर इस मामले की जांच का आग्रह किया है।
कैलाश गोदुका ने भी दिल्ली उच्चन्यायालय के फैसले की प्रति संलग्न करते हुए 13 अगस्त 2012 को कपिल सिब्बल को पत्र लिखकर जामिया से बर्खास्त दीपक केम की आई.आई.आई.टी. ,इलाहाबाद में डिप्टी रजिस्ट्रार पद की नियुक्ति को निरस्त करवाने की अपील की है।
जानकार बताते हैं कि आई.आई.आई.टी. इलाहाबाद के निदेशक डा. मुरली धर तिवारी ने दीपक केम के बारे में सबकुछ जानते हुए भी उनको डिप्टी रजिस्ट्रार पद पर रखवाया है। तिवारी जी को पता था कि दीपक केम नेविदेशी लेखक की किताब से काफी मात्रा में सामग्री हूबहू कटपेस्ट करके “डेमोक्रेसी एंड मीडिया” नामक किताब बनाई थी, इसमें सी. एडविन बेकर की विश्व प्रसिद्ध किताब मीडिया, मार्केट्स एंड डेमोक्रेसी से ढेरों पेज का मैटर चुराया गया था, और इसी के चलते जामिया वि.वि.के सेंटर फार कल्चर, मीडिया एंड गवर्नेंस के रीडर पद से  डा. दीपक केम बर्खास्त हुए थे यह खबर पंजाब केसरी ,दिल्ली में दिनांक 19 सितम्बर 2012 को  पेज 3 पर छपी है 

CHORGURU DEEPAK KEM IIIT ALLAHABAD KE DEPUTY REGISTRAR PAD SE BARKHAST

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आईआईआईटी इलाहाबाद के डिप्टी रजिस्ट्रार पद की नौकरी से निकाले गये चोरगुरू डा. दीपक केम
-कृष्णमोहन सिंह
CHORGURU Dr.Deepak Kem
नईदिल्ली। नकल करके कई पुस्तकें लिखने वाले डा.दीपक केम ( इसने एक पुस्तक अपने यार चोर गुरू डा.अनिल के. राय अंकित के साथ मिलकर लिखा है, जो इस समय छिनाली फेम वाले पुलिस अफसर व  जुगाड़ लगाकर कुलपति बने विभूति नारायण राय की कृपा से म.अं.हि.वि.वि.वर्धा में प्रोफेसर है)का नकलचेपी मामला उजागर होने और प्रमाण सहित लिखित शिकायत मिलने पर, जांच कराकर  जामिया मिलिया इस्लामिया,दिल्ली ने उनको रीडर पद से बर्खास्त कर दिया। लेकिन वहां से बर्खास्त होने और दिल्ली हाईकोर्ट में मुकदमा हार जाने के बाद डा. दीपक केम ने अपने पिता टीआऱ केम के साथ यूजीसी में काम किये आईआईआईटी इलाहाबाद के निदेशक डा.एमडी तिवारी की कृपा से आईआईआईटी इलाहाबाद में जुलाई 2012 के मध्य में डिप्टी रजिस्ट्रार पद पर नियुक्त हो गये। जिसके बारे में सितम्बर 2012 के तीसरे सप्ताह में कई अखबारों में छपने और मानव संसाधन विकास मंत्री के यहा सांसदों व अन्य द्वारा शिकायत व जांच की मांग के बावजूद एमडी तिवारी उसको बचाते रहे,अक्टूबर 2012 तक उसको बचाये , तनख्वाह दिये।लेकिन जब सांसदों ने इस बारे में फिर से मंत्री,प्रधानमंत्री और सीधे आईआईआईटी इलाहाबाद के निदेशक को कड़ा पत्र लिख चोरगुरू डा.दीपक केम को नियुक्त करने और बचाने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की , तब जाकर जल्दी ही सेवानिवृत होने वाले और फिर से मालदार पद के लोभ में जुगाड़ लगा रहे एमडी तिवारी ने अपना गला बचाने के लिए डा.दीपक केम की नियुक्ति रद्द की।इस बारे में सांसद हर्षवर्धन ने जो पत्र लिखा  और उसके बाद एमडी तिवारी ने जो जबाव दिया , वे निम्न हैं- 

निदेशक                       29 अक्टूबर 2012
आईआईआईटी इलाहाबाद
देवघाट,झालवा
इलाहाबाद-211012

विषय-इंटरनेट से सामग्री चोरी करके अपने नाम से किताबें छपवाने वाले व इसके चलते जामिया मिलिया इस्लामिया,दिल्ली से रीडर पद से बर्खास्त व दिल्ली हाई कोर्ट द्वारा बर्खास्तगी को जायज ठहराने के बाद भी डा.दीपक केम को डिप्टी रजिस्ट्रार पद पर नियम विरूद्ध नियुक्ति के संबंध में ।
महोदय,
     मैं आपके संज्ञान में लाना चाहता हूं कि डा. दीपक केम जिन्हें वर्तमान में डिप्टी रजिस्ट्रार,आईआईआईटी ,इलाहाबाद के पद पर नियुक्त किया गया है के विरूद्ध कई अनियमितताएं हैं। देशी-विदेशी लेखकों की पुस्तकों व शोध सामग्री को हूबहू चुराकर अपने नाम किताबें प्रकाशित कराने पर इन्हें जामिया मिलिया इस्लामिया,दिल्ली के रीडर पद से 13 जून 2011 को बर्खास्त कर दिया गया था।डा.दीपक केम इसके विरूद्ध दिल्ली उच्च न्यायालय गए। उनकी याचिका की सुनवाई करने के उपरांत बर्खास्तगी को न्यायालय ने सही ठहराया। इससे असंतुष्ट डा.केम ने दो जजों की पीठ के समक्ष पुन:याचिका प्रस्तुत की। दो जजों की पीठ ने भी 10 अप्रैल 2012 को एकल पीठ के फैसले को सही तो ठहराया ही,डा.दीपक केम के कृत्य को कत्तई क्षमा योग्य न होने की बात भी कही। साथ ही शैक्षणिक संस्थाओं में इस तरह के चोर गुरूओं की नियुक्ति पर  चिंता भी जाहिर किया।
 यह अत्यंत आश्चर्य जनक है कि तमाम घोटालों के आरोपी डा.दीपक केम को दिल्ली हाई कोर्ट के इस फैसले के लगभग 3 माह बाद  जुलाई 2012 के मध्य में आईआईआईटी इलाहाबाद में डिप्टी रजिस्ट्रार के पद पर नियुक्त कर दिया गया।
 डा.दीपक केम के पिता टीआर केम ( यूजीसी की एक ईकाई ,सीईसी में निदेशक हैं) और आईआईआईटी इलाहाबाद के निदेशक डा. मुरलीधर तिवारी के साथ यूजीसी में काम किये हैं। कहा जाता है कि इलाहाबाद के निदेशक डा.मुरलीधर तिवारी ने दीपक केम के बारे में सब कुछ जानते हुए भी जिप्टी रजिस्ट्रार पद पर नियुक्त कराया।
 मुझे आश्चर्य है कि इतने गम्भीर आरोपों के बाद भी डा. दीपक केम की नियुक्ति कैसे की गई ?आपसे आग्रह है कि इस मामले में जांच कराकर इस फर्जीवाड़े में नियमानुसार आवश्यक कार्रवाई सुनिश्चित करने का कष्ट करें।
 कृत कार्रवाई से मुझे भी अवगत कराएं।
भवनिष्ठ
हर्षवर्धन
इस प्रत्र की प्रतिलिपि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और मानव संसाधन विकास मंत्री के यहां भी 29 अक्टूबर 2012 को दे दी गई।
चोर गुरू डा.दीपक केम की नियुक्ति को रद्द करने के लिए इसके पहले कैलाश गोदुका और सांसद राजेन्द्र सिंह राणा ने भी मानव संसाधन विकास मंत्री को पत्र लिखा था।जिसकी खबर इस अखबार में सितम्बर 2012 के तीसरे सप्ताह में छपी थी।अरविंद केजरीवाल के साथ मिलकर परिवर्तन संस्था शुरू करने वाले कैलाश गोदुका ने आईआईआईटी इलाहाबाद के निदेशक को भी  दीपक केम की नियुक्ति की जांच कराने और नियुक्ति रद्द करने के लिए 31 अक्टूबर 2012 को पत्र लिखा।
इस सबका परिणाम यह हुआ कि अपने धत्कर्म का खुलासा हो जाने और चारो तरफ से घिर जाने के चलते आईआईआईटी इलाहाबाद के निदेशक डा.मुरलीधर तिवारी ने अपना गला बचाने के लिए डा.दीपक केम की नियुक्ति  5 नवम्बर 2012 को रद्द कर दिया।
और इसके बारे में सांसद हर्षवर्धन को 17-11-2012 को निम्न पत्र लिख कर सूचित किया-
आदरणीय महोदय,
  आपका पत्रांक VIP/MP/HV/2012-294  दिनांकित  29/10/2012जो डा. दीपक केम को हमारे संस्थान में डिप्टी रजिस्ट्रार पद पर नियुक्ति से संबंधित है प्राप्त हुआ। आपके पत्रानुसार इस प्रकरण में उचित जांच की गई और डा. दीपक केम को दिनांक    05.11.2012  के दिन से हमारे संस्थान से अवमुक्त कर दिया गया है।
 सादर,
भवदीय,
(मुरलीधर तिवारी)
यह समाचार स्वदेश,इंदौर में दिनांक 30नवम्बर2012 को पेज 5 पर छपा है ।

TATA,AMBANI,AHEMAD YA MONTEK KA ADAMI BANEGA UGC CHAIRMAN

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SATTACHAKRA
टाटा,अंबानी,अहमद या मोंटेक का आदमी बनेगा यूजीसी अध्यक्ष 
अहमद पटेल ने भ्रष्टाचार आरोपी सैयद हसनैन को यूजीसी अध्यक्ष बनाने के लिए पूरा जोर लगा दिया है
-कृष्णमोहन सिंह
नईदिल्ली।विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी यानी यूनिवर्सिटी ग्रांट कमिशन ) का अध्यक्ष कौन बनेगा ,टाटा के आदमी परशुरमन,मुकेश अंबानी के आदमी पंकज चंद्रा,अहमद पटेल के आदमी सैयद हसनैन या मोंटेक सिंह अहलूवालिया के आदमी अनंत ?विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अध्यक्ष पद के लिए जो खोज समिति बनी थी उसने खोज कर,साक्षात्कार लेकर इस पद के लायक  5 नाम की सूची बनाई है। नाम हैं- प्रो.वेद प्रकाश,परशुरमन,पंकज चंद्रा,सैयद हसनैन , अनंत । यह काम दूसरी बार करना पड़ा है। क्योंकि इसके पहले जो खोज कमेटी बनी थी उसने कई योग्य उम्मीदवारों को साक्षात्कार के लिए बुलाया ही नहीं और केवल दो महाजुगाड़ियों  के नाम ( भ्रष्टाचार आरोपी हसनैन व एक अन्य)की सूची बनाकर मानव संसाधन विकास मंत्रालय के संबंधित अफसर को दे दिया। जिस पर विवाद हुआ तो फिर से दूसरी सर्च कमेटी बनानी पड़ी। जिसने 5 नाम दिया है। अब मानव संसाधन विकास मंत्रालय को इनमें से किसी एक को यूजीसी अध्यक्ष बनाने की घोषणा कर देनी है। कहा जाता है कि जिसका पौवा भारी होगा वही अध्यक्ष बनेगा। हैदराबाद के एक विश्वविद्यालय का कुलपति रहने के दौरान हसनैन पर घोटालों के तमाम आरोप लगे हैं। उनपर घनघोर मुस्लिमवादी होने का भी आरोप है। चर्चा है कि वह यह कहते घूम रहे हैं कि उनपर सोनिया के खास अहमद पटेल का बरदहस्त है, और मामला अल्पसंख्यक का है, मनमोहन सरकार अल्पसंख्यकों और दलितो ( विशेषकर विवादास्पद व भ्रष्टाचार आरोपियों) को बहुत तरजीह दे रही है। और जो नये मानव संसाधन विकास मंत्री बने हैं पल्लम राजू वो तो आंध्र प्रदेश के हैं जिसकी राजधानी हैदराबाद में कुलपति रहा हूं।  सो उनको(सैयद  हसनैन) इसबार यूजीसी का अध्यक्ष बनने से कोई नहीं रोक सकताहसनैन इसलिए भी उत्साहित हैं क्योंकि इसके पहले दलित थोराट यूजीसी के चेयरमैन थे। जिसके समय में यूजीसी में सबसे ज्यादा भ्रष्टाचार और जातिवाद बढ़ने का आरोप है। जिसने अपनी जाति के तमाम चहेते आरोपियों को यूजीसी में बड़े-बड़े पदों पर नियुक्त कराया,प्रोजेक्ट दिलाया। यूसीसी सेक्रेटरी पद पर तो उसने दो टर्म तक दो दलितों को बिना नियुक्ति के एक्टिंग सेक्रेटरी रखकर ही काम चलाया।उसके बाद इसी तरह से निलोफर काजमी को एक्टिंग सेक्रेटरी बना दिया गया। जिसको सेक्रेटरी पद पर नियुक्त कराने के लिए हसनैन व थोराट(यूजीसी के चेयरमैन पद से हटने के बाद दलित सांसदों से सोनिया गांधी के यहां लाबिंग कराकर इंडियन काउंसिल आफ सोसल साइंसेज रिसर्च का अध्यक्ष बन गये हैं) लगा गोलबंद हो गये थे। सेक्रेटरी पद पर निलोफर की नियुक्ति नहीं हुई तो उन्होंने  कई जगह शिकायत किया कि सेलेक्शन कमेटी में अल्पसंख्यक सदस्य नहीं रखा गया। जिसकी जांच के लिए  एक कमेटी बनी थी जिसमें हसनैन थे। कहा जाता है कि हसनैन ने जांच को जितना हो सके अधिक दिनों तक खींचने की हर संभव कोशिश किया।असत्य तर्क देते रहे कि नियम के अनुसार 10 से कम पदों के साक्षात्कार  के सेलेक्शन कमेटी में अल्पसंख्यक सदस्य होना ही चाहिए। जब उनसे इस नियम की कापी दिखाने को कहा गया तो वह कहे कि जहां ठहरे हैं उस कमरे में बैग में है। जब वहां से लाकर दिखाने को कहा गया तो इधर-उधर करने के बाद कहने लगे कि नहीं मिल रहा है। इसतरह वह कमेटी को गुमराह करने की कोशिश करते रहे। क्योंकि नियम के अनुसार बहुत कम पदों के साक्षात्कार में अल्पसंख्यक सदस्य का रखा जाना जरूरी नहीं है। निलोफर काजमी की तरफदारी में थोराट और हसनैन दोनों ने मिलकर जितना हो सका लाबिंग किया । लेकिन यूजीसी सेक्रेटरी के सेलेक्शन के लिए दूसरी बार बनी कमेटी ने 22अक्टूबर 2012 की बैठक में, निलोफर काजमी ने प्रो.वेद प्रकाश के खिलाफ जो भी आरोप लगाये थे सबको आधारहिन बताते हुए खारिज कर ,काजमी को सेक्रेटरी पद से हटा दिया । और वैज्ञानिक अखिलेश गुप्ता को सेक्रेटरी पद के लिए चुन लिया। गुप्ता के बाद दूसरे नम्बर पर नाम नेहू के प्रोफेसर नजमा अख्तर का था। यह हालत है हसनैन थोराट मंडली की ।  पंकज चंद्रा उस एक प्रबंध संस्थान के निदेशक हैं जिसके चेयरमैन मुकेश अंबानी हैं।वह मुकेश अंबानी के सहयोग से यूजीसी अध्यक्ष बनने की कोशिश कर रहे हैं। मुकेश अंबानी जल्दी ही शिक्षा के धंधे में उतरने वाले हैं और देश का सबसे बड़ा निजी विश्वविद्यालय बनाने वाले हैं । परशुरमन टाटाइंस्टीट्यूट आफ सोशल साइंसेज के प्रमुख हैं। योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया के यसमैन हैं अनंत। मोंटेक ने इनको सांख्यिकी मंत्रालय  चीफ स्टैटिसियन नियुक्त करा रखा है। और अब उनको अपने आका मनमोहन सिंह की कृपा से यूजीसी चेयरमैन बनवाने पर आमादा हैं।  प्रो.वेद प्रकाश यूजीसी के वाइस चेयरमैन हैं और लगभग डेढ़ साल से अपने कमरे में बैठ कर चेयरमैन का काम भी देख रहे हैं।   देखिए इन 5 में से किस पर सोनिया मनमोहन सरकार और उसके नये मानव संसाधन विकास मंत्री की कृपा होती है।
यह खबर "पंजाब केसरी" ,दिल्ली में 2दिसम्बर 2012 को पेज 3 पर कुछ काट छांट कर छपी है।

BHRASTACHAR AROPI E. HASNAIN KO UGC CHAIRMAN BANANE KI TAIYARI

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भ्रष्टाचार आरोपी हसनैन को विजिलेंस क्लियरेंस दिला यूजीसी अध्यक्ष बनाने की तैयारी

-कृष्णमोहन सिंह
नईदिल्ली। जिस  प्रो.सैयद ई हसनैन पर भ्रष्टाचार के तमाम आरोप लगे हैं , जिनके भ्रष्टाचार  के बारे में प्रमाण सहित आरोप पत्र सीवीसी और मानव संसाधन विकास मंत्रालय में  देकर जांच कराने की मांग हुई, लेकिन उस पर दो साल तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। और अब बिना जांच किये ही हसनैन को एक तरह से सेफ पैसेज देकर ऊपरी दबाव के चलते विश्वविद्यालय अनुदान आयोग का अध्यक्ष बनाने की तैयारी हो रही है।  इसबारे में अरविंद केजरीवाल के साथ   परिवर्तन नामक संस्था शुरू करने वाले कैलाश गोदुका ने  5 दिसम्बर 2012 को मानव संसाधन विकास मंत्री और  और मंत्रालय के चीफविजिलेंस अफसर को पत्र लिख कर हसनैन के विरूद्ध 2 साल से  जांच दबाये रखने और अब आनन-फानन में उनकी यूजीसी अध्यक्ष पद पर नियुक्ति का रास्ता साफ करने की कोशिश करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। गोदुका ने पत्र में लिखा है- हैदराबाद विश्वविद्यालय के  कुलपति रहने के दौरान प्रो.सैयद ई.हसनैन परगैरकानूनी तरीके से नियुक्तियां करने, अन्य तमाम घोटाले करने के  आरोपोंकी जांच के लिए सेन्ट्रल विजिलेंस कमिसन ने मानव संसाधन विकास मंत्रालयमें भेजा था। जो मंत्रालय को 20 अक्टूबर 2010 को प्राप्त हुआ था।  हसनैनपर आरोप है कि उन्होंने कुलपति रहने के दौरान अपने कार्यकाल के अंतिमदिनों में बहुतसी नियुक्तियां की।
 सेन्ट्रल विजिलेंस कमिसन द्वारा जांच के लिए भेजा गया एक और पत्र दिनांक18 जुलाई 2011 को मानव संसाधन विकास मंत्रालय को प्राप्त हुआ था। जिसमेंहैदराबाद में कुलपति रहने के दौरान प्रो. सैयद ई.हसनैन पर लगे भ्रष्टाचारके तमाम आरोपों के  बावजूद उनको गैरकानूनी तरीके से विश्वविद्यालय अनुदानआयोग (यूजीसी) का सदस्य नामांकित किये जाने की जांच करने के लिए लिखा गयाथा। कैग (C AND AG ) ने भी अपनी आडिट रिपोर्ट 2009-10 के पैरा 4.13 में  , हैदराबाद विश्वविद्यालय का कुलपति रहने के दौरान सैयद ई.हसनैन द्वारालगभग 3 दर्जन लेक्चररों और 2 दर्जन रीडरों को अग्रिम इन्क्रीमेंट दे देनेकी धांधली को उजागर किया है। इस मामले में  भी जांच कराने और गैरकानूनीतरीके से लाभान्वितों को लाभ पहुंचाने वाले के खिलाफ कार्रवाई करने, इन्क्रीमेंट रद्द करके लाभान्वितों से रकम वसूली की कार्रवाई करने कीमांग हुई थी। सैयद ई. हसनैन पर भ्रष्टाचार का यह भी आरोप लगा है कि उन्होंने हैदराबादविश्वविद्यालय का कुलपति रहने के दौरान एक जगह की यात्रा की समयावधिपर एकसे अधिक स्थानों की हवाई जहाज यात्रा का यात्रा भत्ता लिया है। सैयद ई.हसनैन पर भ्रष्टाचार के इतने आरोपों की दो सालों से नतो जांच हुईनहीं कोई कार्रवाई । यह करके आरोपी को बचाते रहने में मंत्रालय के कुछअफसरों  का हाथ बताया जाता है।
सूत्रों का कहना है कि मंत्रालय के  विजिलेंस विभाग और सेन्ट्रल यूनिवर्सिटी ब्यूरो के आला अफसरों ने दो साल तक फाइल को दबाये रख हसनैन को बचाते रहने के बाद अब बिना चार्ज फ्रेम किये ही एक रिपोर्ट बना ली है । जो जल्दी ही सचिव ,मानव संसाधन विकास मंत्रालय को दे दी जायेगी।मालूम हो कि हसनैन हैदराबाद विश्वविद्यालय से 3 माह के दो सेवाविस्तार के बाद मार्च 2011में सेवामुक्त हुए तो जुगाड़ लगाकर  आईआईटी दिल्ली में प्रोफेसर हो गये।बताया जाता है कि जांच नहीं होने और चार्ज फ्रेम नहीं किये जाने को आधार बनाकर भ्रष्टाचार आरोपी सैयद ई हसनैन का एक तरह से विजिलेंस क्लियरेंस मान कर उनका नाम यूजीसी चेयरमैन के लिए क्लियर करने की तैयारी चल रही है।
*यह खबर पंजाब केसरी, दिल्ली में दिनांक 14 दिसम्बर 2012 को पेज 4( संपादकीय पेज) पर छपी है।

Pro. VED PRAKASH,CHAIRMAN,UGC NIYUKT

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प्रो. वेद प्रकाश , विश्वविद्यालय अनुदान आयोग  के अध्यक्ष नियुक्त
आयोग के उपाध्यक्ष व 6 फरवरी 2011 से कार्यकारी अध्यक्ष थे
टाटा,अम्बानी,अहमद,मोंटेक के लोग दौड़ में थे
-कृष्णमोहन सिंह
नईदिल्ली। प्रसिद्ध शिक्षाशास्त्री प्रो. वेद प्रकाश को देश की सर्वोच्च शिक्षा नियामक संस्था, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग का अध्यक्ष नियुक्त कर दिया गया। प्रो. वेद प्रकाश विश्वविद्यालय अनुदान आयोग में उपाध्यक्ष पद पर थे और छह फरवरी 2011 से अध्यक्ष का भी काम देख रहे थे। यूजीसी की वेव साइट में उनके बारे में दिया है कि इसके पहले वह नेश्नल यूनिवर्सिटी आफ एजुकेशनल प्लानिंग एंड एडमिनिस्ट्रेशन (NUEPA) ,नईदिल्ली में कुलपति, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग में सचिव, एनसीईआरटी में प्रोफेसर-हेड, इंस्टीट्यूट आफ बैंकिंग परसनल सेलेक्शन , बाम्बे में  एसोसिएट प्रोफेसर,स्टाफ सेलेक्शन कमिशन,भारत सरकार , नई दिल्ली में ज्वाइंट डाइरेक्टर थे।
यूस फुल ब्राइट पोस्ट डाक्टोरल फेलोशिप प्राप्तकर्ता प्रो. वेद प्रकाश यूनिवर्सिटी आफ विंडसर,कनाडा के विजिटिंग फैकल्टी, और  HIIDहारवर्ड यूनिवर्सिटी,  कैम्ब्रिज के गेस्ट फैकल्टी भी रह चुके हैं।
   स्क्रिनिंग कमेटी ने इसबार विश्वविद्यालय अनुदान आयोग अध्यक्ष पद के लिए पांच नाम की सूची मानव संसाधन विकास मंत्रालय को दी थी। वे पांच नाम थे - टाटा के आदमी परशुरमन ,मुकेश अंबानी के आदमी पंकज चंद्रा ,अहमद पटेल के आदमी सैयद हसनैन , मोंटेक सिंह अहलूवालिया के आदमी अनंत और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के उपाध्यक्ष व कार्यकारी अध्यक्ष प्रो.वेद प्रकाश । भ्रष्टाचार आरोपी हसनैन ने अध्यक्ष बनने के लिए हर तरह का उपक्रम किया और जुगाड़ लगाया । उनके आकाओं के ऊपरी आदेश व दबाव के बावजूद  भ्रष्टाचार के मामले में उनको क्लीनचिट नहीं मिली। क्योंकि मानवसंसाधन विकास मंत्रालय के वे आईएएस अफसर जो जांच अधिकारी थे ,भ्रष्टाचार आरोपी हसनैन को क्लिनचिट देने पर नौकरी जाने और खुद ही फंसने का भय हो गया। सो उनने हाथ खड़े कर दिये । इस तरह हसनैन का पत्ता कट गया। योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने भी अपने एसमैन अनंत जिसको स्टैटिस्टिक डिपार्टमेंट में निदेशक बनवाया है, यूजीसी  का अध्यक्ष बनाने के लिए पूरा जोर लगा दिया था।लेकिन उच्चशिक्षा व प्रशासनिक अनुभव में इन सबसे बीस पड़ रहे प्रो.वेद प्रकाश का पलड़ा भारी पड़ा। सो मानव संसाधन विकास मंत्री ने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अध्यक्ष पद के लिए प्रो.वेद प्रकाश के नाम पर मुहर लगा दिया। 

*BHRASTACHAR AROPI E. HASNAIN KO UGC CHAIRMAN BANANE KI TAIYARI

*TATA,AMBANI,AHEMAD YA MONTEK KA ADAMI BANEGA UGC CHAIRMAN

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Harvard University

cheating scandal

70 students suspended


RICHARD PEREZ  PENA , THE NEW YORK TIMES

February 02, 2013
 Harvard has forced dozens of students to leave in its largest cheating scandal in memory, the university made clear in summing up the affair Friday, but it would not address assertions that the blame rested partly with a professor and his teaching assistants.

Harvard would not say how many students had been disciplined for cheating on a take-home final exam given in May in a government class, but the university's statements indicated that the number forced out was around 70. The class had 279 students, and Harvard administrators said last summer that "nearly half" were suspected of cheating and would have their cases reviewed by the university's Administrative Board. On Friday, a Harvard dean, Michael D. Smith, wrote in a letter to faculty members and students that, of those cases, "somewhat more than half" had resulted in a student's being required to withdraw.

Smith, the dean of the Faculty of Arts and Sciences, wrote, "Of the remaining cases, roughly half the students received disciplinary probation, while the balance ended in no disciplinary action." He wrote that the last of the cases was concluded in December; no explanation was offered for the delay in making a statement. The forced withdrawals were retroactive to the start of the school year, he wrote, and those students' tuition payments would be refunded.
The Administrative Board's website says that forced withdrawals usually last two to four semesters, after which a student may return.

Howard Gardner, a professor at Harvard's Graduate School of Education who has spent much of his career studying cheating, said that, eventually, the university should "give a much more complete account of exactly what happened and why it happened."

The episode has given a black eye to one of the world's great educational institutions, where, in an average year, 17 students are forced out for academic dishonesty. It was a heavy blow to sports programs, because the class drew a large number of varsity athletes, many of them on the basketball team. Two players accused of cheating withdrew in September rather than risk losing a year of athletic eligibility on a season that disciplinary action could cut short.

People briefed on the investigations say that they went on longer than expected because the university's effort was painstaking, hiring additional staff members to comb through each student's exam and even color-coding specific words that appeared in multiple papers.

One implicated student, who argued that similarities between his paper and others could be traced to shared lecture notes, said the Administrative Board demanded that he produce the notes six months later. The student, who asked not to be identified because he still must deal with Harvard administrators, said he found some notes and was not forced to withdraw.

Some Harvard professors and alumni, along with many students, have protested that the university was too slow in resolving the cases, too vague about its ethical standards or too tough on the accused.

Robert Peabody, a lawyer representing two implicated students, said as their cases dragged on, with frequent postponement, "they emotionally deteriorated over the course of the semester." He said one was forced to leave the university, and the other was placed on academic probation.

While Harvard has not identified the course or the professor involved, they were identified by the implicated students as Introduction to Congress and Matthew B. Platt, an assistant professor of government. Platt did not respond to messages seeking comment Friday.

In previous years, students called it an easy class with optional attendance and frequent collaboration. But students who took it last spring said that it had suddenly become quite difficult, with tests that were hard to comprehend, so they sought help from the graduate students who ran the class discussion groups and graded assignments. Those teaching fellows, they said, readily advised them on interpreting exam questions.

Administrators said that on final-exam questions, some students supplied identical answers, down to, in some cases, typographical errors, indicating that they had written them together or plagiarized them. But some students claimed that the similarities in their answers were due to sharing notes or sitting in on sessions with the same teaching fellows. The instructions on the take-home exam explicitly prohibited collaboration, but many students said they did not think that included talking with teaching fellows.

Smith's long note did not say how the Administrative Board viewed such distinctions, or whether the university had investigated the conduct of the professor and teaching fellows, and a spokesman said Harvard would not elaborate on those questions.

Pro.RAMMOHAN PATHK CHORGURU JANCH SE BACHANE KE LIYE SANSAD HARSHVARDHAN KE YAHAN LAGA RAHE JUGAR,KAR RAHE YACHANA

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Harshvardhan(M.P.)
Pro.Rammohan Pathak CHORGURU
भ्रष्टाचारीगुरू/शैक्षणिक कदाचारीगुरू प्रो.राममोहन पाठक जांच से बचने के लिए सांसद हर्षवर्धन के यहां लगा रहे जुगाड़,कर रहे याचना
 गोरखपुर के दैनिक जागरण में काम करने वाले कोई तिवारी हैं । जो महाराज गंज के सांसद  हर्षवर्धन को फोन कर कह रहे हैं, सर , राममोहन पाठक हमारे फुफेरे भाई हैं। वह हमारे गले पड़ गये हैं।कह रहे हैं कि हर्षवर्धन जी से एक पत्र राज्यपाल को लिखवा दो नहीं तो हम फंस जायेंगे,हमारी पेंशन रूक जायेगी,जांच होने पर जेल जाना पड़ सकता है। जिसमें वह लिख दें कि राममोहन पाठक चोरगुरू नहीं हैं,भ्रष्टाचारी नहीं हैं,उन्होंने फुल टाइम नौकरी करते हुए BHU से फुल टाइम पी-एचडी., आदि जो शैक्षणिक कदाचार किया है उसमें क्लिनचिट मिल गई है।

  महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ,वाराणसी के भ्रष्टाचारीगुरू प्रो. राममोहन पाठक ने नकल करके पी-एचडी. थीसिस लिखने,फुल टाइम नौकरी करते हुए BHUसे फुल टाइम पी-एचडी. व अन्य डिग्री लेने ,काशीविद्यापीठ का पुस्तकालय प्रभारी रहते पुस्तकों के खरीद मामले में घोटाला करने व अन्य कई भ्रष्टाचार के सप्रमाण आरोपों की जांच से बचने के लिए तरह – तरह का उपक्रम करना और जुगाड़ लगाना शुरू कर दिया है।
  विद्यापीठ के कुलपति नाग तो भ्रष्टाचारी गुरू राममोहन को बचाने के लिए हर हिकमत लगा रहे हैं । लेकिन अब भ्रष्टाचारी गुरूओं,चोरगुरूओं की करनी की जांच कराने का  पत्र उनके आका का आ गया है सो वह अपना गला बचाने के लिए राममोहन से कह रहे हैं कि  बचने का जल्दी कोई उपाय करो वरना जांच में दोनों फंसेंगे।  सो प्रो.राम मोहन पाठक इन दिनों  सांसद हर्षवर्धन के यहां अपने किसी तथाकथित रिश्तेदार तिवारी से लगातार फोन करवा रहे हैं। वह तिवारी दैनिक जागरण ,गोरखपुर में काम करते हैं। सांसद हर्षवर्धन को फोन करके गिड़गिड़ा रहे हैं कि राममोहन पाठक हमारे रिश्तेदार हैं,फूफेरे भाई हैं। वह हमारे गले पड़ गये हैं।कह रहे हैं कि जांच होगी तो हमारी ( राम मोहन पाठक) नौकरी चली जायेगी,पेंशन रूक जायेगी,जेल जाना पड़ सकता है, बी.एच.यू. की कई डिग्री रद्द हो जायेगी। तो आप एक पत्र राज्यपाल को लिख दीजिए कि प्रो.राम मोहन पाठक को सभी घोटालों,भ्रष्टाचार के मामलों में क्लिनचिट मिल चुका है ।
हर्षवर्धन ने उस तिवारी से कहा कि मैने जांच के लिए जो भी लिखा है प्रमाण सहित लिखा है। यदि प्रो.राममोहन पाठक प्रमाण सहित लिखकर दे रहे हैं कि उनपर लगे भ्रष्टाचार,शैक्षणिक कदाचार के सभी मामलों में क्लिन चिट मिल चुका है तो दें,उसे भी राज्यपाल के यहां जांच में शामिल करने के लिए भेज दूंगा,और उसकी भी जांच कराने की मांग करूंगा कि कैसे क्लिनचिट मिला है,जांच के नाम पर लीपा-पोती तो नहीं की गई है

जुगाड़ कला के बदौलत कुलपति बनने की कोशिश
कुलपति जी,भाग रहे प्रो.राम मोहन से बात करने को कहे...

जांच के भय से तथाकथित चोरगुरू राममोहन पाठक की नई चाल,

IGNOU KO BHRASTACHAR KA AUR BARA GADH BANANE KI TAIYARIH

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इग्नू को भ्रष्टाचार का और बड़ा गढ़ बनाने की तैयारी

गुलामनबी अपने यसमैन असलम,वामपंथी अपने  दीपांकर,जायसवाल अपने डांडे  को बनवाना चाहते हैं कुलपति
-कृष्णमोहन सिंह
 नई दिल्ली।इंदिरा गांधी राष्ट्रीय खुला विश्वविद्यालय , मैदान गढ़ी, नई दिल्ली, खुलकर भ्रष्टाचार करने का गढ़ बन गया है। यहां की पाठ्य पुस्तकों की सामग्री हूबहू उतारकर अपने नाम से पुस्तकें छपवाने  , दूरस्त शिक्षा विकास फंड देने में घूसखोरी , इसके देशी-विदेशी केन्द्रों में धांधली,नियुक्तियों में धांधली के एक से बढ़कर एक नमूने हैं। चर्चा है कि नेताओं , नौकरशाहों , नौकरशाह बन गये अध्यापकों के एक वर्ग की लाबी द्वारा  अपने चहेते चर्चितों में से एक को कुलपति बनवाकर इसे भ्रष्टाचार का और बड़ा गढ़ बनाने की तैयारी हो रही है।
  बताया जाता है कि इसको शैक्षणिक कदाचार व भ्रष्टाचार का गढ़ बनाने में लंबे समय तक कुलपति रहे राजशेखर पिल्लई का सबसे अधिक योगदान रहा।  केरल के पिल्लई ने सोनिया – मनमोहन की सरकार में लगभग 8 साल तक सबसे पावरफुल रही केरलाइट नौकरशाहों तथा मानवसंसाधन मंत्रालय में रहे केरलाइट नौकरशाह सुनील कुमार( जिनकी  पत्नी को पिल्लई ने पहले छत्तीसगढ़ के सेंटर में नियुक्त किया फिर  दिल्ली में प्रोफेसर के रैंक में नियुक्ति दे दी) के लाभालाभी सहयोग के चलते जमकर कदाचार किया। केन्द्र सरकार की मंजूरी के बिना ही ,  केवल कहने के लिए जो   विदेशी विश्वविद्यालय थे उनसे एमओयू साइन करते रहे। उस पिल्लई के शैक्षणिक कदाचारों,भ्रष्टाचार की सीबीआई  जांच हो रही थी। लेकिन जिस तरह से यूजीसी के अध्यक्ष रहते उसे भ्रष्टाचार का गढ़ बना देने के आरोपी थोराट ने अपने विरूद्ध सीबीआई जांच को, जुगाड़ लगाकर लीपापोती करा , अपने चहेते सांसदों से सोनिया के यहां कई बार पैरवी कराकर भारतीय सामाजिक विज्ञान शोध परिषद (ICSSR) के चेयरमैन बन गये, उसी तरह पिल्लई ने भी केरल लाबी का जुगाड़ लगाकर  अपने विरूद्ध सीबीआई जांच में लीपा-पोती करवा कर केरल में किसी  विभाग में सचिव पद पर नियुक्ति करा ली है। 
 पिल्लई के जाने के बाद रिक्त हुए इग्नू के कुलपति पद के लिए जो स्क्रीनिंग कमेटी बनी थी उसने कई नाम दे दिये थे। जबकि तबके मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल केवल अपनी जाति के अपने एक चहेते व एक अन्य के नाम की सूची चाहते थे। वह हुआ नहीं और कई नाम की सूची आ गई तो  सिब्बल ने वह कई नामों वाली  सूची तबकि राष्ट्रपति प्रतिभा देवी पाटिल के पास नहीं भेजा। क्योंकि कपिल सिब्बल को डर था कि प्रतिभा देवी पाटिल उन नामों में से उसको इग्नू का कुलपति बना सकती हैं जिसको उनके पति  सिफारिश करते।  सो इस डर से सिब्बल ने उस स्क्रीनिंग कमेटी व उसकी सूची को ही रद्द कर दिया और नई स्क्रीनिंग कमेटी बना दी। उसके बाद कपिल सिब्बल से मानव संसाधन विकास मंत्रालय ले लिया गया और उनकी जगह पल्लम राजू को यह पद दे दिया गया। जो नई कमेटी बनी है उसने भी अपना अलग ही खेल किया। उसने भी जो तीन नाम दिये हैं उन तीनों पर तीकड़मबाज और किसी न किसी तरह मालदार शैक्षणिक प्रशासनिक पद के लोभी होने व अन्य आरोप हैं।हालत यह हो गई है कि इस यूपीए सरकार के कुछ मंत्रियों , नेताओं व अपनी जाति के सांसदों तथा मानव संसाधन विकास मंत्रालय के कुछ अफसरों से सांठगांठ करके  कुछ प्रोफेसर एक बड़ा रैकेट बना लिये हैं, और एक तरह से शिक्षा माफिया की तरह हो गये हैं।देश की गरीब जनता से शिक्षा कर के नाम पर उगाही जा रहे कर से चलाई जा रही शिक्षा की उन्नति की तमाम योजनाओं और शिक्षण संस्थाओं में बड़े मालदार पदों पर नियुक्तियों  में ये सब एक दूसरे को हर तरह से लाभ पहुंचाने का काम कर रहे हैं। कोई भी कमेटी बन रही है घूमफिर कर 10 से 15 प्रोफेसरों  आदि में से ही नाम आता है। ऐसे ही महानुभावों की बनी कमेटी ने इग्नू के कुलपति पद के लिए पूरे भारत से बहुत ढ़ूंढ़ने के बाद इग्नू के असलम, जेएनयू में रहे दीपांकर और आआईटी कानपुर के निदेशक रहे डांडे के नाम की सूची मानव संसाधन विकास मंत्रालय को दी है। इसमें स्वास्थ्य मंत्री गुलाम नबी आजाद के चहेते असलम, वामपंथियों के चहेते दीपांकर और कुछ नौकरशाहों व घोटालों के आरोपी कोयला मंत्री श्री प्रकाश जायसवाल के चहेते  डांडे हैं। इन तीनों के आका लोग  कारू का खजाना  के रूप में चर्चित हो गये इग्नू  में अपने यसमैन को कुलपति बनवाने के लिए एड़ी – चोटी का जोर लगा दिये हैं। जबकि इन तीनों में से किसी का भी कद व अनुभव इग्नू जैसी विश्वस्तरीय संस्था को भ्रष्टाचार के गढ़ से शिक्षा का गढ़ बनाने लायक नहीं हैं। चर्चा है कि पिल्लई तो इग्नू को भ्रष्टाचार का गढ़ बनाकर गये ही , यदि इनमें से  भी कोई कुलपति बना तो यह और भी रसातल में जायेगा। 

Pro. ASALAM,former acting V-C of IGNOU booked

RASTRAPATI DADA KYA BHRASTACHAR AAROPI PRO ASALAM KO IGNOU KA KULAPATI BANAYENGE

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 प्रणव दा क्या भ्रष्टाचार आरोपी असलम को इग्नू के कुलपति पद पर नियुक्ति की मंजूरी देंगे

-कृष्णमोहन सिंह
नईदिल्ली। राजशेखरन पिल्लई पर तो इंदिरागांधी राष्ट्रीय खुला विश्वविद्यालय (इग्नू) के कुलपति पद पर रहने के दौरान तरह-तरह के भ्रष्टाचार,शैक्षणिक कदाचार ,घोटाले करने के मामले में सीबीआई जांच चल रही है। उनके विदा होने के बाद इग्नू के कार्यकारी कुलपति रहे और अब कभी भी पूर्णकालीक कुलपति नियुक्त कर दिये जाने वाले प्रो.असलम  के विरूद्ध भी कई घोटालों के मामले में दिल्ली के नेब सराय थाने में एफआईआर दर्ज हो गई है। इग्नू के ही प्लानिंग एंड डवलपमेंट डिविजन के डिप्टी डायरेक्टर आर.सुदर्शन ने यह एफआईआर दर्ज कराई है।जिसमें है कि प्रो. असलम ने इग्नू का कार्यकारी कुलपति रहने के दौरान कई घोटाले किये हैं( जिसमें कुछ के बारे में नाम सहित बताया गया है) , उनको कार्यकारी कुलपति का कार्यभार दिया जाना इग्नू के स्टेट्यूट के विरूद्ध था और यह मामला दिल्ली उच्च न्यायालय में चल रहा है। 
 कहा जाता है कि प्रो. असलम के विरूद्ध मामला दिल्ली उच्चन्यायालय में चलने और उनपर घोटालों के आरोप के बावजूद इग्नू के कुलपति पद के लिए सुयोग्य उम्मीदवार तलाशने के लिए बनाई गई दूसरी स्क्रीनिंक कमेटी ने बहुत तथाकथित मेहनत व ईमानदारी से देश भर के विद्वान,ईमानदार,योग्य व्यक्तियों को तलाशा तो उसमें से उनको केवल तीन नाम सबसे उत्तम मिले। ये तीन नाम थे- प्रो. ढांडे,दीपांकर और प्रो.असलम।कहा जाता है कि इसमें प्रो. ढांडे को मानवसंसाधन विकास मंत्रालय में तैनात उ.प्र. कैडर के एक आईएएस अफसर के अलावा कानपुर संसदीय क्षेत्र के सांसद व केन्द्रीय कोयला मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल का , दीपांकर को वामपंथियों का और प्रो. असलम को केन्द्रीय मंत्री गुलामनबी आजाद का वरदहस्त प्राप्त है।बताया जाता है कि  इन तीन नामों को देखने के बाद जब मानवसंसाधन विकास मंत्रालय के कुछ ईमानदार अफसरों ने  मंत्री पल्लम राजू को सुझाव दिया कि सर,इस कमेटी को रिजेक्ट करके एक नई कमेटी बना दीजिए।क्यों इसने जो नाम दिया है उसमें से कोई भी इग्नू जैसी संस्था का कुलपति बनने के लायक नहीं है। ढांडे के निदेशक रहते  आईआईटी कानपुर में सबसे अधिक छात्रों ने आत्महत्या किया है। यह रिकार्ड पूरे भारत के आआईटी में सबसे अधिक है। उनपर और भी तरहके भ्रष्टाचार के आरोप हैं।इसी तरह प्रो.असलम के विरूद्ध भी भ्रष्टाचार आदि के आरोप हैं। चर्चा है कि मंत्री पल्लम राजू ने अपने ईमानदार अफसरों की बात नहीं मानकर केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री गुलाम नबी आजाद और एक-दो अन्य  चर्चित मुस्लिम नेताओं को खुश करने के लिए  केवल प्रो. असलम का नाम इग्नू के कुलपति पद के लिए राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी के यहां भेजवा दिया है। राष्ट्रपति की मंजूरी मिलते ही  प्रो.असलम इग्नू के कुलपति हो जायेंगे। प्रणव मुखर्जी के राष्ट्रपति बनने और राष्ट्रपति भवन में देशभर के केन्द्रीय विश्वविद्यालयों के कुलपतियों , केन्द्रीय शिक्षा मंत्रालय के पूरे अमले को बुलाकर , बैठक कराकर , शिक्षा के सुधार को गति देने ,इसमें फैले भ्रष्ट्राचार को मिटाने,शिक्षा माफिया की तरह काम कर रहे कुछ प्रोफेसरों, पदाधिकारियों आदि के रैकेट को तोड़ने की बात कही उससे ईमानदार छात्रों, शिक्षकों व जनता को उम्मीद जगी है। देखिये अब प्रणव दा , भ्रष्टाचार आरोपी प्रो.असलम को इग्नू का कुलपति बनाते हैं या  पुनर्विचार का रिमार्क लगाकर फाइल मानवसंसाधन विकास मंत्रालय को लौटा देते हैं। वाजपेई सरकार के समय बीएचयू का कुलपति नियुक्त करने के मामले में ऐसा हो चुका है। राष्ट्रपति ने फाइल लौटा दिया तो मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने पहले जो नाम भेजा था उसे हटा दिया ,नई कमेटी बनाई ,उसने जो नये नाम सुझाये उसमें से नाम राष्ट्रपति को भेजा गया।

Pro.RAMMOHAN PATHAK KADACHARI GURU JANCH SE BACHANE KE LIYE SANSAD RAJENDRA RANA KO KAR RAHE PHONE, APANE BETE AMITANSHU KO BHEJE

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rammohan pathak,
kadachariguru
v.c. p.nath
शैक्षणिक कदाचार /भ्रष्टाचार /नकलकरके पीएचडी थीसिस लिखने के आरोपी प्रो.राममोहन पाठक (MAHATMA GANDHI KASHI VIDYA PEETH, VARANASI)ने जांच से बचने के लिए सांसद राजेन्द्र सिंह राणा को दिसम्बर2012 से लेकर फरवरी 2013 तक दो बार फोन किया। चर्चा है कि तरह-तरह की भूमिका बनाने और अपना संबंध भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह से लगायत अन्य पार्टी के बड़ों-बड़ों से होने की लम्बी-लम्बी हांकने के बाद वह अपनी औकात पर आये और गिड़गिड़ाये कि आप एक पत्र उ.प्र. के राज्यपाल को लिख देते कि राममोहन पाठक के विरूद्ध भ्रष्टाचार , घोटाला का (फुल टाइम नौकरी करते हुए BHU से फुल टाइम पीएचडी करने , नकल करके पीएचडी की थीसिस लिखने, फुल टाइम नौकरी करते हुए BHU से फुल टाइम अन्य कई डिग्री लेने ,  पुस्तकालय प्रभारी रहते पुस्तक खरीद में घोटाला करने आदिआरोप)  कोई मामला नहीं है।सबमें क्लीनचिट मिल गया है। बताया जाता है कि सांसद राणा ने कह दिया कि आपको जो कुछ कहना हो जहां जांच हो रही हो वहां कहिये, वहां लिखकर दीजिए। उसके बाद राममोहन पाठक ने औरभी कई उपक्रम किये। फिर भी काम नहीं बना तो  अपने बड़े बेटे अमितांशु पाठक को सांसद राणा के साऊथ एवेन्यू,नईदिल्ली वाले आवास पर 06 मार्च2013 को शाम को भेजा। अपने को नईदुनिया का संवादाता होने का परिचय बताकर उनसे मिले।उनसे आग्रह किया कि राममोहन पाठक उसके पिता हैं और  रिटायर होने वाले हैं। आप राज्यपाल को दो लाइन का एक पत्र लिख देते कि राममोहन पाठक पर भ्रष्टाचार का कोई मामला नहीं है। इसके बाद क्या हुआ इसका विस्तृत विवरण पता चलते ही दिया जायेगा। लेकिन इससे यह तो साबित हो रहा है कि महात्मागांधी काशी विद्यापीठ ,वाराणसी के  कुलपति प्रो.पी.नाथ अपने चहेते भ्रष्टाचार आरोपी राममोहन पाठक को मामले की लीपा-पोती कराने,अपने पद का दुरूपयोग करके अपने विरूद्ध  हर मामले को दबाने का उपक्रम करने का हर तरह से मौका दे रहे हैं।

दिग्विजय बनवायेंगे चोरगुरू राममोहन को कुलपति ?

तथाकथितचोरगुरू राममोहन पाठक को मा.प.वि.वि. महापरिषद सदस्य बनाने की तैयारी 


का गुरू ,का राममोहन पाठक चोरगुरू हैं ? देखें CNEB पर 

तथाकथित चोरगुरूद्वय अनिल कुमार उपाध्याय व राममोहन पाठक का यूजीसी व मंत्रालय में जुगाड़ लगाना सफल नहीं हुआ 


प्रो. राम मोहन पाठक पर मूर्तिचोरी का आरोप?
जुगाड़ कला के बदौलत कुलपति बनने की कोशिश
कुलपति जी,भाग रहे प्रो.राम मोहन से बात करने को कहे...

जांच के भय से तथाकथित चोरगुरू राममोहन पाठक की नई चाल,

Pro.RAM MOHAN PATHAK ( bhrastachari guru)NE JANCH SE BACHANE KE LIYE SANSAD HARSHVARDHAN KE YAHAN FIR SIFARISH KARAYA

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date 13-03-13
kadachari guru ram mohan pathak
आज अखबार समूह में  पूर्ण कालिक  नौकरी करते हुए काशी हिन्दू विश्वविद्यालय(BHU),वाराणसी से अवैध रूप से पूर्णकालिक  बी.जे.,एम.ए. ( हिन्दी),पी-एच.डी.( हिन्दी) और एम.जे.करने वाले राम मोहन पाठक( RAM MOHAN PATHAK) पर नकल करके पी-एच.डी. थीसिस लिखने का भी प्रमाण सहित आरोप लगा है।इन पर महात्मा गांधी  काशी विद्यापीठ ,वाराणसी का पुस्तकालय प्रभारी रहते किताबों के खरीद में घोटाला करने का भी आरोप है।शैक्षणिक कदाचार और भ्रष्टाचार के और भी आरोप हैं। राज्यपाल ने कई माह पहले इसकी बिन्दुवार  जांच के लिए काशी विद्यापीठ के कुलपति प्रो.पी.नाग को लिखा है। चर्चा है कि  प्रो.पी.नाग( pro. p.nag) अपने चहेते शैक्षणिक कदाचारी,भ्रष्टाचारी गुरू प्रो.राम मोहन पाठक  को बचाने का हरतरह से कोशिश कर रहे हैं। वह पाठक को  इस मामले की लीपा-पोती कराने का बहुत ज्यादा अवसर दे रहे हैं। प्रो.नाग की पूरी कोशिश प्रो. राम मोहन पाठक को आराम से 31 मार्च 2013 को रिटायर करके फिर से नियुक्ति पत्र देने की है।  प्रो. नाग द्वारा भ्रष्टाचार आरोपी प्रो. राम मोहन पाठक के विरूद्ध अब तक कोई कार्रवाई नहीं किये जाने और मामले की लीपा-पोती,रफा-दफा कराने का भरपूर अवसर दिये जाने के कारण ही प्रो.राम मोहन पाठक कभी सांसद राजेन्द्रसिंह राणा को खुद फोन करके  अपने विरूद्ध कोई मामला नहीं होने का एक पत्र राज्यपाल को लिखने का आग्रह कर रहे हैं और कभी अपने बड़े बेटे अमितांशु पाठक को उनसे मिलने,गुजारिश करने के लिए भेज रहे हैं।सांसद हर्षवर्धन के  यहां अपने  परिचित गोरखपुर दैनिक जागरण में काम करने वाले किसी  तिवारी से  फोन करवा रहे हैं। सांसद हर्षवर्धन ने 12 मार्च 2013 की शाम 6.30 बजे के लगभग अपने दिल्ली वाले आवास विंडसर प्लेस के बंगले के बैठका में बताया कि राममोहन पाठक ने फिर एक आदमी से फोन करवाया था।वह कह रहा था कि आपने राममोहन पाठक के विरूद्ध जांच के लिए लिखा है।यदि राज्यपाल को लिख देते कि ऐसा कोई मामला नहीं है  तो वह ( राम मोहन पाठक ) बच जाते।
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Pro.RAMMOHAN PATHAK KADACHARI GURU JANCH SE BACHANE KE LIYE SANSAD RAJENDRA RANA KO KAR RAHE PHONE, APANE BETE AMITANSHU KO BHEJE

Pro.RAMMOHAN PATHK CHORGURU JANCH SE BACHANE KE LIYE SANSAD HARSHVARDHAN KE YAHAN LAGA RAHE JUGAR,KAR RAHE YACHANA

 तथाकथितचोरगुरू राममोहन पाठक के रिश्तेदार ने सांसद हर्षवर्धन से क्याकहा

दिग्विजय बनवायेंगे चोरगुरू राममोहन को कुलपति ?

तथाकथितचोरगुरू राममोहन पाठक को मा.प.वि.वि. महापरिषद सदस्य बनाने की तैयारी 

का गुरू ,का राममोहन पाठक चोरगुरू हैं ? देखें CNEB पर 

तथाकथित चोरगुरूद्वय अनिल कुमार उपाध्याय व राममोहन पाठक का यूजीसी व मंत्रालय में जुगाड़ लगाना सफल नहीं हुआ 

प्रो. राम मोहन पाठक पर मूर्तिचोरी का आरोप?

जुगाड़ कला के बदौलत कुलपति बनने की कोशिश
कुलपति जी,भाग रहे प्रो.राम मोहन से बात करने को कहे...

जांच के भय से तथाकथित चोरगुरू राममोहन पाठक की नई चाल,

VIBHUTI NARAIN RAI,IPS KE BHRASTACHAR KI JANCH

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PULISHWALA BANA KULAPATI TO CHOR KO BANAYA HEAD, JAMKAR KIYA
BHRASTACHAR ,CAG NE USAKE GHOTALON KA KIYA PARDAFFAS. VAMPANTHI D.RAJA KI PATNI NE HRD MINISTER SE MULAKAT KAR ,'CHHINALI' VIBHUTI NARAIN RAI ,( V.N.RAI IPS), KULAPATI , MGA HINDI VISHV VIDYALAY, VARDHA, KE BHRASTACHAR AUR GHOTALON KI JANCH KARANE KI MANG KI. MHRD KA EAK IAS AFSAR CHHINALI VIBHUTI KA KAR RAHA THA BACHAV. LEKIN D.RAJA KI PATNI KE SATH GAYE DELIGATION KE DABAV ME AUR CVC KE KARE NIRDESH PAR BHRASTACHAR AAROPI V.N.RAI KE GHOTALON KI JANCH SHURU HO GAYI. . TIME BOUND JANCH HAI.

'CHHINALI' VIBHUTI ( V N RAI ,IPS) KE GHOTALON KI JANCH

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छिनाली विभूति यानी छिनाली फेम वाले पुलिसिया कुलपति विभूति नारायण  के घोटालों ,भ्रष्टाचार की जांच शुरू हो गई है। चर्चा है कि सत्ता व पद का लाभ लेने के लिए गिरगिट की तरह रंग बदलने वाले अंगूरी प्रेमी रंगीन मिजाज अपने विरूद्ध हो रहे जांच में क्लिनचिट पाने के लिए दिल्ली की लगातार दौड़ लगा रहे हैं। अपने जाति के राजनीतिकों  से लगायत अपने संरक्षक तरह-तरह के तथाकथित सुविधाभोगी बुद्धिजीवयों ,पुलिस व आईएएस अफसरों के यहां जुगाड़ भिड़ा रहे हैं।इसी जुगाड़ से तो यह पुलिस वाला कुलपति बना तो चोर को बना दिया हेड।और उसके बाद जो तथाकथित भयंकर भ्रष्टाचार किया उसका खुलासा कैग ने कर दिया है।जिसपर प्रमाण सहित शिकायत मिलने और मौका देख लाभ के लिए अपने को कभी वामपंथी,कभी समाजवादी ,कभी कांग्रेसी कीर्तनी होने का रंग बदलने वाले इस छिनाली विभूति के विरूद्ध वामपंथियों की ही अगुवाई में  प्रतिनिधि मंडल , मानव संसाधन विकास मंत्री पल्लम राजू और मुख्य सतर्कता आयुक्त के यहां गया था। इस प्रतिनिधि मंडल के बहुत दबाव के बाद इस छिनाली विभूति,चोरगुरू संरक्षक पुलिसिया कुलपति के विरूद्ध जांच शुरू हुई
v.n.rai,ips,v.c.corruption inquiry
है। प्रमाण देखिये.

UGC ne BHRASTACHARI GURU Prof. Ram Mohan Pathak ke ghotalon/bhrastachar ki JANCH ka diya AADESH

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Corrupt Guru Protector  V.C., Prof. NAG 
Brastachari Guru Prof.Ram Mohan Pathak


यूजीसी ने भ्रष्टाचारी गुरूओं के विरूद्ध कार्रवाई शुरू की
महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के प्रो.राममोहन पाठक के भ्रष्टाचार,घोटालों की जांच कराकर रिपोर्ट 3 माह में देने का आदेश
भ्रष्टाचारी गुरू राममोहन जांच को ठेंगा दिखा गुरूघासी दास केन्द्रीय वि.वि. के करीबी सजातीय कुलपति की कृपा से वहां कोई मालदार पद पाने के जुगाड़ में
-कृष्णमोहन सिंह
नईदिल्ली।लगभग 7-8 साल से जिस विश्वविद्यालय अनुदान आयोग पर केवल पोस्ट आफिस की तरह काम करने और पुष्पम् पत्रम् व जुगाड़ से 4 लाख से रूपये अधिक वाले मेजर रिसर्च प्रोजेक्ट बंदर बांट करने,प्रोजेक्ट पूरा करके जमा नहीं करने,प्रोजेक्ट में धांधली करने पर भी कुछ नहीं करने, यदि किसी ने शिकायत की तो केवल नोटिस देकर खानापूर्ति कर देने,अन्य तमाम तरह के घोटालों  और उसकी लीपापोती करने में भरपूर मदद करने का प्रमाण सहित आरोप लगता रहा है।उस यूजीसी में ही  भ्रष्टाचारी प्रोफेसरों, कुलपतियों के लाभालाभी हित वाले पहले से जमे अफसरों की अड़ंगेबाजी व व्यवधान के बावजूद अब विश्वविद्यालयों के भ्रष्टाचार गुरूओं,चोरगुरूओं के विरूद्ध जांच व कार्रवाई की पहल शुरू हो गई है। शायद यह विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के नये अध्यक्ष प्रो.वेद प्रकाश के कड़ाई के चलते हुआ हो, लेकिन शुरू तो हुआ।इसका प्रमाण है महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ,वाराणसी के प्रो.राममोहन पाठक के भ्रष्टाचार व घोटालों की 2 से 3 माह में जांच कराकर रिपोर्ट देने का आदेश। प्रो.राममोहन पाठक ने आज अखबार समूह में पूर्णकालिक नौकरी करते हुए काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (BHU),वाराणसी से रेगुलर,पूर्णकालिक बी.जे.,एम.ए.(हिन्दी),पीएच.डी(हिन्दी)किया है। राममोहन ने 1991 में काशीविद्यापीठ में पूर्णकालिक रीडर पद पर नौकरी करते हुए और उसके बाद काशी हिन्दू वि.वि. में जनसम्पर्क अधिकारी पद पर पूर्णकालिक नौकरी करते हुए काशी हिन्दू वि.वि.से ही पूर्णकालिक,रेगुलर एम.जे.कोर्स किया है।   एक व्यक्ति एक साथ दो जगह कैसे उपस्थित हो सकता है।और दोनों जगह पूर्णकालिक काम कैसे कर सकता है।यह सीधे-सीधे दुराचरण है,अध्यापक के पद की गरिमा के विरूद्ध है,धोखाधड़ी है। यूजीसी ने इस मामले में 01 अप्रैल2013 को काशी विद्यापीठ प्रशासन को , 3 माह में जांच कराकर  रिपोर्ट देने का आदेश दिया है।
प्रो.राममोहन पर काशी विद्यापीठ में भगवानदास केन्द्रीय पुस्तकालय का प्रभारी रहने के दौरान यूजीसी से प्राप्त अनुदान से वर्ष 1998-99में  पुस्तकों की खरीद में घोटाला का प्रमाण सहित आरोप लगा था।यूजीसी ने इसका नये सिरे से जांच कराकर 3 माह में रिपोर्ट देने को कहा है।
 प्रो.राममोहन पाठक को 31 मार्च 2003 को 3 वर्ष के लिए यूजीसी से 4 ,47,580 रूपये का मेजर रिसर्च प्रोजेक्ट मिला था। उन्होंने पैसा ले लिया, लेकिन प्रोजेक्ट का शीर्षक बिना यूजीसी की मंजूरी के हिन्दी में कर दिया और अब तक पूरा करके यूजीसी में जमा नहीं किया है। शिकायत मिलने के बाद यूजीसी के संबंधित अधिकारी ने कई साल से केवल नोटिस भेजकर खाना पूर्ति किया कि आपने अब तक रिपोर्ट जमा नहीं किया है। सो यूजीसी के नियम के अनुसार पूरी राशि ब्याज सहित रिकवर की जा सकती है। आप पूरी राशि ब्याज सहित वापस कीजिए। 7 साल से यह तमाशा चल रहा है और प्रो. राममोहन पाठक 1 अप्रैल 2013 को सेवानिवृत हो गये।सत्र लाभ मिलने के चलते वह विद्यापीठ में 31 जून 13 तक प्रोफेसर बने रहेंगे। लेकिन अब भी यदि कार्रवाई हो तो पाठक की पेंशन रूक सकती है। इधर यह सब चल रहा है उधर राममोहन पाठक वाराणसी के ही चौबेपुर के निवासी और काशीहिन्दूवि.वि. में भौतिकशास्त्र विभाग में प्रोफेसर रहे और इन दिनों गुरूघासी दास केन्द्रीय वि.वि.,विलासपुर में कुलपति लक्ष्मण चतुर्वेदी(इन पर भी भयंकर भ्रष्टाचार का प्रमाण सहित आरोप लगा है)  की कृपा से वहां के गजानन माधव मुक्तिबोध चेयर में या किसी विभाग में  प्रोफेसर या प्रो.वीसी बनने का जुगाड़ लगा रहे हैं। गजानन चेयर यूजीसी के फंड से चल रहा है। ऐसे में जिस यूजीसी ने भ्रष्टाचारी गुरू राममोहन पाठक के विरूद्ध तीन मामले में जांच का आदेश दिया है, उनको कैसे इस केन्द्रीय वि.वि.में प्रोफेसर या प्रो.वीसी या कुछ और बनाये जाने की मंजूरी देगा? 
*यह खबर  ' स्वदेश ' इंदौर में 3 अप्रैल 2013 को पेज 5 पर,' स्टार समाचार ',सतना में 3 अप्रैल 2013 को पेज 8 पर http://www.starsamachar.com/epapermain.aspx,' तथा अन्य  समाचारपत्र में छपी है। 

corrupt v.c.of annamalai unversity, suspend

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APRIL7,2013 
sattachakra.blogspot.com

तमिलनाडु के राज्यपाल  रोसैया ने वित्तीय अनियमितता व करोड़ो रूपये के घोटालों के आरोप में  अन्नामलाई विश्व विद्यालय  के कुलपति एम रामनाथन को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया।चोर गुरूओं / भ्रष्टाचारी गुरूओं, उनके संरक्षक कुलपतियोंके विरूद्ध भी इसी तरह कार्रवाई हो सकती है।

V.C's.,IIT's Director's autonomy is not guarantee for corruption

Prof.Ram Mohan Pathak ke Bhrastachar / Ghotalon ki janch ke aadesh

Prof RamMohan Pathak ke Bhrastachar/Ghotalon ki Janch ke 3 me se 1 aadesh

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LAGBHAG 4 SAL SE PRAMAN SAHIT SHIKYAT   V.C. KASHI VIDYAPEETH , GOVERNOR U.P., MHRD, NEW DELHI , ETC KO  HOTI  RAHI HAI.. Prof RAM MOHAN PATHAK PAR  5 LAKH RUPAYE KE UGC MAJOR RESEARCH PROJECT  ME DHANDHALI  KARANE KE AAROP KI JANCH NAHI  HO RAHI THI.   UGC NE 01 APRIL 2013 KO JANCH KA AADESH DIYA.  M.G. KASHI VEEDYA PEETH KE VICE CHANCELLOR  Prof Prthvish Nag ko patr gaya hai ki 3 mah me janch karakar UGC ko report den. Ram Mohan Pathak 01April 2013 ko 5 p.m. par seva nivrit ho gaye ( satr labh ke chalate 31 jun 2013 tak vishv vidyalay jayenge , prof ki pagar lengen).  Lekin janch ka aadesh USAKE PAHLE HI ho gaya.   ( dekhen kuchh praman. Baki praman jaldi hi)
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